प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बहुप्रतीक्षित यूक्रेन यात्रा से साफ हो गया है कि युद्ध के युग में भी भारत गांधी, बुद्ध और शांति का संदेश देने वाला देश है. भारत के लिए ‘मानवता’ सर्वोपरि है. खुद पीएम मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की को गले लगाया और कंधे पर हाथ रखकर हर संभव युद्ध समाप्त करने का भरोसा दिलाया. इस दौरान जेलेंस्की बेहद भावुक नजर आए.
दस घंटे की लंबी यात्रा के बाद पीएम मोदी रेल-मार्ग पौलेंड से यूक्रेन की राजधानी कीव पहुंचे. सबसे पहले पीएम मोदी कीव में महात्मा गांधी की मूर्ति पर पहुंचे. गांधी जी की मूर्ति पर शीश झुका कर मोदी ने यूक्रेन सहित पूरी दुनिया को संदेश दिया कि वे किसलिए जेलेंस्की से मिलने पहुंचे हैं. प्रधानमंत्री मोदी यूक्रेन पहुंचे थे महात्मा गांधी के ‘शांति का संदेश’ लेकर.
पीएम मोदी ने श्रद्धा सुमन अर्पित करने के बाद कहा भी कि “महात्मा गांधी के आदर्श सार्वभौमिक हैं और लाखों लोगों को आशा देते हैं. हम सभी मानवता के लिए उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग का अनुसरण करें.”
इसके बाद पीएम मोदी जेलेंस्की के साथ युद्ध में मारे गए बच्चों के मेमोरियल गए. इस दौरान पीएम मोदी ने जेलेंस्की को गले लगाया तो वे (यूक्रेन के राष्ट्रपति) बेहद भावुक हो गए. दरअसल, पिछले महीने मॉस्को की यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सामने कीव में एक बच्चों के अस्पताल पर हुए हमलों का जिक्र करते हुए अपना दर्द बयां किया था.
पिछले ढाई साल से चल रहे रूस-यूक्रेन जंग में बड़ी संख्या में आम लोगों के साथ-साथ बच्चों की भी जान गई है. यूक्रेन ने ऐसे बच्चों की याद में कीव में एक मेमोरियल बनाया है जहां लोग सॉफ्ट-टॉय और दूसरे खिलौने रखकर अपनी संवेदनाएं प्रकट करते हैं. पीएम मोदी ने भी मेमोरियल पर एक खिलौना अर्पित किया. इस दौरान पीएम मोदी जेलेंस्की के कंधे पर हाथ रखे हुए दिखाई पड़े.
बाद में जेलेंस्की के साथ मुलाकात के दौरान पीएम मोदी ने साफ कहा कि वे “भारत के 140 करोड़ लोगों की शुभकामनाओं के साथ-साथ यूक्रेन में शांति और समृद्धि की भावना लेकर आया हूं.” पीएम मोदी ने साफ कहा कि युद्ध शुरु होने के बाद (24 फरवरी 2022) से ही हम ‘शांति के पक्षधर’ रहे हैं. मोदी ने कहा कि “भले ही हम युद्ध से दूर रहे हों लेकिन हम तटस्थ नहीं थे. हम शांति के पक्षधर थे.” पीएम ने कहा कि “हम बुद्ध की धरती से आते हैं जहां युद्ध के लिए कोई जगह नहीं है. हम महात्मा गांधी की धरती से आते हैं जिन्होंने पूरी दुनिया को शांति का संदेश दिया.”
पीएम मोदी ने जेलेंस्की को भरोसा दिलाया कि शांति के प्रयासों में भारत एक ‘सक्रिय भूमिका’ निभाने के लिए पूरी तरह तैयार है. पिछले साल उज्बेकिस्तान के समरकंद में पुतिन की मौजूदगी में दिए ‘ये युग युद्ध का नहीं है’ बयान का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि उन्होंने जुलाई के महीने में पुतिन से मुलाकात में कहा था कि “रणभूमि में किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता है. समाधान केवल बातचीत और कूटनीति के जरिए ही निकल सकता है.” पीएम ने कहा कि “हमें बिना वक्त बर्बाद किए उस दिशा (शांति और बातचीत) पर आगे बढ़ना चाहिए.” उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को एक साथ बैठना चाहिए और इस संकट से बाहर आने का रास्ता तलाशना चाहिए.