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रक्षा क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन समझना जरूरी: राजनाथ

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दुनियाभर की सेनाओं से जलवायु परिवर्तन और सुरक्षा को लेकर खतरों के बीच अंतर-संबंधों की समझ को गहरा करने की आवश्यकता पर जोर दिया है. गुरुवार को राजनाथ सिंह, दक्षिण-पूर्व एशियाई देश लाओस की राजधानी वियनतियाने में आसियान-प्लस देशों के रक्षा मंत्रियों के समिट को संबोधित कर रहे थे.

सम्मेलन को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और समृद्धि के लिए नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए भारत का पक्ष रखा. साथ ही वैश्विक शांति के लिए शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के बौद्ध सिद्धांतों पर जोर दिया.

राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत हमेशा जटिल अंतरराष्ट्रीय मुद्दों के समाधान के लिए बातचीत का पक्षधर रहा है. बुधवार को ही राजनाथ सिंह ने चीन के रक्षा मंत्री डॉन्ग जून से वियनतियाने में ही मुलाकात की थी और पूर्वी लद्दाख से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए दोनों देशों के सैनिकों की संख्या कम करने का आह्वान किया था.

विश्व के विभिन्न भागों में प्राकृतिक आपदाओं के कहर को देखते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि यह जलवायु परिवर्तन के खतरों का स्मरण दिलाता है. उन्होंने 11 वें एडीएमएम-प्लस संयुक्त वक्तव्य के लिए आज के परिदृश्य में सबसे प्रासंगिक विषय चुनने के लिए अध्यक्ष की सराहना की.

राजनाथ सिंह ने कहा कि, “रक्षा क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन मजबूत करने के लिए बहु-हितधारक जुड़ाव की आवश्यकता है, जिसमें जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के प्रबंधन के लिए अभिनव समाधान विकसित करना शामिल है. इसमें कमजोर आबादी की रक्षा के साथ-साथ हमारे रक्षा प्रतिष्ठानों की सुरक्षा भी शामिल है.”

राजनाथ सिंह ने साझा प्राकृतिक संसाधन और इकोसिस्टम जो जीवन को बनाए रखने और पृथ्वी पर समृद्धि लाने के लिए आवश्यक हैं- ग्लोबल कॉमन्स की ओर ध्यान आकर्षित किया. उन्होंने एकपक्षीय कार्रवाई का सहारा न लेकर न्यायपूर्ण और संतुलित तरीके से इन ग्लोबल कॉमन्स की सुरक्षा करने की आवश्यकता पर जोर दिया. राजनाथ सिंह ने कहा कि ये संसाधन अमूल्य पारिस्थितिक, आर्थिक और सामाजिक लाभ प्रदान करते हैं जो राष्ट्रीय सीमाओं से परे हैं.

11 वें एडीडीएम-प्लस फोरम में 10 आसियान देश, आठ से अधिक देश और तिमोर लेस्ते शामिल थे. बैठक की अध्यक्षता लाओस के उप प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री जनरल चांसमोन चान्यालथ ने की.

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