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मुइज्जू से अच्छे संबंधों की उम्मीद बेमानी ?

क्या मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू को मोदी 3.0 शपथ-ग्रहण समारोह में आमंत्रित कर भारत ने कोई बड़ी गलती की है. ऐसा इसलिए क्योंकि जिस वक्त भारत की राष्ट्रपति और नव-निर्वाचित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजधानी दिल्ली में मुइज्जू को होस्ट कर रहे थे, मालदीव में भारत से जुड़े तीन समझौते की समीक्षा के आदेश दे दिए गए थे. ये समझौते मुइज्जू के पूर्ववर्ती राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह के कार्यकाल में साइन किए गए थे.

मालदीव की संसदीय कमेटी कमेटी ने जिन तीन समझौतों की समीक्षा के आदेश दिए हैं इसमें पहला है भारत के साथ ‘हाइड्रोग्राफिक सर्वे’ एग्रीमेंट. इस समझौते को दोनों देशों ने वर्ष 2019 में हस्ताक्षर किए थे और इसके तहत भारत, मालदीव के समुद्री-तटों की गहराई की सर्वे करना था. ये इसलिए किया जाता है ताकि मरीन-ट्रैफिक यानी जहाज इत्यादि की आवाजाही और एंकर करने में आने वाले मुश्किलों का पता लगाया जा सके. हालांकि, पिछले साल दिसंबर में ही मुइज्जू ने अपनी सरकार बनते ही इस एग्रीमेंट के रिन्यू करने पर रोक लगा दी थी. 

मालदीव ने जिस दूसरे समझौते की समीक्षा का आदेश दिया है वो है उथरु थिला फल्हू डॉकयार्ड के निर्माण का. भारत की वित्तीय मदद से मालदीव इसे डॉकयार्ड का निर्माण कर रहा है. इस डॉकयार्ड को खास तौर से मालदीव की कोस्टगार्ड और कार्मिशियल जहाजों के लिए तैयार किया जा रहा है. भारत और मालदीव के बीच वर्ष 2016 में स्थापित किए गए डिफेंस एक्शन प्लान के तहत इस डॉकयार्ड के निर्माण के लिए 2019 में दोनों देशों के बीच समझौता हुआ था. खुद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस समझौते पर भारत की तरफ से हस्ताक्षर किए थे. इस डॉकयार्ड पर लगाने के लिए उस वक्त भारत ने 10 कोस्टल सर्विलांस रडार भी भेजे थे. ये रडार भारत द्वारा दी गई ग्रांट से स्थापित किए गए थे.

जिस तीसरे समझौते की रिव्यू का आदेश मालदीव की संसद ने दिया है वो है डोरनियर एयरक्राफ्ट का. ये मेरीटाइम सर्विलांस एयरक्राफ्ट भारत ने मालदीव को 2020 में दिया था ताकि समंदर में सर्च एंड रेस्क्यू और मेडिकल इवेएक्यूशन में मदद मिल सके. 

साफ है कि भारत यात्रा के बावजूद मालदीव की ‘गो-बैक इंडिया’ की पॉलिसी पर कोई खास असर नहीं पड़ा है. इसी नीति के बल पर मुइज्जू ने पिछले साल नवंबर में मालदीव के चुनाव जीतकर अपने देश की कमान संभाली थी. चीन के पिछलग्लू मुइज्जु से भारत कोई खास उम्मीद रखना बेमानी साबित हो सकता है. 

प्रधानमंत्री मोदी के रविवार यानी 9 जून को आयोजित शपथ-ग्रहण समारोह में पाकिस्तान को छोड़कर सभी पड़ोसी देशों के अलावा हिंद महासागर क्षेत्र के देशों के राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रित देकर भारत ने अपनी नेबरहुड पॉलिसी और सागर नीति को आगे बढ़ाने का फैसला लिया था. मोदी की सागर नीति सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन रीजन पर आधारित है. यही वजह है कि मालदीव के अलावा मॉरीशस और सेशेल्स को भी शपथ-ग्रहण आयोजन में निमंत्रण दिया गया था.  

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