अरब सागर और अदन की खाड़ी में समुद्री-लुटेरों और हूती विद्रोहियों के हमलों से निपटने के लिए तैनात भारतीय सेना ड्रग-स्मगलर्स को भी चुन चुन कर ‘हंट’ कर रही है. एक ऐसे ही सफल ऑपरेशन में पी8आई टोही विमान की मदद से भारतीय नौसेना और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने तीन टन से भी ज्यादा की चरस और दूसरे प्रतिबंधित ड्रग्स की एक बड़ी खेप को अरब सागर में जब्त करने का दावा किया है.
पी8आई, भारतीय नौसेना को एक लॉन्ग रेंज मेरीटाइम एंड रेनोकोनेसेंस पेट्रोल एयरक्राफ्ट है जिसे इनदिनों अरब सागर की निगरानी के लिए तैनात किया गया है. हाल ही में सोमालियाई समुद्री-लुटेरों के खिलाफ किए गए सफल ऑपरेशन में इन टोही विमानों का इस्तेमाल किया गया था. एंटी शिप और टोरपीडो से लैस पी8आई (पोसाइडन) एंटी सबमरीन वारफेयर के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है. इसीलिए इन्हें ‘हंटर’ के नाम से भी जाना जाता है. चीन की पनडुब्बियों में इन हंटर्स का खासा खौफ रहता है. क्योंकि ये समंदर की सतह से लेकर कई सौ मीटर नीचे तक नजर रखने में कामयाब रहते हैं.
हिंद महासागर के विस्तृत क्षेत्र में पी8आई एक कारगर विमान है जो चप्पे पर नजर रखता है. उसी का नतीजा है कि अरब सागर में घूम रही संदिग्ध ढोह (बोट) को पी8आई ने तुरंत स्पॉट किया और फौरन करीब में ही पैट्रोल कर रहे नौसेना के जंगी जहाज को अलर्ट कर दिया.
भारतीय नौसेना के प्रवक्ता, कमांडर विवेक मधवाल के मुताबिक, एनसीबी से इंटेलिजेंस साझा करने के बाद भारतीय नौसेना के युद्धपोत और टोही विमान ने संदिग्ध बोट को ‘लोकेट’ और ट्रैक करने के बाद इंटरसेप्ट किया. इसके बाद भारतीय नौसेना के मरीन कमांडो (मार्कोस) ने बोर्डिंग ऑपरेशन के जरिए इस संदिग्ध बोट में दाखिल हुए. बोट की सर्च में 3300 किलो नारकोटिक्स ड्रग्स बरामद हुई. इसमें 3089 किलो चरस, 158 किलो मेथाएमफेटाइन और 25 किलो मॉर्फिन बरामद हुई.
भारतीय नौसेना के मुताबिक, अमूमन ड्रग्स की ये स्मगलिंग (तस्करी) पाकिस्तान के मकरान तट से भारत, श्रीलंका, थाईलैंड और दूसरे हिंद महासागर क्षेत्र के देशों को की जाती है. मंगलवार की जो घटना सामने आई है उसकी जांच के लिए पूरा मामला एनसीबी और दूसरे एजेंसियों को सौंप दिया गया है.
कमांडर मधवाल के मुताबिक, इस मिशन के जरिए भारतीय नौसेना ने एक बार फिर ये दिखलाया है कि भारत की समुद्री-सीमाओं में किसी भी तरह की गैर-कानूनी गतिविधियों को नहीं पनपने दिया जाएगा. यही वजह है कि चाहे समुद्री-लुटेरों हो या फिर ड्रोन अटैक या फिर ड्रग्स की तस्करी, भारतीय नौसेना किसी भी तरह के खतरे से निपटने के लिए पूरी तरह कमर कस चुकी है. भारतीय नौसेना के इन मिशन में पी8आई एयरक्राफ्ट और एमक्यू-9 रीपर ड्रोन काफी मदद कर रहे हैं.
भारतीय नौसेना के पास फिलहाल दो (02) ही रीपर ड्रोन हैं जो 2020 में अमेरिका से लीज पर लिए थे. एमक्यू-9बी के 31 स्काई-गार्जियन ड्रोन की डील का प्रक्रिया अभी जारी है. हाल ही में नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने कहा था कि अगर ये डील इस साल हो जाती है तो भी इन ड्रोन को भारत आने में 36 महीने का वक्त लग सकता है यानी 2027 तक. ऐसे में तब तक पी8आई ही लंबे दूरी तक और लंबे समय तक समंदर के आसमान में रहकर देश की समुद्री सीमाओं को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी उठाएगी.
वर्ष 2013 में भारतीय नौसेना को अमेरिकी की बोइंग कंपनी से पहला पी8आई एयरक्राफ्ट मिला था. करीब 3 बिलियन डॉलर की डिफेंस डील में भारत को बोइंग से कुल 12 पी8आई विमान मिलने थे. आखिरी पी8आई भारतीय नौसेना को वर्ष 2022 में मिला था. पी8आई की पहली स्क्वाड्रन (आईएएनएस 312) तमिलनाडु के आईएनएस राजाली नेवल बेस पर तैनात रहती है. अरब सागर की सुरक्षा वातावरण को देखते हुए मार्च 2022 में यानी करीब दो साल पहले भारतीय नौसेना ने गोवा के आईएनएस हंस बेस पर पी8आई की दूसरी स्क्वाड्रन (आईएनएएस 316) स्थापित की. इस नेवल एयर बेस से ही अरब सागर की निगरानी की जाती है. (https://youtu.be/6BZSalBCbBo?si=HQn8vWfEa8Bm93SG)
2013 से अब तक भारतीय नौसेना के पी8आई करीब 40 हजार घंटे की उड़ान भर चुके हैं. इनकी शानदार प्रदर्शन को देखते हुए ही भारतीय नौसेना छह (06) अतिरिक्त पी8आई बोइंग कंपनी से खरीदने की योजना तैयार कर रही है.
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