इजरायल-हमास के बीच गाजा में थोड़ी धीमी पड़ी जंग को ईरान ने फिर हवा दे दी है. ईरान ने अपने कट्टर दुश्मन इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के एक एजेंट को फांसी पर लटका दिया है. मोसाद के स्पाई को फांसी पर लटकाए जाने के बाद पीएम बेंजामिन नेतन्याहू का खून खौल उठा है.
ईरान का मोसाद के जासूस पर क्या आरोप?
ईरान ने अपनी सरकारी टीवी पर ये खबर दी है कि उसने ईरान के दक्षिण-पूर्व में इजराइली खुफिया एजेंसी मोसाद के एक जासूस को फांसी दे दी है. जासूस के मोसाद समेत विदेशी खुफिया एजेंसियों से संबंध थे और उस पर गोपनीय सूचना साझा करने में शामिल होने का आरोप था. जासूस को दक्षिण-पूर्वी प्रांत सिस्तान-बलूचिस्तान की राजधानी जाहेदान की जेल में फांसी दी गई है. जासूस पर आरोप है कि उसने विदेशी खुफिया एजेंसियों खास तौर से मोसाद के साथ बातचीत की थी और क्लासिफाइड इंफॉर्मेशन इकट्ठा की थी. उसने अपने साथियों की मदद से मोसाद सहित कई विदेशी खुफिया एजेंसियों के साथ जानकारी को शेयर किया. जासूस के पास हथियार भी मिले थे और क्रिप्टो-करेंसी के रूप में मोसाद से पैसे दिए जाते थे. हालांकि फांसी पर लटकाया गया शख्स किस देश का है ये नहीं बताया गया है. इस बात की जानकारी भी गोपनीय रखी गई है कि जासूस को कब और कहां से गिरफ्तार किया गया था.
जासूसों पर सख्त है ईरान
अप्रैल 2022 में ईरान के खुफिया अधिकारियों ने तीन जासूसों को गिरफ्तार किया था, जिनके मोसाद से जुड़े एक समूह से संबंध थे. पर ईरान ने इस जानकारी को सीक्रेट रखा है कि जिस शख्स को शनिवार को फांसी दी गई है, वो उन्हीं गिरफ्तार लोगों में से था या नहीं. इससे पहले दिसंबर 2022 में भी ईरान ने चार लोगों को फांसी दी थी. जिन्हें इजरायल के लिए काम करने का आरोप लगा था. ईरान ने उस वक्त इजरायल और पश्चिमी खुफिया एजेंसियों पर गृह युद्ध की साजिश रचने का आरोप लगाया था. साल 2020 में भी ईरान ने एक प्रमुख इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड (आईआरजी) जनरल के बारे में अमेरिका और इजरायल को जानकारी देने के आरोप में एक शख्स को फांसी पर लटकाया था. ईरान ने उनके देश में हिजाब विरोधी आंदोलन के भड़कने के बाद से जासूसों पर एक्शन तेज कर दिए हैं. क्योंकि ईरान को लगता है कि पश्चिमी देश और इजरायल मिलकर ईरान में गृहयुद्ध करना चाहते हैं. ईरान ने इजरायल पर उसके परमाणु कार्यक्रम को निशाना बनाकर तोड़फोड़ और कई लोगों की हत्याओं करने का भी आरोप लगाया है.
इजरायल का अगला एक्शन क्या?
इजरायली जासूस को फांसी दिए जाने के बाद इजरायल और ईरान आमने सामने हैं. लंबे समय से ईरान और इजरायल में तल्खी है. ईरान, इजरायल को मान्यता नहीं देता है. हमास के पीछे खड़े होने की वजह से इजरायल, ईरान पर पहले से ही भड़का हुआ है. युद्ध के दौरान हमास के कई नेता ईरान में देखे गए थे. इजरायल ने ईरान पर हिजबुल्ला, हमास और यमन समेत लेबनान को बढ़ावा और हथियार, गोला-बारूद देने का आरोप लगाया है. हमास पर इजरायली एक्शन के बाद ईरान की शह पर यमन और लेबनान भी इजरायल पर हमले कर रहे हैं. यमन ने ईरान के इशारे पर लाल सागर में अमेरिका, फ्रांस समेत इजरायल के जहाज को निशाना बनाया है. नवंबर के महीने में बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान को चेतावनी देते हुए कहा था कि “ईरान आतंकियों को पूरे मिडिल ईस्ट और उसके बाहर हथियार और ट्रेनिंग देता है. लेबनान के हिज्बुल्लाह और यमन के हूती इसका हिस्सा हैं.”
मिडिल-ईस्ट में रुस की एंट्री
युद्ध के दौरान ईरान ही वो देश है जिसने मुस्लिम देशों के इजरायल के विरुद्ध खड़ा किया. पर नेतन्याहू ने भी समय समय पर ईरान को आइना दिखाया है, ईरान और रूस के बढ़ते संबंधों को लेकर पिछले सप्ताह ही नेतन्याहू ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन से भी बात की थी. बेंजामिन नेतन्याहू ने पुतिन को फोन किया और करीब 50 मिनट बात की. इस बीच पुतिन से बात करते हुए नेतन्याहू ने ईरान के साथ रूस के सहयोग पर कड़ी आपत्ति जताई. उन्होंने कहा था कि आतंकवाद का किसी भी तरह का विरोध होना चाहिए. दरअसल हमास का एक प्रतिनिधिमंडल 26 अक्टूबर को रूस पहुंचा था. इस दौरान ईरान के मंत्री भी प्रतिनिधिमंडल के साथ थे. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के विशेष दूत मिखाइल बोगदानोव के साथ बैठक हुई थी, जिसका इजरायल ने विरोध किया. हालांकि क्रेमलिन ने सफाई दी थी कि हमास के प्रतिनिधिमंडल का क्रेमलिन के साथ उनका कोई संपर्क नहीं है. मतलब साफ है कूटनीतिक तौर पर अब इजरायल भी सभी देशों को ईरान के खिलाफ लामबंद करने की कोशिश में है.
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