पाकिस्तान के करीबी दोस्त तुर्किए की शामत आने वाली है. पाकिस्तान के साथ कश्मीर-कश्मीर चिल्लाने वाले वाले मुसलमान देशों के खलीफा एर्दोगन के खिलाफ पीएम नरेंद्र मोदी ने रच दिया है चक्रव्यूह.
तुर्किए के राष्ट्रपति एर्दोगन इतने चालबाज और एहसानफरामोश हैं कि भूकंप में भारत की मदद को नजरंदाज करते हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद शहबाज शरीफ के साथ मुसकुरा रहे थे. लेकिन अब तुर्किए की एक-एक चालबाजी का जवाब देने का समय आ गया है.
तुर्किए के कट्टर दुश्मन देश साइप्रस जा रहे हैं पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी 15 से 17 जून तक कनाडा में होने वाले जी 7 समिट में शामिल होंगे. कनाडा से पहले पीएम मोदी साइप्रस जाएंगे और वापसी में क्रोएशिया का दौरा करेंगे. साइप्रस में पीएम मोदी के दौरे से तुर्किए के कान खड़े हो गए हैं, क्योंकि साइप्रस और तुर्किए में पुरानी दुश्मनी है. ऐसे में जब पीएम मोदी साइप्रस में होंगे तो टर्किश राष्ट्रपति एर्दोगन की टेंशन जरूर बढ़नी तय है.
पीएम मोदी भारत के तीसरे प्रधानमंत्री होंगे जो साइप्रस का दौरा करेंगे. इससे पहले साल 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और साल 1983 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी साइप्रस का दौरा किया था.
साइप्रस और तुर्किए में क्यों है दुश्मनी
तुर्किए और साइप्रस का विवाद दशकों पुराना है. साइप्रस एक भूमध्यसागरीय द्वीप है जो तुर्किए के दक्षिण में, सीरिया के पश्चिम और इजरायल के उत्तर पश्चिम में पड़ता है. साइप्रस में ग्रीक और तुर्क अल्पसंख्यक लोग रहते हैं. दोनों समुदायों के बीद लंबे समय से नस्लीय विवाद चला आ रहा है. साल 1974 में ग्रीक समुदाय से जुड़े लड़ाकों ने द्वीप पर तख्तापलट किया था जिसके बाद तुर्की ने तुर्क समुदाय के लोगों की रक्षा का बहाना कर द्वीप पर हमला कर दिया था.
इस आक्रमण के बाद घटना के बाद साइप्रस दो हिस्सों में बंट गया, जिनमें से एक में ग्रीक साइप्रस सरकार है और दूसरे पर तुर्क साइप्रस वासियों का कंट्रोल है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ग्रीक साइप्रस सरकार के शासन वाले साइप्रस गणराज्य को मान्यता प्राप्त है. वहीं, तुर्क साइप्रस वासियों ने अपने इलाके को एक स्वघोषित राष्ट्र का दर्जा दिया है, जिसे सिर्फ तुर्किए स्वीकार करता है. साइप्रस और तुर्की के कब्जे वाले साइप्रस के हिस्से को संयुक्त राष्ट्र की पेट्रोलिंग वाला एक बफर जोन अलग करता है.
कश्मीर और आतंकवाद के मुद्दे पर भारत का समर्थन करता है साइप्रस
भारत संयुक्त राष्ट्र के प्रावधानों और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत साइप्रस समस्या के समाधान के पक्ष में रहा है. तुर्की जहां पाकिस्तान के साथ खड़ा रहता है, वहीं भारत ने साइप्रस के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया है. साइप्रस आतंकवाद और कश्मीर के मुद्दे पर हमेशा भारत के साथ खड़ा रहा है. 1998 में जब भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया था तब भी साइप्रस भारत के साथ खड़ा था.
पहलगाम हमले के बाद शहबाज के साथ जश्न मना रहे थे एर्दोगन
22 अप्रैल को जिस दिन आतंकियों ने भारतीय पर्यटकों की हत्या की, उस दिन पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ तुर्किए में मौजूद थे. हमले के बाद जहां अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन जैसे दुनिया के अधिकतर देश आतंकी हमले की निंदा कर रहे थे, शहबाज और एर्दोगन मुसकुराते नजर आए थे. तुर्की की राजधानी अंकारा में हंस-हंसकर गले मिल रहे थे. ऐसा लग रहा था कि 26 पर्यटकों की हत्या की खुशी मनाई जा रही है. एर्दोगन और शहबाज की उस तस्वीर की बहुत आलोचना की गई थी.
पहलगाम नरसंहार के बाद तुर्किए ने पहुंचाई थी ड्रोन की खेप
पहलगाम नरसंहार के तुरंत बाद पाकिस्तान ने एक कार्गो जहाज भरकर ड्रोन की एक बड़ी खेप तुर्किए से मंगाई थी. पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के खिलाफ जो बुनयान अल मसरूर लॉन्च किया था, उसमें तुर्की और चीन के ड्रोन को शामिल किया था. इसके अलावा भारत और पाकिस्तान में तनाव बढ़ने के बाद तुर्की का जंगी जहाज 2 मई को कराची बंदरगाह पहुंचा था. 27 अप्रैल को तुर्की का सैन्य विमान सी-130 हरक्यूलिस भी पाकिस्तान गया था.7-10 मई के बीच पाकिस्तान ने करीब एक हजार ड्रोन भारत पर लॉन्च किए थे. लेकिन सभी को भारत की एयर डिफेंस ने मार गिराया था.
भारत में तुर्किए बायकॉट
ड्रोन हमले के दौरान पाकिस्तान को समर्थन देने के चलते ही भारत ने तुर्किए की एविएशन-सर्विस कंपनी सेलिब के साथ करार तोड़ दिया है. भारत में तुर्की का टूरिस्ट-डेस्टिनेशन के तौर पर बॉयकॉट शुरु हो गया है. कई ट्रैवल एजेंसियों ने तुर्किए के लिए बुकिंग बंद कर दी है. राजस्थान, एमपी समते कई देशों में आयात और निर्यात दोनों ही रोक दिया गया है.
पीएम मोदी के साइप्रस जाने का प्लान भारत का बड़ा कूटनीतिक कदम माना जा रहा है.