मराठा साम्राज्य के संस्थापक और महान योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज (1630-1680) के 394 वें जन्म-दिवस के मौके पर भारतीय नौसेना ने अपनी ‘मिलन’ इंटरनेशनल एक्सरसाइज का उद्घोष किया है. सोमवार को इंडियन नेवी के पूर्वी कमान के मुख्यालय विशाखापट्टनम में मिलन युद्धाभ्यास (19-27 फरवरी) के 12वें संस्करण का आगाज हो रहा है जिसमें 51 देशों की नौसेनाएं हिस्सा ले रही हैं.
शिवाजी महाराज का जन्म आज ही के दिन यानी 19 फरवरी को 1630 में हुआ था और भारतीय इतिहास में उन्हें मुगल साम्राज्य के दांत खट्टे करने के लिए जाना जाता है. लेकिन भारत को एक समुद्री-ताकत बनाने में उनके योगदान के बारे में कम ही जानकारी है. यही वजह है कि भारतीय नौसेना शिवाजी राजे के गौरवशाली समुद्री इतिहास को अपनाने में जुटी है.
खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिवाजी महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, “छत्रपति शिवाजी महाराज को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि. एक दूरदर्शी नेता, निडर योद्धा, संस्कृति के रक्षक और सुशासन के प्रतीक, उनका जीवन पीढ़ियों को प्रेरित करता है.”
मैरीटाइम हिस्ट्री में मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज को उचित स्थान दिलाने के इरादे से भारतीय नौसेना ने 19 फरवरी का दिन ‘मिलन’ एक्सरसाइज के लिए खास तौर से चुना है. इस नेवल एक्सरसाइज में भारत के अलावा कुल 50 देश शामिल हो रहे हैं. भारतीय नौसेना के 20 युद्धपोतों और पनडुब्बियों सहित कुल 35 जंगी जहाज इस मैरीटाइम एक्सरसाइज में शिरकत कर रहे हैं.
वर्ष 1995 से भारतीय नौसेना मिलन एक्सरसाइज का आयोजन करती आ रही है. दो साल में एक बार होने वाली इस एक्सरसाइज में मित्र-देशों की नौसेनाएं हिस्सा लेती आई हैं. पिछले दो संस्करण से ये एक्सरसाइज नौसेना के पूर्वी कमान के मुख्यालय विशाखापट्टनम में आयोजित किए गए हैं. पहले ये एक्सरसाइज अंडमान निकोबार में होती थी.
दरअसल, भारत में इंडियन नेवी की शुरुआत अंग्रेजों के समय से मानी जाती है जिसे रॉयल इंडियन नेवी कहा जाता था. जबकि हकीकत ये है कि भारत में मराठा शासकों की एक बड़ी नौसेना थी जिसमें 70-80 जहाज थे. मध्यकालीन युग में छत्रपति शिवाजी महाराज ने मराठा नौसेना की नींव डाली थी. उन्होंने मुंबई से लेकर कोंकण-तट तक कई समुद्री-दुर्ग यानी किलों का निर्माण किया था. गोवा के करीब कर्नाटक के कारवार बंदरगाह में मराठाओं के समय में जहाज का निर्माण किया जाता था. आज कारवार में ही एशिया का सबसे बड़ा नेवल बेस तैयार किया जा रहा है जहां आने वाले समय में भारत के मैरीटाइम थियेटर कमान का हेडक्वार्टर होगा.
मराठा शासकों की नौसेना को स्वर्णिम काल आया सरखेल कान्होजी आंग्रे के समय में. 1690 से लेकर 1729 तक जब तक की उनकी मृत्यु हुई मराठा नौसेना ने ब्रिटिश, पुर्तगाली और डच नौसेनाओं की नाक में दम कर रखा था.
पिछले साल भारतीय नौसेना ने ‘नेवी डे’ भी कोंकण तट पर बने शिवाजी महाराज के सिंधुदुर्ग किले में मनाया था. इससे पहले नौसेना ने अपने फ्लैग से अंग्रेजों का प्रतीक हटाकर शिवाजी महाराज की नौसेना का प्रतीक चिन्ह शामिल किया था. यानी भारतीय नौसेना, गुलामी की मानसिकता को धीरे-धीरे दूर कर अपने गौरवशाली इतिहास को अपनाने में जुटी है. फिर चाहे वो दक्षिण का चोला साम्राज्य हो या फिर सातवाहन शासक, या फिर मराठा नौसेना. भारतीय नौसेना, हिंद महासागर क्षेत्र की नेट सिक्योरिटी प्रोवाइडर और ब्लू वाटर नेवी बनाने के साथ-साथ समुद्री-इतिहास के साथ भी कदम-ताल कर रही है.
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