चीन ने जहां डेढ़ साल बाद भारत में अपने राजदूत को नियुक्त किया है तो वहीं फिलीपींस ने मनीला में तैनात चीनी राजनयिकों को अपने देश से निकालने की चेतावनी दे डाली है. कारण है फिलीपींस में तैनात चीनी दूतावास द्वारा एक फोन टेप कर बातचीत को मीडिया में लीक करने का.
फिलीपींस के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (एनएसए) एडवर्डो एनो ने मनीला स्थित चीनी दूतावास पर ‘घुसपैठ और धोखाधड़ी’ जैसे संगीन आरोप लगाए हैं. एनो ने बयान जारी कर कहा कि “चीनी एंबेसी लगातार दुष्प्रचार, झूठी खबरें और विकृत जानकारियां फैलाने में जुटा है.” फिलीपींस के एनएसए ने कहा कि चीनी दूतावास ये सब “कलह कराने, फूट बोने और (आंतरिक) कलह कराने के इरादे से कर रहा है.” ऐसे में एनो ने कहा है कि “बिना गंभीर सजा के चीनी दूतावास की इन करतूतों को मंजूर नहीं किया जा सकता है.” साफ है कि आने वाले दिनों में चीनी राजनयिकों को मनीला से बाहर निकाल कर फेंक देने की प्रबल संभावना है.
दरअसल, जनवरी के महीने में फिलीपींस की नौसेना के एक एडमिरल की फोन पर मनीला स्थित चीनी दूतावास के एक डिप्लोमेट से हुई थी. ये बातचीत दक्षिण चीन सागर में दोनों देशों के बीच समुद्री-सीमा के टकराव को लेकर थी. चीन की नौसेना फिलीपींस के युद्धपोत और फिशिंग बोट्स को दक्षिण चीन सागर में आने से रोकती है. इसी को लेकर एडमिरल ने चीनी राजनयिक से बात की थी. लेकिन अब बातचीत मनीला के एक अखबार ने छाप दी है और बताया है कि उन्हें चीनी राजनयिकों से ये बातचीत की रिकॉर्डिंग मिली है.
फिलीपींस के एनएसए ने फोन पर हुई बातचीत को चीनी दूतावास द्वारा टेप किए जाने को गैर-कानूनी और राजनयिक प्रोटोकॉल का उल्लंघन बताया है. लेकिन उधर चीन के विदेश मंत्रालय ने फिलीपींस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के बयानों को भड़काऊ बताते हुए मनीला स्थित चीनी दूतावास को अपना काम करने देने की सलाह दी है.
दरअसल, समुद्री-विवाद होने के चलते चीन ने फिलीपींस में कॉग्निटिव-वारफेयर छेड़ रखा है. इसके लिए हाल ही में फिलीपींस की सेना और सरकार में कार्यरत अधिकारियों को पैसे के एवज में फिलीपींस की सैन्य तैयारियों और योजनाओं के बारे में कंसल्टेंसी देने का प्रलोभन दिया गया था. इसके अलावा चीन के करीब 30 हजार नागरिक फिलीपींस में स्पेशल रेजीडेंट रिटायरमेंट वीजा के जरिए रह रहे हैं. ये चीनी नागरिक ,संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त हैं. फिलीपींस में चीन के मिलिट्री ऑपरेशन्स अदर दैन दे वार (एमओओटीडब्लू) के बारे में हाल ही में टीएफए ने अपनी खास इन्वेस्टीगेशन में खुलासा किया था [चीन के ग्लोबल नैरेटिव का भंडाफोड़ (TFA Investigation पार्ट-1)].
इधर करीब 18 महीने बाद चीन ने भारत में शू फेइहोंग को अपना राजदूत नियुक्त किया है. पूर्वी लद्दाख से सटी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर चल रहे विवाद के चलते भारत और चीन के संबंधों में दरार आई हुई है. ऐसे में जब राजधानी दिल्ली स्थित चीनी राजदूत सुन वेडोंग का नवंबर 2022 में बीजिंग तबादला हो गया तो उनकी जगह किसी दूसरे को नियुक्त नहीं किया गया.
शुक्रवार को फेइहोंग ने राजधानी दिल्ली स्थित चीनी दूतावास में अपना कार्यभार संभाल लिया. भारत आने से पहले चीन के सरकारी न्यूज़ चैनल सीजीटीएन से बातचीत में फांगहोंग ने कहा कि वे दोनों देशों (भारत और चीन) के बीच “समझ को गहरा करने और मित्रता को मजबूत करने की दिशा में काम करेंगे.”