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Obituary: मनमोहन सिंह की रक्षा नीति, बीजेपी के हाथ मजबूत हथियार

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया. इससे पहले राजकीय सम्मान के साथ अंतिम यात्रा निकली, जिसमें सशस्त्र सेनाओं ने आखिरी सलामी दी. अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मु, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और सीडीएस सहित सेना के तीनों अंगों के प्रमुख शामिल रहे.

अंतिम संस्कार में कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और उनकी बहन (सांसद) प्रियंका गांधी मौजूद थी. भूटान नरेश खेसर नामग्याल वांगचुक भी निगम बोध घाट पर मौजूद थे.

श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर लिखा कि “भारत के लिए उनकी (मनमोहन सिंह की) सेवा को सदैव याद रखा जाएगा.”

देश के पूर्व प्रधानमंत्री के नाते सशस्त्र सेनाओं की टुकड़ी ने राजकीय सम्मान के साथ मनमोहन सिंह के पार्थिव शरीर की अंतिम यात्रा से लेकर पंचतत्व में विलीन होने तक की सभी विधियों का सैन्य परंपरा के अनुसार पालन किया.

वर्ष 2004 से लेकर 2014 तक यानी पूरे एक दशक तक जब मनमोहन सिंह के हाथों में देश की बागडोर थी, उस दौरान विपक्ष ने सेनाओं के आधुनिकीकरण की प्रक्रिया बेहद सुस्त होने के आरोप लगाए थे. पाकिस्तान हो या चीन के मोर्चे पर कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार को बेहद कमजोर बताया गया.

खास बात ये है कि वर्ष 2014 के आम चुनावों में (प्रधानमंत्री) नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने मनमोहन सिंह और यूपीए सरकार को रक्षा क्षेत्र में कमजोर नीति और दुश्मन के सामने झुकने को एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया था. (https://x.com/narendramodi/status/1872949049734906359)

वीवीवीआई हेलीकॉप्टर घोटाला
रक्षा सौदों में भ्रष्टाचार और घूस के आरोपों ने यूपीए और मनमोहन सिंह की छवि को बेहद नुकसान पहुंचाया था. वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाला (अगस्ता वेस्टलैंड) आखिरकार यूपीए सरकार के ताबूत में आखिरी कील साबित हुआ. हेलीकॉप्टर घोटाले में कांग्रेस हाईकमान तक का नाम सामने आया लेकिन मनमोहन सिंह भ्रष्टाचार के आरोपों से अछूते रहे. हेलीकॉप्टर घोटाला हो या 2जी घोटाला, भले ही मनमोहन सिंह पर किसी ने उंगली नहीं उठाई, लेकिन अपने कैबिनेट के सदस्यों पर लगाम ना लगाने का दंश झेलना पड़ा. (https://x.com/INCIndia/status/1872847997320741362)

सेना और सरकार में विवाद
देश के थलसेना प्रमुख (जनरल वीके सिंह) के उम्र विवाद का मामला सुप्रीम कोर्ट तक चले जाना इस बात का सबूत था कि उस दौरान सेना और सरकार के बीच सब कुछ ठीक नहीं था.

तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी (2006-14) के साउथ ब्लॉक स्थित ऑफिस में जासूसी उपकरण लगाने का मामला भी काफी उछला था. (https://x.com/SpokespersonMoD/status/1872926041812910239)

एलओसी पर सैनिकों के शरीर क्षत-विक्षत करने से पिटी भद्द

पाकिस्तानी सेना द्वारा सैनिकों के सिर काटकर ले जाना को बीजेपी ने बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनाया था. चीन से आंख से आंख ना मिलाकर बात करना भी मनमोहन सिंह के कार्यकाल की एक बड़ी कमजोरी साबित हुई, जिसके चलते कांग्रेस और यूपीए को बीजेपी के हाथों आम चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा.

पहली बार चीन को दिखाई आंख
वर्ष 2013 में हालांकि, पूर्वी लद्दाख के डेप्सांग प्लेन (डीबीओ) में चीन से 25 दिनों तक चला फेस-ऑफ मनमोहन सिंह के कार्यकाल में हुआ था. सुमद्रांगछू विवाद (1986) के बाद ये पहली घटना थी जब भारतीय सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन की विस्तारवादी नीति को जमकर विरोध किया था.

25 दिनों के टकराव के बाद चीनी सेना को डेप्सांग प्लेन से अपने टेंट आखिरकार हटाने पड़े थे. उस दौरान मौजूदा विदेश मंत्री एस जयशंकर बीजिंग में भारत के राजदूत के पद पर तैनात थे.

लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी और मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार जनता की नजरों में काफी कमजोर साबित हो चुकी थी.

सैनिकों को पर्याप्त बुलेटप्रूफ जैकेट नहीं मिले
हालांकि, उस दौरान भारतीय सैनिकों को बुलेटप्रूफ जैकेट से लेकर एक साधारण गन या फिर तोप ना मिलना एक एक बड़ा आघात था, लेकिन 2008 की न्यूक्लियर डील के बाद अमेरिका ने भारत को हथियार सप्लाई करने से शुरू कर दिए थे.

परमाणु डील के बाद अमेरिका से खरीदे एयरक्राफ्ट
वर्ष 1998 में परमाणु परीक्षण के बाद से अमेरिका ने भारत पर प्रतिबंध लगा दिए थे. ऐसे में परमाणु समझौता होने के बाद भारत और अमेरिका के संबंध काफी पटरी पर आने शुरु हो गए थे.

वर्ष 2009 में भारत ने अमेरिका से नौसेना के लिए पी8आई टोही विमानों का सौदा किया तो 2011 में सी-130जे सुपर हरक्युलिस मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट का. इसी सुपर-हरक्युलिस ने अगस्त 2013 में डीबीओ में लैंडिंग कर दुनिया की सबसे हवाई पट्टी पर ऑपरेशन का विश्व रिकॉर्ड कायम किया था. ये लैंडिंग डेप्सांग प्लेन के फेसऑफ के कुछ हफ्तों बाद ही सामने आई थी.

2013 में ही भारत को अमेरिका से दुनिया के सबसे बड़े मिलिट्री मालवाहक विमान सी-17 ग्लोबमास्टर मिले थे. उसी साल नौसेना के विमानवाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रमादित्य के लिए भारत को रूस से 45 मिग-29के लड़ाकू विमान मिले थे. (Obituary: मनमोहन सिंह को दुनिया की श्रद्धांजलि)

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