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म्यांमार में दिखे अमेरिकी वेटरन, डोवल की BIMSTEC को सुरक्षा

पड़ोसी देश म्यांमार में अस्थिरता के बीच एनएसए अजीत डोवल ने बिम्सटेक देशों के सुरक्षा से जुड़े अहम मुद्दे पर नाएप्यीडॉ  में सिक्योरिटी कांफ्रेंस में हिस्सा लिया है. ये सम्मेलन भारत की अगुवाई में ऐसे समय में हुआ है जब हाल ही में एक वीडियो सामने आया था जिसमें यूएस फोर्सेज के वेटरन म्यांमार के विद्रोहियों के साथ जंगलों में दिखाई पड़े हैं.

बिम्सटेक देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) और सिक्योरिटी चीफ की मौजूदगी में डोवल ने काउंटर-टेररिज्म यानी आतंकवाद के खिलाफ सहयोग को मजबूत करने के साथ-साथ ड्रग्स तस्करी, संगठित अपराध और हथियारों की स्मगलिंग जैसे मुद्दों पर सहयोग करने का आह्वान किया.

‘बे ऑफ बंगाल इनीशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टर टेक्नीकल एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन’ (बीआईएमएसटीईसी यानी बिम्सटेक) का वर्ष 1997 में गठन किया गया था ताकि सदस्य देशों के बीच व्यापार, निवेश और आपसी मेलजोल बढ़ाए जाए. साथ ही सुरक्षा के क्षेत्र में भी बिम्सटेक देश सहयोग कर सकें.

बिम्सटेक सात दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का एक समूह है जिसमें भारत के अलावा बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड शामिल हैं. (https://x.com/IndiainMyanmar/status/1816740003063410983)

म्यांमार दौरे के दौरान एनएसए डोवल ने म्यांमार के एनएसए से अलग से द्विपक्षीय वार्ता भी की. साथ ही सभी बिम्सटेक देशों के सिक्योरिटी चीफ ने म्यांमार के प्रधानमंत्री मिन ऑन्ग हेलांग से भी मुलाकात की.

म्यांमार के साथ भारत इसलिए भी सुरक्षा सहयोग बढ़ाने चाहता है. क्योंकि, पिछले कुछ महीनों से म्यांमार में विद्रोही संगठनों ने एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है. खासतौर से चीन से सटे कचिन और भारत के करीब रखाइन प्रांतों में विद्रोहियों और म्यांमार जुंटा के सैनिकों के बीच जबरदस्त लड़ाई चल रही है. (म्यांमार में जबरदस्त हिंसा, भारत से शरणार्थी वापस )

भारत को अंदेशा है कि अगर विद्रोहियों ने भारत से सटी सीमा के आसपास कब्जा कर लिया तो मणिपुर जैसे राज्यों में उग्रवादी घटनाएं बढ़ सकती है. एक साल पहले मणिपुर में भड़की जातीय हिंसा में भी म्यांमार में सक्रिय उग्रवादी संगठनों को भी जिम्मेदार माना जा रहा है. ऐसे में म्यांमार में राजनीतिक अस्थिरता भारत के लिए कतई अनुकूल नहीं है.

इस बीच म्यांमार के विद्रोहियों के साथ अमेरिका के पूर्व फौजियों की तस्वीरें सामने आई है. इन वीडियो से अंदाजा लगाया जा सकता है कि म्यांमार के विद्रोहियों को हथियार और दूसरी मदद विदेशों से मिल रही है. अमेरिका की संदिग्ध संस्था यूएसऐड पहले ही म्यांमार की जुंटा (सैन्य शासन) के खिलाफ लड़ने के लिए सिविल सोसायटी को 42 मिलियन डॉलर की मदद दी चुकी है.

हाल ही में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भी एक देश पर मिलिट्री बेस बनाने के लिए दबाव डालने का सनसनीखेज आरोप लगाया था. ऐसा न करने पर शेख हसीना की सरकार गिराने की धमकी भी दी गई थी. पिछले हफ्ते ही बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों को लेकर जबरदस्त हिंसा भड़क गई थी.

पड़ोसी देशों में शांति और राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने के उद्देश्य से ही बिम्सटेक समूह के देशों के आपसी सहयोग में सुरक्षा को अहम मुद्दा बनाया गया है और भारत ही उसके लिए मुख्य तौर से जिम्मेदारी निभाएगा.