लेह-लद्दाख में हिंसा और तनाव के बीच भारतीय सेना की उत्तरी कमान के कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा ने लेह पहुंचकर लद्दाख के उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता से मुलाकात की और क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति और उभरते घटनाक्रमों के बारे में जानकारी दी.
उत्तरी कमान के मुताबिक, ले. जनरल शर्मा की उपराज्यपाल से मुलाकात के दौरान, लेह स्थित फायर एंड फ्यूरी कोर (14वीं कोर) के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला भी मौजूद थे. सेना की उत्तरी कमान (मुख्यालय उधमपुर) के अंतर्गत 14वीं कोर की जिम्मेदारी कारगिल और सियाचिन से लेकर पूर्वी लद्दाख में चीन से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की सुरक्षा की है.
लद्दाख के सामाजिक कार्यकर्ता (और अब आरोपी) सोनम वांगचुक ने हालिया बयान में कहा था कि अगर अब चीनी सेना पूर्वी लद्दाख में आई तो लद्दाखी लोग चीनी सेना को आगे जाने का रास्ता बताएगी कि कहां जाना है. वांगचुक ने धमकी दी थी कि अभी तक लद्दाख की जनता, चीन की सेना को सीमा पर रोकती आई थी. लेकिन जब भारत सरकार उनकी (वांगचुक) की डिमांड नहीं मांग रही है तो लद्दाख के लोग चीनी सेना का साथ देगी.
पिछले वर्ष के अक्तूबर महीने में भारत और चीन ने एलएसी पर शांति और स्थिरता बनाने के लिए डिसएंगेजमेंट करार किया था. इसके बाद दोनों देशों की सेनाएं तनावग्रस्त एलएसी से पीछे हट गई थी. गलवान घाटी की हिंसा (2020) की हिंसा के बाद से ही दोनों देशों की सेनाओं के बीच जबरदस्त तनातनी चल रही थी.
शनिवार को ही लद्दाख पुलिस ने वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार किया गया है. लद्दाख पुलिस के डीजीपी ने यहां तक आरोप लगाएं हैं कि वांगचुक, एक पीआईओ यानी पाकिस्तानी इंटेलिजेंस ऑपरेटिव के संपर्क में था. खबर है कि कुछ महीने पहले, वांगचुक पाकिस्तान के दौरे पर भी गया था. साथ ही अपने अनशन के दौरान, वांगचुक ने कई बार देश-विरोधी भड़काऊ भाषण दिए थे, जिसके कारण बुधवार को हिंसा भड़की. हिंसा को काबू करने के लिए पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और कई दर्जन घायल हुए.