ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय वायुसेना को और मजबूत करने के लिए सरकार ने अतिरिक्त 97 स्वदेशी लड़ाकू विमान, एलसीए मार्क-1ए की खरीद को हरी झंडी दे दी है. इस खरीद की कुल कीमत करीब 62 हजार करोड़ है.
सूत्रों के मुताबिक, मंगलवार को सीसीएस ने एलसीए मार्क-1ए खरीद को मंजूरी दी है. हालांकि इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि एलसीए मार्क-1ए के लिए अमेरिकी इंजन की सप्लाई में हो रही देरी के कारण विमान निर्माण में गति बहुत धीमी है. लेकिन फिर भी समय की जरूरत और भविष्य को ध्यान में रखते हुए, 97 स्वदेशी लड़ाकू विमान और सौंपे जाएंगे.
वायुसेना को 97 एलसीए मार्क-1ए फाइटर जेट और मिलेंगे
वर्ष 2021 में रक्षा मंत्रालय ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से वायुसेना के लिए 83 लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) मार्क-1ए का करार किया था. इस करार की कुल कीमत करीब 48 हजार करोड़ थी. इन एलसीए लड़ाकू विमानों के लिए भारत ने अमेरिका की जीई कंपनी से 99 एफ-404 एविएशन इंजन का सौदा किया था.
पिछले डेढ़ साल से अमेरिका से इन एविएशन इंजन की सप्लाई एचएएल को ठीक प्रकार से नहीं हो पाई है. अभी तक महज दो (02) इंजन की सप्लाई ही अमेरिका से हुई है.
अमेरिका का दावा है कि ग्लोबल सप्लाई चेन बाधित होने के चलते ऐसा हो रहा है. लेकिन माना जा रहा है कि पहले खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की कोशिश की साजिश रचने और अब टैरिफ वॉर (और ऑपरेशन सिंदूर) के चलते, सप्लाई बेहद धीमी गति से हो रही है.
राजनाथ सिंह ने उठाया था पीट हेगसेथ के सामने मुद्दा
जुलाई के पहले सप्ताह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिका के रक्षा सचिव (मंत्री) पीट हेगसेथ से फोन पर लंबी चर्चा की थी. इस दौरान राजनाथ सिंह ने मार्क-1ए के इंजन की सप्लाई समय सीमा में करने पर जोर दिया था. वहीं अमेरिका की ओर से कहा गया है कि मार्च 2026 तक कुल 12 इंजन की सप्लाई की जाएगी.
एचएएल का दावा है कि इंजन सप्लाई दुरुस्त होने से वायुसेना को इस साल (मार्च 2026) तक 10 लड़ाकू विमानों की सप्लाई हो सकती है.
पिछले महीने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के प्रिंसिपल सेक्रेटरी पीके मिश्रा ने खुद एएचएल की बेंगलुरू स्थित फैसिलिटी का दौरा कर एलसीए प्रोजेक्ट की समीक्षा की थी. उस दौरान एचएएल ने छह मार्क-1ए वर्जन का स्टैटिक प्रदर्शनी किया था.
मार्क-1ए है एलसीए तेजस से एडवांस एयरक्राफ्ट
कंपनी के मुताबिक, एफ 404-आईएन 20 का थ्रस्ट सबसे ज्यादा और इसमें सिंगल-क्रिस्टल टरबाइन ब्लेड और हायर-फ्लो फैन है. इस इंजन के साथ लड़ाकू विमान ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी मैक 1.1 की रफ्तार से उड़ान भर सकता है.
एविएशन इंजन की सप्लाई में हो रही देरी से मार्क-1ए की डिलीवरी न होने के चलते वायुसेना प्रमुख एपी सिंह ने अपनी नाराजगी सार्वजनिक तौर से जाहिर की थी.
वायुसेना के लिए 83 एलसीए मार्क-1ए का सौदा
वर्ष 2021 में रक्षा मंत्रालय ने एचएएल से जिन 83 एलसीए मार्क-1ए लड़ाकू विमानों का सौदा किया था. उनमें 10 मार्क 1ए ट्रेनर एयरक्राफ्ट हैं. एचएएल का दावा था कि 2027-28 तक वायुसेना को सभी मार्क 1ए एयरक्राफ्ट मिल जाएंगे. लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है.
मार्क 1ए फाइटर जेट, एलसीए तेजस से उन्नत किस्म का है. बीवीआर यानी बियोंड विजुअल रेंज मिसाइल, एयर टू एयर रिफ्यूलिंग, आइसा रडार, इलेक्ट्रोनिक वारफेयर सूट सहित अर्ली वार्निंग रडार सिस्टम के चलते मार्क-1ए, एलसीए तेजस से ज्यादा घातक है.
पहली स्क्वाड्रन होगी नाल में तैनात
पाकिस्तान सीमा से सटे राजस्थान के नाल एयरबेस (बीकानेर) पर मार्क 1ए की पहली स्क्वाड्रन तैनात की जाएगी जिसे कोबरा के नाम से जाना जाएगा. शुरुआत में मार्क 1ए की तीन स्क्वाड्रन को खड़ा किया जाएगा. ये तीनों ही स्क्वाड्रन वेस्टर्न बॉर्डर यानी पाकिस्तानी से सटी सीमा के फॉरवर्ड लोकेशन एयरबेस पर तैनात की जाएगी. माना जा रहा है कि दूसरी स्क्वाड्रन गुजरात के कच्छ में नलिया एयर बेस पर तैनात की जाएगी.
वायुसेना के पास एलसीए तेजस (मार्क-1) की फिलहाल दो स्क्वाड्रन हैं जो तमिलनाडु के सुलूर एयरबेस पर तैनात रहती हैं. वायुसेना की एक स्क्वाड्रन में 16-18 लड़ाकू विमान होते हैं और दो ट्रेनर एयरक्राफ्ट होते हैं.
एलसीए की समय से डिलीवरी के लिए एचएएल ने नासिक और बेंगलुरु में दो अतिरिक्त फैसिलिटी शुरू की हैं ताकि हर साल 16 तेजस फाइटर जेट का निर्माण किया जा सके. लेकिन आने वाले सालों में ये संख्या बढ़ सकती है.