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लश्कर ने IS से मिलाया हाथ, कश्मीर से लेकर बलूचिस्तान हाई अलर्ट पर

पहलगाम हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर में मुंह की खाने के बाद अब पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी, भारत के खिलाफ ‘हाइब्रिड वॉरफेयर’ में जुट गई है. इसके लिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ने आतंकी संगठन आईएस (खुरासान) और लश्कर ए तैयबा का गठबंधन करा दिया है. ऐसे में आईएस ने जम्मू कश्मीर में यलगार की धमकी दी है तो बलूचिस्तान में आईएस की मदद के लिए लश्कर ए तैयबा ने हाथ आगे बढ़ाया है.

इस्लामिक स्टेट ने अपनी मैगजीन में कश्मीर की तरफ किया इशारा

इस्लामिक स्टेट ऑफ खुरासान प्रोविंस (आईएसकेपी) ने अपनी प्रोपेगेंडा मैगजीन ‘यलगार‘ में जम्मू कश्मीर में अपने पैर पसारने का इशारा किया है. भारत की इंटेलिजेंस एजेंसियों को पूरा यकीन है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने आईएसकेपी को ऐसा करने के लिए उकसाया है. ये वही आईएस है जिसे अफगानिस्तान भी अपनी धरती पर पांव पसारने से रोक देता है.

भारत की इंटेलिजेंस एजेंसियों की मानें तो पाकिस्तानी डीप स्टेट ने एक तीर से दो निशाना लगाने की साजिश रची है. जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों की मौजूदगी को कम कर आईएस जैसे चरमपंथी और आतंकी संगठनों की सक्रियता बढ़ाई जाए ताकि दुनिया की नजरों में पाक साफ दिखाई दे. पर्दे के पीछे से हालांकि, लश्कर ए तैयबा का लॉजिस्टिक नेटवर्क, आईएस की आतंकी गतिविधियों बढ़ाने में मदद करेगा.

बलूचिस्तान में आईएस की मदद करेगा लश्कर ए तैयबा, मुनीर का गेम प्लान तैयार

दूसरी तरफ आईएसआई ने लश्कर ए तैयबा को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से बाहर बलूचिस्तान में बलोच लड़ाकों के खिलाफ उतारने की तैयारी की है. बलूचिस्तान में लश्कर के आतंकी, आईएसकेपी के साथ मिलकर बलोच लड़ाकों का मुकाबले करेंगे.

हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख असीम मुनीर ने व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की थी. इस मुलाकात में मुनीर ने ट्रंप को बलूचिस्तान में खनिज पदार्थ और रेयर अर्थ मिनरल्स की खदान देना का वादा किया था. साथ ही कराची के करीब एक बंदरगाह भी अमेरिका को देना का प्रस्ताव दे दिया है.

मुनीर लेकिन इस बात से भली भांति परिचित है कि बलूचिस्तान में बलोच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) और मजीद ब्रिगेड ने किस तरह चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) में अड़ंगा लगाया है और चीनी नागरिकों को निशाना बनाय है. मुनीर कदापि नहीं चाहेगा कि अमेरिकी नागरिकों और कंपनियों के साथ भी बलोच लड़ाके ऐसा बर्ताव करें. यही वजह है कि बलोच लड़ाकों को काउंटर करने के लिए आईएसआई ने आईएसकेपी और लश्कर का गठजोड़ कराया है.

लश्कर की बलूचिस्तान से है पुराना नाता, यासीन भटकल भी ले चुका है हथियारों की ट्रेनिंग

लश्कर का हालांकि, बलूचिस्तान के क्वेटा में एक पुराना मरकज तकवा है, जिसे आतंकियों के ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता था. इसी कैंप में कभी आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन के संस्थापक यासीन भटकल को हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी गई थी. भटकल को भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने नेपाल बॉर्डर से गिरफ्तार किया था. भटकल पर भारत के अलग-अलग शहरों में सीरियल बम ब्लास्ट करन के आरोप हैं और फिलहाल जेल की हवा काट रहा है.

भारत की खुफिया एजेंसियों के हाथ लगी लश्कर और आईएस की खास तस्वीर

भारत की खुफिया एजेंसियों को हाल में एक ऐसी तस्वीर हाथ लगी थी जिसमें बलूचिस्तान में आईएसकेपी का कॉर्डिनेटर मीर शफीक मेंगल ने लश्कर के सीनियर कमांडर राणा मोहम्मद अशफाक को एक तोहफे के तौर पर पिस्टल सौंपी थी. लश्कर में अशफाक की जिम्मेदारी आतंकी गतिविधियों को पाकिस्तान के अलग-अलग हिस्सों में बढ़ाना और नए मरकज (ट्रेनिंग कैंप) खोलना है. साथ ही दूसरे आतंकी संगठनों के साथ गठजोड़ करना है.

मीर शफीक, बलूचिस्तान के पूर्व मुख्यमंत्री नासिर मेंगल का बेटा है और खासा रसूख रखता है. वर्ष 2023 में उसकी पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के साथ तस्वीरें भी सामने आई थी. लेकिन उसकी असल पहचान है आईएसआई के ‘एसैट’ के तौर पर. आईएसआई के इशारे पर मीर शफीक, बलूचिस्तान में एक सीक्रेट ‘डेथ स्क्वाड’ चलाता है. पिछले कुछ सालों से उसने आईएसकेपी का हाथ भी थाम लिया है.

मीर शफीक की डेथ स्क्वाड ने बलोच नागरिकों को अपना निशाना बनाया है. साथ ही आईएसकेपी को फंडिंग से लेकर सेफ हाउस और हथियार भी मुहैया कराता है.

बलोच लड़ाके आईएस पर पड़े भारी तो पाकिस्तानी डीप स्टेट ने लश्कर को उतारा मैदान में

शफीक ने बलूचिस्तान के मस्तुंग और खुजदर में दो ऑपरेशन्ल बेस तैयार किए हैं. इसी वर्ष मार्च में बलोच लड़ाकों ने आईएसकेपी के मस्तुंग कैंप पर हमला कर 30 आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया था. यही वजह है कि आईएसआई ने बलूचिस्तान में लश्कर को बलोच लड़ाकों के खिलाफ उतारा है.

साफ है कि आईएसआई की सरपरस्ती में अलग-अलग आतंकी संगठन हाथ मिला रहे हैं, जिससे दक्षिण एशिया में अस्थिरता आएगी और जियोपॉलिटिक्स भी गड़बड़ा सकती है.

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