ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सरकार ने किया है बड़ा खुलासा. खुलासा ये कि कैसे सिर्फ 23 मिनट में भारतीय तकनीक से, वायुसेना ने पाकिस्तान में चीनी और तुर्किए के हथियारों को विफल किया. कैसे वायुसेना 23 मिनट तक चीनी एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देने में कामयाब रही. सरकार ने सिलसिलेवार ढंग से बताया है कि पहलगाम में हुए नरसंहार के बाद भारत ने पाकिस्तान पर जो कड़ा प्रहार किया, उसके पीछे भारतीय तकनीक की आत्मनिर्भरता के कारण विजय हासिल हुई. सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर में भारत की वायु रक्षा प्रणालियों ने शानदार प्रदर्शन की सराहना की है.
भारत ने पाकिस्तान में चीनी एयर डिफेंस सिस्टम को जाम किया
भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान की चीन निर्मित वायु रक्षा प्रणालियों को दरकिनार कर दिया और उन्हें जाम कर दिया, और मिशन को मात्र 23 मिनट में पूरा कर भारत की तकनीकी बढ़त को प्रदर्शित किया. प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) के मुताबिक, सामरिक शक्ति से परे, इस ऑपरेशन की जो बात सबसे अलग थी, वह थी राष्ट्रीय रक्षा में स्वदेशी हाई-टेक प्रणालियों का सफल और निर्बाध प्रदर्शन. चाहे ड्रोन युद्ध हो, लेयर्ड एयर डिफेंस हो या इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, ऑपरेशन सिंदूर सैन्य अभियानों में तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत की यात्रा में एक मील का पत्थर है. पीआईबी ने बताया कि “इस मिशन के दौरान भारत ने चीन की पीएल-15 मिसाइल, तुर्किये के ड्रोन, जिनको यिहा या यीहाव कहा जाता है और लंबे दूरी के रॉकेट, क्वाडकॉप्टर और वाणिज्यिक ड्रोन को तबाह कर दिया. भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इन हथियारों का मलबा भी बरामद कियाय जांच में पता चला कि पाकिस्तान ने विदेश में मिले हथियारों का प्रयोग किया, लेकिन इसके आगे भारत की स्वदेशी वायु रक्षा प्रणाली और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध नेटवर्क बेहतर साबित हुआ.”
नूर खान और रहीमयार खान एयरबेस पर को सर्जिकल सटीक टारगेट
सरकार ने बताया कि “भारत के आक्रामक हमलों ने पाकिस्तान के प्रमुख एयरबेस- नूर खान और रहीमयार खान को सर्जिकल सटीकता के साथ निशाना बनाया. मंडराते हथियारों का इस्तेमाल विनाशकारी तरीके से किया गया, जिनमें दुश्मन के रडार और मिसाइल सिस्टम सहित उच्च-मूल्य वाले लक्ष्यों को ढूंढकर नष्ट कर दिया गया.”आत्मघाती ड्रोन” या “कामिकेज़ ड्रोन” वे हथियार प्रणालियां हैं जो लक्ष्य क्षेत्र के आसपास मंडराते या चक्कर लगाते हैं, तथा हमला करने से पहले उपयुक्त लक्ष्य की तलाश करते हैं.”
भारत के इन हथियारों और प्रणालियों का बेहतर प्रदर्शन
सरकार ने बताया कि “भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में पिकोरा, ओएसए-एके, एलएलएडी गन और आकाश मिसाइल जैसी वायु रक्षा प्रणालियों का शानदार प्रदर्शन किया. आकाश एक छोटी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है जो हवाई हमलों से कमजोर क्षेत्रों की रक्षा करती है. आकाश हथियार प्रणाली ग्रुप मोड या ऑटो मोड में एक साथ कई लक्ष्यों को निशाना बना सकती है. इसे मोबाइल प्लेटफॉर्म पर एकीकृत किया गया है.”
