सेना की तोप, बीएमपी व्हीकल और दूसरी सैन्य मशीनरी को युद्ध के मैदान में पहुंचाने के इरादे से रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना के लिए मालगाड़ी के 697 वैगन (खुले हुई बोगी) खरीदने का फैसला लिया है. 473 करोड़ के इस सौदे को एक प्राईवेट कंपनी से किया गया है जो भारतीय रेल के लिए बोगियों का निर्माण करती है.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, बोगी ओपन मिलिट्री (बीओएम) वैगन के डिजाइन को रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) ने तैयार किया है जो भारतीय सेना की मोबिलाइजेशन के लिए स्पेशलाइज्ड वैगन है. ये खुले हुए वैगन होते हैं जिन्हें मालगाड़ियों के जरिए ऑपरेशन्ल एरिया तक पहुंचाया जाता है. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, ये क्रिटिकल रोलिंग स्टॉक बेहद तेजी से जरुरत के समय मिलिट्री यूनिट्स और सैन्य उपकरणों को पीस-लोकेशन से ऑपरेशन्ल एरिया तक पहुंचा सकता है. शांति काल में ये बोगियां युद्धाभ्यास के लिए एक पीस स्टेशन से दूसरी जगह ले जाने के लिए इस्तेमाल की जा सकती हैं.
गौरतलब है कि भारतीय सेना के नए टैंक (एमबीटी) अर्जुन इतने बड़े हैं कि उन्हें भारतीय रेल की ओपन वैगन में एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में भारतीय सेना ने अपनी जरूरतों के अनुरूप बीओएम वैगन तैयार कराए हैं.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, भारतीय सेना के लिए ये खास वैगन बनाने का करार ज्यूपिटर वैगन लिमिटेड नाम की कंपनी से किया गया है. ये कंपनी भारतीय रेल के लिए भी बोगियों का निर्माण करती है. इस कंपनी का मुख्यालय कोलकाता में है और बोगियों का निर्माण मध्य प्रदेश स्थित प्लाट में किया जाता है.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, गुरुवार को भारतीय सेना के लिए ही 56 मैकेनिकल माइनफील्ड मार्किंग इक्विपमेंट (एमएमएमई-2) का भी करार किया गया है. 329 करोड़ के इस सौदे को सरकारी उपक्रम बीईएमएल (भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड) से किया गया है. क्योंकि भारत कन्वेंशन ऑन सर्टेन कन्वेंशन्ल वैपन के प्रोटोकॉल-2 पर हस्ताक्षर कर चुका है, ऐसे में देशभर (की सरहदों) में जितनी भी माइनफील्ड हैं उनकी मार्किंग बेहद जरूरी है.
बीईएमएल के एमएमएमई-2 को वॉर-स्टोर के पूरे भार के साथ देश भर में संचालन करने और न्यूनतम समय में बिना सैनिकों के इस्तेमाल के साथ बारूदी-सुरंगों को चिह्नित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. यह उपकरण उन्नत मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल सिस्टम वाले इन-सर्विस हाई मोबिलिटी वाहन पर आधारित है जो ऑपरेशन के दौरान माइनफील्ड मार्किंग के समय को कम करेगा और भारतीय सेना की परिचालन क्षमता को बढ़ाएगा.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, ये दोनों ही करार इंडियन-आईडीडीएम यानी इंडीजेनेशिली डिजाइन डेवलप्ड एंड मैन्युफैक्चरिंग के तहत किए गए हैं. बीओएम-वैगन और एमएमएमई-2 और इससे जुड़े सब-सिस्टम के स्वदेशी कंपनियों से खरीद से रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी.
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