तानाशाह किम जोंग उन के सैनिक रूस की तरफ से लड़ने के लिए कुर्स्क पहुंचे तो उत्तर कोरिया की विदेश मंत्री भी इनदिनों मॉस्को के दौरे पर हैं. ऐसे में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने सेना से करीबी संबंध होने और सुरक्षा में आ रही दिक्कतों को सुलझाने में उत्तर कोरिया की प्रशंसा की.
उत्तर कोरिया की विदेश मंत्री चोए सोन-हुइ ने भी यूक्रेन के खिलाफ ‘रूस की विजय’ का भरोसा जताया और कहा कि “प्योंगयांग रशियन कामरेड के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहेगा.”
उत्तर कोरिया की विदेश मंत्री ऐसे समय में मॉस्को के दौरे पर हैं जब अमेरिका के विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री भी दक्षिण कोरिया के साथ ‘टू-प्लस-टू मीटिंग’ (2+2)के लिए सियोल में मौजूद थे.
दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में यूएस रक्षा सचिव (मंत्री) लॉयड ऑस्टिन ने कहा कि “अमेरिका और दक्षिण कोरिया अपने सहयोगियों और भागीदारों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि इंडो-पैसिफिक (कोरियाई प्रायद्वीप) और यूरोप (यूक्रेन) में जबरदस्ती और अस्थिर व्यवहार के खिलाफ खड़े हो सकें. यह कार्य हमारे दोनों राष्ट्रों और पूरी दुनिया की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है.”
इसी दौरान जब दक्षिण कोरिया और अमेरिका के बीच टू-प्लस-टू मीटिंग चल रही थी, पड़ोसी (दुश्मन) देश उत्तर कोरिया का तानाशाह किम जोंग उन, इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) का परीक्षण देख रहा था. न्यूक्लियर वॉरहेड ले जाने में सक्षम इस मिसाइल के टेस्ट से अमेरिका के होश उड़ गए हैं.
मॉस्को में उत्तर कोरिया की विदेश मंत्री ने भी कहा कि “परमाणु हमले के खिलाफ प्योंगयांग जवाबी कार्रवाई की तैयारी में जुटा रहेगा.”
लावरोव ने भी उत्तर कोरिया की विदेश मंत्री को भरोसा दिलाया कि इसी साल राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और किम जोंग के बीच जो सिक्योरिटी एग्रीमेंट हुआ था, उससे “कोरियाई प्रायद्वीप और यूरेशिया में स्थिरता स्थापित होने में खासी मदद मिलेगी.” इस समझौते के तहत रूस और उत्तर कोरिया पर अगर कोई संकट आता है या युद्ध झेलना पड़ा है तो एक-दूसरे की मदद करेंगे. यही वजह है कि उत्तर कोरिया के सैनिक यूक्रेन के खिलाफ लड़ने के लिए रूस गए हैं.
अमेरिका का दावा है कि उत्तर कोरिया ने करीब 10 हजार सैनिकों को यूक्रेन के खिलाफ लड़ने के लिए रूस भेजा है. इनमें से अकेले आठ हजार कुर्स्क प्रांत में भेजे गए हैं, जहां यूक्रेन ने एक बड़े हिस्से को रूस से छीन लिया है.