भारतीय सेना को आत्मनिर्भर बनाने और सामरिक दृष्टि से मजबूत करने की दिशा में, कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों- पृथ्वी-2 और अग्नि-1 का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है. रक्षा मंत्रालय ने दो शॉर्ट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइलों की सफल लॉन्च की पुष्टि की है. रक्षा मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, करते हुए कहा कि उन्होंने बैलिस्टिक मिसाइल ने सभी मिशन उद्देश्यों को पूरा किया.
विश्व में फैले संघर्ष को देखते हुए और दुश्मनों का मुकाबला करने के लिए ये जरूरी है कि भारत बैलिस्टिक मिसाइलों के मामले में आत्मनिर्भर बने. बुधवार को ही सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा था कि कल के हथियारों से भारतीय सेना, आज का मुकाबला नहीं कर सकता है.
शॉर्ट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइलों का सफल परीक्षण: रक्षा मंत्रालय
रक्षा मंत्रालय ने आधिकारिक बयान देते हुए बताया कि, “ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (आईटीआर) से दो स्वदेशी शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइलों पृथ्वी-II और अग्नि-1 का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया.”
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, “अग्नि-1 का परीक्षण ओडिशा के अब्दुल कलाम द्वीप से किया गया, जबकि पृथ्वी-II का परीक्षण कुछ देर बाद चांदीपुर स्थित आईटीआर के लॉन्च पैड-III से किया गया. दोनों मिसाइलें अपने-अपने निर्धारित लक्ष्यों पर सटीकता से वार करने में सफल रहीं और उड़ान के सभी चरणों में उन्होंने निर्धारित प्रदर्शन मानकों को पूरा किया.”
जानकारी के मुताबिक, ये परीक्षण सामरिक बल कमान (स्ट्रैटेजिक फोर्स कमांड) के तत्वावधान में किए गए, जिसका उद्देश्य भारत की न्यूक्लियर डिटरेंस नीति को और प्रभावी बनाना है.
दुश्मनों को जलाकर खाक करेगी अग्नि-1 मिसाइल
अग्नि-1, डीआरडीओ द्वारा विकसित मिसाइल है. अग्नि-1 मिसाइल मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसकी मारक क्षमता लगभग 700 से 1,000 किलोमीटर के बीच है. परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम ये मिसाइल ठोस ईंधन पर आधारित है और तेजी से लॉन्च की जा सकने वाली मिसाइलों की श्रृंखला का हिस्सा है.
पृथ्वी-II बढ़ाएगी सेना की ताकत, थर्राएंगे दुश्मन
पृथ्वी-II मिसाइल एक स्वदेशी रूप से विकसित सतह-से-सतह शॉर्ट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (एसआरबीएम) है, जिसकी मारक क्षमता लगभग 350 किलोमीटर तक है. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (आईजीएमडीपी) के तहत विकसित किया है.
इस मिसाइल की मारक क्षमता 250-350 किलोमीटर है और ये 500-1000 किलोग्राम तक का पेलोड ले जा सकती है. ये पारंपरिक तथा परमाणु दोनों प्रकार के हथियारों को ले जाने में सक्षम है.
पृथ्वी-II को 2003 में भारत के स्ट्रैटेजिक फोर्स कमांड में शामिल किया गया था. पृथ्वी-II मिसाइल में हाई एक्सप्लोसिव, पेनेट्रेशन, क्लस्टर म्यूनिशन, थर्मोबेरिक, केमिकल वेपन और टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन लगा सकते हैं.
24 घंटे पहले लद्दाख में हुआ आकाश प्राइम मिसाइल का परीक्षण
पृथ्वी 2 और अग्नि 1 के सफल परीक्षण से एक दिन पहले भारत ने लद्दाख क्षेत्र में अत्यधिक ऊंचाई पर संचालित करने में सक्षम आकाश प्राइम मिसाइल का भी सफल परीक्षण किया था. डीआरडीओ ने इस प्रणाली को विकसित किया है. परीक्षण के दौरान सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों ने अत्यंत ऊंचाई वाले क्षेत्र में अत्यंत तेज गति से चलने वाले विमानों पर दो सीधे प्रहार किए. यह टेस्ट सफल रहा.
आकाश प्राइम मूल रूप से आकाश प्रणाली का एक उन्नत संस्करण है. ऑपरेशन सिंदूर में आकाश प्रणाली ने तुर्किए के ड्रोन को मार गिराकर अपना दबदबा कायम किया था.आकाश वायु रक्षा प्रणाली एक मध्यम दूरी की, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है जिसे गतिशील, अर्ध-गतिशील और स्थिर सैन्य प्रतिष्ठानों को विभिन्न हवाई खतरों से बचाने के लिए डिजाइन किया गया है.
यह उन्नत रीयल-टाइम मल्टी-सेंसर डेटा प्रोसेसिंग, खतरे के मूल्यांकन और टारगेट को मार गिराने की क्षमताओं से लैस है. मौजूदा आकाश प्रणाली की तुलना में आकाश प्राइम बेहतर सटीकता के लिए एक स्वदेशी सक्रिय रेडियो फ्रीक्वेंसी (आरएफ) सीकर से लैस है.
मौजूदा हालात को देखते हुए और सशक्त हो रहा भारत
पहलगाम नरसंहार के बाद जिस तरह से भारतीय सेना ने पाकिस्तान को शिकस्त दी है. मौजूदा हालात में भारत को और सशक्त होने की आवश्यता है और तकनीक तौर पर दक्ष होना होगा. हमेशा हर स्थिति के लिए तैयार होना होगा. अग्नि 1 और पृथ्वी 2 बैलिस्टिक मिसाइलों कका परीक्षण भारत को सामरिक दृष्टि से और मजबूत करेगा.
सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने भी बुधवार को कहा था कि “विदेशों से आयात हथियारों और तकनीक भारत को कमजोर बना रही है, इसलिए सेना को नई टेक्नोलॉजी के साथ आत्मनिर्भर बनना होगा.”