चायवाला पीएम के बाद सातवें और आखिरी चरण की वोटिंग से पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने एक बार फिर सेल्फ गोल कर कांग्रेस को मुश्किलों में फंसा दिया है. सीमा पर चीनी कब्जे का आरोप लगाने वाली कांग्रेस को मणिशंकर अय्यर से बयान से किनारा करना पड़ा है. कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने साल 1962 में चीनी आक्रमण के लिए गलती से कथित शब्द का इस्तेमाल किया है.
राजधानी दिल्ली स्थित फॉरेन कॉरेस्पोंडेट्स क्लब (एफसीसी) में आयोजित एक कार्यक्रम में कांग्रेस नेता ने एक किस्सा सुनाते हुए कहा कि ‘अक्टूबर 1962 में चीनियों ने कथित तौर पर भारत पर आक्रमण किया.’ हालांकि जब उनको याद दिलाया गया कि गलत बोल गए, तो सफाई पेश कर माफी मांग ली.
1962 में चीन का कथित आक्रमण: मणिशंकर अय्यर
अपने बयानों पर अक्सर चर्चा में रहने वाले मणिशंकर अय्यर ने ‘नेहरूज फर्स्ट रिक्रूट्स’ बुक के लॉन्च के मौके एक विवादित बयान दिया. मणिशंकर अय्यर ने कहा, “अक्टूबर 1962 में चीनियों ने कथित तौर पर भारत पर आक्रमण कर दिया.” हालांकि मणिशंकर ने बाद अपने संक्षिप्त बयान में कहा कि “फॉरेन कॉरेस्पोंडेट्स क्लब में चीनी आक्रमण से पहले गलती से कथित शब्द का इस्तेमाल करने के लिए मैं पूरी तरह से माफी मांगता हूं.”
कांग्रेस ने बनाई दूरी पर पीएम मोदी को घेरा
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पोस्ट में पीएम मोदी का एक वीडियो शेयर करके लिखा, “मणिशंकर अय्यर ने गलती से और कथित आक्रमण शब्द का इस्तेमाल करने के लिए स्पष्ट रूप से माफी मांगी है. मणिशंकर अय्यर की उम्र को ध्यान रखना चाहिए. कांग्रेस पार्टी मूल शब्दावली से खुद को अलग करती है.” जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर मई 2020 में चीन की घुसपैठ के लिए चीन को ‘क्लीन चिट’ देने का आरोप लगाया. जयराम रमेश ने लिखा, “प्रधानमंत्री ने 19 जून, 2020 को सार्वजनिक रूप से चीनियों को क्लीन चिट दे दी, जिससे हमारी बातचीत की स्थिति कमजोर हो गई. देपसांग और डेमचोक सहित 2,000 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र भारतीय सैनिकों की पहुंच से बाहर है.”
कांग्रेस के लिए चीनियों का प्रेम: बीजेपी
बीजेपी के आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने अय्यर की टिप्पणी को लेकर कांग्रेस की आलोचना की. अमित मालवीय ने एक्स पर पोस्ट किया, ‘‘मणिशंकर अय्यर ने नेहरूज फर्स्ट रिक्रूट्स नामक पुस्तक के विमोचन के दौरान एफसीसी में बोलते हुए 1962 में चीनी आक्रमण को ‘कथित’ बताया. यह ‘रिवीजनिज्म’ का एक निर्लज्ज प्रयास है.” अमित मालवीय यहीं नहीं रुके. अमित मालवीय ने लिखा, “नेहरू ने चीन के पक्ष में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट पर भारत का दावा छोड़ दिया, राहुल गांधी ने एक गुप्त समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, राजीव गांधी फाउंडेशन ने चीनी दूतावास से धन लिया और चीनी कंपनियों के लिए बाजार पहुंच की सिफारिश करते हुए रिपोर्ट प्रकाशित की, उनके आधार पर, सोनिया गांधी की संप्रग ने चीनी सामानों के लिए भारतीय बाजार खोल दिया, जिससे एमएसएमई को नुकसान पहुंचा और अब कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर चीनी आक्रमण पर लीपा-पोती करना चाहते हैं, जिसके बाद से चीन ने 38,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर अवैध कब्जा कर रखा है” अमित मालवीय ने कांग्रेस से पूछा कि ‘‘कांग्रेस का चीनियों के प्रति प्रेम” क्या दर्शाता है ?” (https://x.com/amitmalviya/status/1795497125037367799)
पाकिस्तान की तारीफ करके भी फंस चुके हैं अय्यर
हाल ही में मणिशंकर अय्यर ने पाकिस्तान को “एक सम्मानित राष्ट्र” बताया था. फरवरी में उन्होंने पाकिस्तानी लोगों की प्रशंसा करते हुए नया विवाद खड़ा कर दिया था. लाहौर में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए अय्यर ने पाकिस्तान और उसके लोगों के बारे में बात करते हुए कहा था कि वो “कभी ऐसे देश में नहीं गए जहां उनका इतने खुले दिल से स्वागत किया गया हो जितना पाकिस्तान में किया गया.” इसके अलावा अय्यर ने पाकिस्तान के परमाणु बम के बारे में बात करते हुए मोदी सरकार की पाकिस्तान के साथ बातचीत करने की पैरवी की थी. अय्यर ने कहा था, “भारत को ये नहीं भूलना चाहिए कि पाकिस्तान के पास भी परमाणु हैं. मुझे ये समझ नहीं आता कि मौजूदा सरकार ये क्यों कहती है कि हम पाकिस्तान से बात नहीं करेंगे, क्योंकि वहां आतंकवाद है. भारत के इस रवैये से पाकिस्तान सोचेगा कि भारत अहंकार के साथ हमें दुनिया में छोटा दिखा रहा है. ऐसे में पाकिस्तान के पास परमाणु बम हैं. हमारे पास भी हैं लेकिन क्या होगा अगर कोई पागल लाहौर में ये बम गिराने का फैसला कर ले. इस रेडिएशन को अमृतसर पहुंचने में आठ सेकंड भी नहीं लगेंगे. अगर हम उनकी इज्जत करेंगे तो वे शांत बने रहेंगे, लेकिन अगर हम उन्हें छोटा दिखाते रहेंगे तो कोई पागल आएगा और बम गिरा देगा.”
कौन हैं मणिशंकर
कांग्रेस के सीनियर नेता मणिशंकर अय्यर, मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में कई अहम मंत्रालयों (2006-2014) की जिम्मेदारी निभा चुके हैं. राजनीति में उतरने से पहले वे एक आईएफएस ऑफिसर थे और 70 के दशक में पाकिस्तान में डिप्लोमेट के तौर पर तैनात थे. राजीव गांधी की सरकार के दौरान, वे पीएमओ में ज्वाइंट सेक्रेटरी (1985-89) के पद पर तैनात थे. 1989 में उन्होंने विदेश सेवाओं से इस्तीफा देकर कांग्रेस का हाथ थाम लिया था. कई पुस्तकों के लेखक अय्यर, अपनी बयानों को लेकर अक्सर विवादों में रहते हैं.
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