नॉर्थ कोरिया के गंदगी भरे बैलून के बाद अब दक्षिण कोरिया ने जवाबी कार्रवाई करते हुए डि-मिलिट्राइज जोन (डीएमजेड) में एक बार फिर से प्रोपेगेंडा-लाउडस्पीकर लगाने का फैसला किया है. इन लाउडस्पीकर से बॉर्डर पर तैनात उत्तर कोरिया के सैनिकों और सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए के-पॉप के गाने, दक्षिण कोरिया के लोकतंत्र, बोलने की आजादी, विकास और आर्थिक समृद्धि के बारे में बताया जाएगा.
वर्ष 2018 में उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच हुई शांति समझौते के बाद दोनों ही देशों ने डीएमजेड यानी बॉर्डर एरिया से लाउडस्पीकर हटा दिए थे. शांति समझौते के तहत लाउडस्पीकर के अलावा मिलिट्री-ड्रिल को भी दोनों देशों ने बंद कर दिया था. साथ ही डीएमजेड एयर-स्पेस में फाइटर जेट फ्लाई करना भी बंद कर दिया था. कोरिया युद्ध (1950-53) के बाद दोनों पड़ोसी (दुश्मन) देशों के बीच करीब 350 किलोमीटर लंबा डि-मिलिट्राइज (बफर) जोन बनाया गया था. ये बफर जोन दोनों देशों में पांच-पांच किलोमीटर तक जाता है (https://x.com/neeraj_rajput/status/1306174245022695424).
बफर जोन बनाए जाने के कुछ साल बाद से ही कोरियाई प्रायद्वीप के दोनों देशों ने डीएमजेड पर लाउडस्पीकर के जरिए एक-दूसरे के सैनिकों को प्रभावित करना शुरु कर दिया था. ये लाउडस्पीकर फिर 2018 में हटा लिए गए थे. लेकिन पिछले कुछ दिनों से उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया में बड़े-बड़े बैलून (गुब्बारे) भेजना शुरु कर दिया है. इन बैलून में गंदगी भरी होती है. ये गुब्बारे डीएमजेड से सटे साउथ कोरिया के सीमावर्ती इलाकों से लेकर राजधानी सियोल की सड़कों तक पहुंच रहे हैं (नॉर्थ कोरिया ने गंदगी भरे Balloon भेजे सियोल, वजह जानकर रह जाएंगे भौचक्का).
उत्तर कोरिया का आरोप है कि दक्षिण कोरिया चोरी-छिपे के-पॉप और के-ड्रामा को सीडी और पेन-ड्राइव के जरिए तस्करी करता है. उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन को ये कतई बर्दाश्त नहीं है कि दक्षिण कोरिया की पूंजीवादी विचारधारा और जीवन-शैली उनके देश के नागरिक जान पाएं. इसी का बदला लेने के लिए किम जोंग ने गंदगी भरे बैलून दक्षिण कोरिया भेजना शुरु कर दिया है. क्योंकि उत्तर कोरिया, दक्षिण कोरिया की विचारधारा और जीवन-शैली को गंदगी ही मानता है.
पिछले कुछ महीनों से कोरियाई प्रायद्वीप में युद्ध के बादल छाए हुए हैं. किम जोंग ने एक बार फिर से बैलिस्टिक मिसाइलों के परीक्षण और डीएमजेड के करीब ही उकसावे वाले युद्धाभ्यास शुरु कर दिए हैं. ऐसे में दक्षिण कोरिया ने भी अमेरिका के साथ मिलिट्री एक्सरसाइज तेज कर दी हैं. साथ ही कुछ महीने पहले अमेरिका ने पहली बार अपनी एक न्यूक्लियर सबमरीन को दक्षिण कोरिया के बुसान बंदरगाह भेजकर उत्तर कोरिया को एक कड़ा संदेश दिया था. इन सबके बीच रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी जल्दी ही उत्तर कोरिया के दौरे पर जाने वाले हैं. ऐसे में कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव बढ़ने की उम्मीद है.