ऑपरेशन सिंदूर की तैयारी और कोऑर्डिनेशन
सरकार ने बताया कि, “आतंकवादियों पर सटीक हमले नियंत्रण रेखा या अंतर्राष्ट्रीय सीमा को पार किए बिना किए गए थे, इसलिए यह अनुमान लगाया गया था कि पाकिस्तान की तरफ से जवाबी कार्रवाई होगी. सेना और वायु सेना दोनों की जवाबी मानव रहित हवाई प्रणालियों, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध सामग्रियों और वायु रक्षा हथियार हाईअलर्ट रहे. इस मल्टीलेवल सिक्योरिटी ने 9-10 मई की रात को हमारे हवाई अड्डों और सामरिक प्रतिष्ठानों पर पाकिस्तानी वायु सेना के हमलों को रोका. पिछले एक दशक में लगातार सरकारी निवेश से निर्मित ये प्रणालियां इस ऑपरेशन के दौरान मनोबल बढ़ाने वाली साबित हुईं. उन्होंने यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई कि दुश्मन के जवाबी हमलों के दौरान भारत में नागरिक और सैन्य बुनियादी ढांचा दोनों ही बड़े पैमाने पर अप्रभावित रहे.”
हमारे एयर डिफेंस सिस्टम का शानदार प्रदर्शन
बयान में कहा गया कि “7-8 मई 2025 की रात को पाकिस्तान ने ड्रोन और मिसाइलों का इस्तेमाल करके अवंतीपुरा, श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, कपूरथला, जालंधर, लुधियाना, आदमपुर, भटिंडा, चंडीगढ़, नल, फलोदी, उत्तरलाई और भुज सहित उत्तरी और पश्चिमी भारत में कई सैन्य ठिकानों पर हमला करने की कोशिश की. इन्हें एकीकृत काउंटर यूएएस (मानव रहित हवाई प्रणाली) ग्रिड और वायु रक्षा प्रणालियों ने निष्प्रभावी कर दिया. वायु रक्षा प्रणालियां रडार, नियंत्रण केंद्र, तोपखाने तथा विमान- और भूमि-आधारित मिसाइलों के नेटवर्क का उपयोग करके खतरों का पता लगाती हैं, उन पर नजर रखती हैं और उन्हें निष्प्रभावी करती हैं. 8 मई की सुबह भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान के कई स्थानों पर वायु रक्षा रडार और प्रणालियों को निशाना बनाया. लाहौर में एक वायु रक्षा प्रणाली को निष्प्रभावी कर दिया गया.”
24 घंटे तक इसरो की 10 सैटेलाइन ने रखी नजर
सरकार की ओर से जारी पीआईबी की प्रेस रिलीज में कहा गया, “ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने भी योगदान दिया. 11 मई को एक कार्यक्रम में इसरो के प्रमुख वी नारायणन ने कहा, कि देश के नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कम से कम 10 सैटेलाइट लगातार चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं. सैटेलाइट ने सात हजार किमी लंबे समुद्री तट और पूरे उत्तरी हिस्से पर लगातार नजर रखी.”
भारतीय संपत्ति को कोई नुकसान नहीं
सरकार की ओर से औपचारिक बयान में कहा गया है कि “ऑपरेशन सिंदूर के तहत हुए हमलों में भारतीय संपत्तियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा. यह हमारी निगरानी, योजना और वितरण प्रणालियों की प्रभावशीलता को रेखांकित करता है. लंबी दूरी के ड्रोन से लेकर निर्देशित युद्ध सामग्री तक, आधुनिक स्वदेशी तकनीक के इस्तेमाल ने इन हमलों को अत्यधिक प्रभावी बनाया.”
2030 तक भारत को ड्रोन हब बनाने का टारगेट
ऑपरेशन सिंदूर से भारत ने स्वदेशी रक्षा तकनीक में अहम कामयाबी हासिल की. निजी क्षेत्र के नवाचार, सार्वजनिक क्षेत्र के कार्यान्वयन और सैन्य दृष्टिकोण के तालमेल ने भारत को न केवल अपने लोगों और क्षेत्र की रक्षा करने में सक्षम बनाया है, बल्कि 21वीं सदी में सैन्य ताकत के रूप में अपनी भूमिका को भी मजबूत किया है. भारत ने स्वदेशी रक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए ड्रोन निर्माण का काम तेज कर दिया है. ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया ने 550 से अधिक ड्रोन कंपनियों और 5500 ड्रोन पायलटों के साथ मिलकर 2030 तक भारत को वैश्विक ड्रोन हब बनाने का लक्ष्य तय किया है.