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Korea प्रायद्वीप में शांति के सभी रास्ते बंद ?

सुदूर पूर्व एशिया के उत्तर और दक्षिण कोरिया में एक बार फिर युद्ध की आग सुलगने लगी है. दक्षिण कोरिया ने उत्तर कोरिया के साथ शांति बनाए रखने के लिए गठित ‘कोरियाई प्रायद्वीप और सुरक्षा मामलों के ब्यूरो’ को हमेशा हमेशा के लिए बंद कर दिया है. इसके बजाए दक्षिण कोरिया ने इस महकमे को ‘डिप्लोमेटिक स्ट्रेटेजी एंड इंटेलिजेंस इन कोरिया ऑफिस’ का नया नाम दिया है. 

दक्षिण कोरिया का ये अहम कदम उत्तर कोरिया के सनकी तानाशाह किम जोंग उन के इस ऐलान के बाद आया है जिसमें उसने सियोल से शांतिपूर्ण एकीकरण के लिए बनाई गई कमेटी को भंग कर दिया था. किम जोंग ने साफ तौर से कहा कि अब दक्षिण कोरिया से “शांतिपूर्ण तरीके से एकीकरण नहीं हो सकता है” और जरूरत हुई तो युद्ध के जरिए सियोल पर कब्जा कर लिया जाएगा. 

दक्षिण कोरिया का कोरियाई प्रायद्वीप और सुरक्षा मामलों का ब्यूरो विदेश मंत्रालय के अधीन कार्यरत है. इस महकमे को वर्ष 2006 में बनाया गया था ताकि उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को लेकर दूसरे देशों के साथ मिलकर कोई शांतिपूर्ण राजनयिक हल निकाला जा सके. लेकिन किम जोंग उन के उत्तर कोरिया ने परमाणु हथियारों के निर्माण को जारी रखा. इसके अलावा बैलिस्टिक मिसाइल के परीक्षण के जरिए दक्षिण कोरिया को उकसाने की कोशिश करता रहा. 

वर्ष 2018 में किम जोंग उन और दक्षिण कोरिया के तत्कालीन राष्ट्रपति मून जे इन के बीच हुए ऐतिहासिक ‘कोरियाई-समिट’ के बाद दोनों देशों के बीच संबंध सुधरते हुए दिखाई पड़ रहे थे. दोनों देशों के बीच बेहद ही संवेदनशील बॉर्डर ‘डीएमजेड’ यानी डि-मिलिट्राइज जोन पर हुए इस सम्मेलन के बाद लेकिन शांति थोड़े समय के लिए ही रही. 

हालांकि, दक्षिण कोरिया ने उत्तर कोरिया की होड़ में कभी परमाणु हथियार बनाने का प्लान नहीं बनाया लेकिन पिछले साल अमेरिका परमाणु पनडुब्बी के बुसान बंदरगाह (दक्षिण कोरिया) पहुंचने पर किम जोंग भड़क गया. चीन और रुस जैसे देशों के बल पर उछल-कूद मचाने वाले किम जोंग ने अमेरिका और दक्षिण कोरिया दोनों को ही इस तरह के कार्रवाई के गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दे डाली. 

सामरिक जानकारों की मानें तो कोरियाई प्रायद्वीप में पिछले 70 सालों में सबसे ज्यादा नाजुक हालत हैं. कभी एक संगठित देश रहे उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच 50 के दशक में ‘कोरियाई युद्ध’ (1950-53) हुआ था. तीन साल चले इसी जंग के बाद संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता से युद्धविराम तो हो गया था लेकिन तनातनी आज तक बरकरार है.  

पिछले हफ्ते ही दिल्ली में दक्षिण कोरिया के राजदूत ने टीएफए के सवाल के जवाब में कहा था कि “अपनी सत्ता कायम रखने के लिए” ही किम जोंग परमाणु हथियार और बैलिस्टिक मिसाइलों के परीक्षण करता रहता है. साथ ही दक्षिण कोरिया के न्यूक्लियर वेपन बनाने को लेकर राजदूत ने कहा था कि इसको लेकर “उनके देश के लोगों का मत विभाजित है लेकिन उनका व्यक्तिगत मत है कि परमाणु हथियार किसी भी देश के लिए उचित नहीं हैं.” (https://youtu.be/Z0jBYGT47_s?si=j-t_9EFHRqLWElwl)

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