कश्मीर में योग दिवस समारोह में जाने से पहले गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका संसद की पूर्व स्पीकर नैन्सी पेलोसी से मुलाकात की है. इस मुलाकात से चीन की चूलें हिलना साफ है. धर्मशाला में दलाई लामा से मिलकर राजधानी दिल्ली लौटी पेलोसी और अमेरिकी संसद के प्रतिनिधियों का पीएम मोदी ने अमेरिका और भारत के बीच ‘सामरिक साझेदारी बढ़ाने’ के लिए आभार प्रकट किया है.
पीएम मोदी ने अपने एक्स अकाउंट पर मुलाकात की तस्वीर साझा करते हुए लिखा कि “अमेरिकी सांसद यूएस कांग्रेस की फॉरेन अफेयर्स कमेटी के चेयरमैन माइकल मैकॉल के नेतृत्व में आए प्रतिनिधिमंडल के मित्रों से अच्छे विचारों का आदान-प्रदान हुआ.” उन्होंने आगे लिखा कि “भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने में मजबूत द्विदलीय समर्थन की मैं बेहद सराहना करता हूं.”
दलाई लामा से मिलने भारत पहुंची अमेरिका की पूर्व स्पीकर पेलोसी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग पर हमला बोलते हुए साफ कहा है कि चीन को तिब्बत धर्मगुरु के उत्तराधिकारी को चुनने नहीं दिया जाएगा. बुधवार को पेलोसी ने हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में दलाई लामा से मुलाकात के बाद ये बात कही थी. उनके साथ अमेरिकी कांग्रेस (संसद) की फॉरेन अफेयर्स कमेटी के सदस्य भी शामिल थे.
पेलोसी ने कहा कि “दलाई लामा, ज्ञान, परंपरा, करुणा, आत्मा की पवित्रता और प्रेम के अपने संदेश के साथ लंबे समय तक जीवित रहेंगे और उनकी विरासत हमेशा जीवित रहेगी। लेकिन आप, चीन के राष्ट्रपति (शी जिनपिंग), आप चले जायेंगे और कोई भी आपको किसी भी चीज़ का श्रेय नहीं देगा.”
पेलोसी इन दिनों फॉरेन अफेयर्स कमेटी के एक सात सदस्य प्रतिनिधिमंडल के साथ धर्मशाला की यात्रा पर हैं. जल्द ही अमेरिका रिजॉल्व तिब्बत एक्ट को पारित करने जा रहा है जिसमें चीन को तिब्बत से विवाद सुलझाने पर जोर दिया गया है. यही वजह है कि नैन्सी पेलोसी पूरे प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत के दौरे पर हैं. दलाई लामा से मिलने से पहले मंगलवार को पेलोसी ने धर्मशाला में तिब्बत की निर्वासित-संसद को भी संबोधित किया था.
हालांकि, पेलोसी और अमेरिकी संसद के प्रतिनिधिमंडल के दलाई लामा से मुलाकात को लेकर चीन ने अपना विरोध जताया था. बावजूद इसके पेलोसी ने न केवल धर्मशाला की यात्रा की बल्कि दलाई लामा से मुलाकात भी की.
गुरुवार को एक बार फिर चीन के विदेश मंत्रालय ने तिब्बत की निर्वासित सरकार को एक “गैर-कानूनी और अलगाववादी राजनीति संगठन करार दिया” क्योंकि ये संगठन “चीन के संविधान और कानून की अवहेलना करता है.” चीन के मुताबिक, कोई देश इस संगठन को मान्यता नहीं देता है. दलाई लामा से संपर्क पर चीन के विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि 14वें दलाई लामा (जो भारत में शरण लिए हुए हैं) को अपना ‘राजनीतिक रुख पर पुनर्विचार’ करना होगा.