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ट्रंप फिर टारगेट पर, पाकिस्तानी गिरफ्तार

जिस अमेरिका पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ मिलकर बांग्लादेश में हिंसा फैलाने का आरोप लग रहा है. उसी पाकिस्तान का एक नागरिक ईरान के साथ मिलकर अमेरिका के बड़े-बड़े नेताओं की हत्या का प्लान कर रहा था. अमेरिका की जांच एजेंसी एफबीआई ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप समेत अमेरिका के कई कद्दावर नेताओं की हत्या की साजिश का भंडाफोड़ किया है. 
अमेरिकी हाईप्रोफाइल नेताओं की किलिंग का खुलासा एक पाकिस्तानी नागरिक आसिफ मर्चेंट की गिरफ्तारी के बाद हुआ है. एफबीआई का दावा है कि अमेरिकी नेताओं की हत्या की स्क्रिप्ट ईरान में लिखी गई थी क्योंकि ईरान आईआरजीसी के कमांडर कासिम सुलेमानी की हत्या का बदला लेना चाहता है.

ईरान की साजिश, पाकिस्तानी शख्स को किया हायर
अमेरिका ने पाकिस्तानी शख्स आसिफ रजा मर्चेंट को गिरफ्तार किया है. ये गिरफ्तारी उस वक्त की गई है जब वो अमेरिका को गुपचुप तरीके से छोड़ने वाला था. आसिफ रजा पर अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप समेत कई बड़े नेताओं और अधिकारियों की हत्या करने की साजिश रचने का आरोप है. लेकिन वो अपने प्लान में सफल हो पाता इससे पहले ही अमेरिका ने दबोच लिया. एफबीआई के डायरेक्टर क्रिस्टोफर रे ने इसे ईरान की साजिश का हिस्सा बताया है.

एफबीआई के अंडर कवर एजेंट के संपर्क में था आसिफ रज़ा

अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक, मर्चेंट एक खास मकसद से पाकिस्तान से आया था. अमेरिका पहुंचने से पहले उसने कुछ समय ईरान में बिताया था. ईरान में समय बिताने के बाद आसिफ रजा अमेरिका आया था. आसिफ जून में न्यूयॉर्क गया था, जहां उसे हाई प्रोफाइल हत्याओं की सुपारी देने के लिए एक शख्स से मिलना था. ईरान से हत्या की लिखी स्क्रिप्ट को पूरा करने के लिए आसिफ रजा मर्चेंट की मुलाकात उन शूटर्स से हुई थी, जो दरअसल अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के अंडरकवर एजेंट थे. 

आसिफ रजा ने दो सुपारी किलर्स को 5000 डॉलर की पेमेंट की थी. शूटर के अलावा आसिफ रजा को एक महिला और 20-25 लोगों की तलाश थी, जो अमेरिकी नेता की हत्या से पहले रेकी करे और हत्या के बाद ध्यान भटकाने के लिए विरोध प्रदर्शन कर सकें,

आसिफ रजा के निशाने पर ट्रंप थे या कोई और?
एफबीआई के मुताबिक, आसिफ रजा ने शूटर्स से उस नेता का नाम नहीं बताया था, जिसकी हत्या की जानी थी, लेकिन अमेरिका से रवाना होने से पहले उसने किलर्स से कहा था कि पाकिस्तान पहुंचने के बाद वह उन लोगों के नाम उजागर करेगा, जिनकी हत्या की जानी है. हत्या की सुपारी के बाद शख्स ने 12 जुलाई को अमेरिका छोड़ना चाहा पर अमेरिकी एजेंसी ने आसिफ रजा मर्चेंट को गिरफ्तार कर लिया. 
आसिफ रजा फिलहाल न्यूयॉर्क की संघीय अदालत की हिरासत में है. एफबीआई ने उस नेता या नेताओं के नाम के बारे में नहीं बताया है, जो आसिफ रजा के निशाने पर हैं. पर माना जा रहा है कि वो नेता डोनाल़्ड ट्रंप हो सकते हैं. क्योंकि पिछले महीने जब ट्रंप पर पेंसिलवेनिया की एक रैली में अटैक हुआ था तब अमेरिकी प्रशासन ने कहा था कि एक खुफिया सूचना के बाद ट्रंप की सुरक्षा बढ़ाई गई थी. अब कहा जा रहा है कि ये वही खुफिया जानकारी थी, जिसकी वजह से ट्रंप की सुरक्षा पहले ही बढ़ाई गई थी.
अमेरिका ने अपने अदालती दस्तावेज में बताया था कि “आसिफ मर्चेंट ने 2020 में ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कोर (आईआरजीसी) के शीर्ष कमांडर कासिम सुलेमानी की हत्या का बदला लेने के लिए अमेरिकी नेताओं की हत्या की साजिश रची है.”

पाकिस्तानी नागरिक के ईरान से करीबी संबंध: एफबीआई
एफबीआई की तरफ से जारी की गई प्रेस रिलीज के मुताबिक, “पाकिस्तानी नागरिक आसिफ को अमेरिका में बड़ी साजिश को अंजाम देने से पहले गिरफ्तार किया गया है.”
एबीआई के निदेशक क्रिस्टोफर रे ने कहा-ृ कि “पाकिस्तानी नागरिक के ईरान से करीबी संबंध हैं.  मर्चेंट ने अमेरिकी धरती पर एक राजनेता और अधिकारियों की हत्या की साजिश रची थी.”
न्यूयॉर्क के अटॉर्नी ब्रेओन पीस ने कहा, “मर्चेंट ने दूसरे देश के लोगों की ओर से काम करते हुए अमेरिकी धरती पर सरकारी अधिकारियों की हत्या की साजिश रची.”अमेरिकी राष्ट्रपति के दफ्तर (व्हाइट हाउस) की प्रवक्ता ने हालांकि साफ किया कि पाकिस्तानी नागरिक को पिछले महीने पेंसिल्वेनिया में ट्रंप पर हुए जानलेवा हमले मामले में गिरफ्तार नहीं किया गया है. ये अलग मामला है.

ट्रंप पर हुआ था हमला, बाल-बाल बची थी जान
अमेरिका के पेंसिल्वेनिया में पिछले महीने एक चुनावी सभा को संबोधित करने के दौरान ताबड़तोड़ गोलियां चली थी. जिसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने घेरकर ट्रंप की जान बचाई थी. ट्रंप के कान से गोली छूती हुई निकल गई थी. ट्रंप पर हमला करने वाले हमलावर की पहचान 20 साल के थॉमस मैथ्यू क्रूक्स के तौर पर की गई थी जिसे फौरन मार गिराया गया था. पर आसिफ रजा का थॉमस क्रूक्स से कोई भी संबंध अबतक नहीं निकला है. (रैली में ट्रंप पर जानलेवा हमला, बाल-बाल बचे)

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