विनाश काले विपरीत बुद्धि जैसी हालत अब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की हो गई है. यूनुस सरकार ने बांग्लादेश के राष्ट्रपिता बंग-बंधु मुजीबुर्रहमान को करेंसी नोट से हटाने का फैसला लिया है.
जिस बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए बंग-बंधु मुजीबुर्रहमान ने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था. जिन्होंने बांग्लादेश के लोगों की स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी. जिस शख्स ने बांग्लादेश की स्थापना की, उनके लिए बांग्लादेश की अंतरिम सरकार क्या क्या भावनाएं हैं, वो खुलकर पूरी दुनिया के सामने आ गई है.
पहले तो शेख हसीना का तख्तापलट कर जान से मारने की कोशिश. फिर बांग्लादेश में बनी राष्ट्रपिता मुजीबुर्रहमान की मूर्ति के साथ हिंसा के दौरान अभद्रता तो अब मोहम्मद यूनुस सरकार ने करेंसी से बंगबंधु की तस्वीरें और निशानियां हटाने का फैसला लिया है.
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने नए नोट भी छापने शुरु कर दिए हैं, जिनमें से बंगबंधु की तस्वीरों को पूरी तरह से हटा दिया गया है.
बांग्लादेश की करेंसी से हट रही बंगबंधु की तस्वीर
बांग्लादेश में शेख हसीना के तख्तापलट के बाद अब अंतरिम सरकार बंगबंधु मुजीबुर्रहमान से जुड़ी एक-एक निशानी मिटाने में जुट गई है. बांग्लादेश के केंद्रीय बैंक के मुताबिक, अंतरिम सरकार के निर्देश पर 20, 100, 500 और 1,000 टका के बैंक नोट छापे जा रहे हैं.
बैंक के मुताबिक “नए नोटों में ‘बंगबंधु’ शेख मुजीबुर्रहमान की तस्वीर शामिल नहीं होगी. मौजूदा नोटों से नेता की छवि हटा दी जाएगी.” बांग्लादेश के केंद्रीय बैंक का दावा है कि नया नोट अगले छह महीनों के अंदर बाजार में जारी किया जा सकता है.
बैंक के मुताबिक, “पहले चार नोटों का डिज़ाइन बदला जा रहा है. इसके बाद चरणबद्ध तरीके से नोटों को बदला जाएगा. नोटों को बदलने की कवायद सितंबर महीने में शुरू हो गई थी.”
अभी ये साफ नहीं है कि नए नोट आने के बाद पुराने नोट भी चलते रहेंगे या फिर बंद हो जाएंगे. पर ऐसा माना जा रहा है कि पुराने नोटों को सरकार धीरे-धीरे मार्केट से बाहर कर दिया जाएगा.
वाह! क्या घटिया सोच है, करेंसी में किसने किया बंगबंधु को रिप्लेस?
सवाल ये है कि आखिर मुजीबुर्रहमान की जगह बांग्लादेश की अंतरिम सरकार किसकी तस्वीरें छापने वाली है. मोहम्मद यूनुस सरकार ने बंगबंधु की जगह पर जुलाई-अगस्त में हुए इस्लामी कट्टरपंथियों के प्रदर्शन की तस्वीरों को छापने का निर्देश दिया है.
आंदोलनों की तस्वीरों के अलावा करेंसी पर बांग्लादेश की मस्जिदों और बाकी धार्मिक स्थलों की फोटो इन पर छापी जाएगी. करेंसी पर छपने वाला ये वही हिंसात्मक आंदोलन है, जिसके बाद बांग्लादेश छोड़कर शेख हसीना को भागना पड़ा था. इसी आंदोलन में मुजीबुर्हमान की मूर्ति तोड़ी गई थी. उनकी मूर्ति के साथ अभद्रता की थी और गंदगी फेंकी गई थी.
पीएम आवास में घुसकर शेख हसीना के घर को प्रदर्शनकारियों ने तहस नहस कर डाला था. शेख हसीना के कपड़ों के साथ लोगों ने तस्वीरें खिंचवाई थीं. नौकरी कोटा से शुरु हुए आंदोलन ने एक अलग ही मोड़ ले लिया था, जिसका मकसद साफ था कि ‘डीप स्टेट’ के जाल में फंसकर बांग्लादेश में सिर्फ और सिर्फ साजिश शेख हसीना के तख्तापलट की थी.
पाकिस्तान की तरह ही बांग्लादेश की नई सरकार करती है मुजीबुर्रहमान से घृणा
यह पहला मौका नहीं है जब बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने मुजीबुर्रहमान की निशानी मिटाने की कोशिश की है. सत्ता में आने के बाद यूनुस सरकार ने उन 8 छुट्टियों को खत्म कर दिया था जो बंगबंधु की हत्या और उनसे जुड़ी हुई थीं.
यूनुस सरकार के मंत्रियों ने दफ्तरों में लगी मुजीबुर्रहमान की फोटो हटा दी थी. बांग्लादेश मुक्ति युद्ध से जुड़ी फोटो भी ढाका से हटाई जा चुकी है. अंतरिम सरकार की सोच ठीक वैसी है जैसी पाकिस्तान के लोग मुजीबुर्रहमान के लिए सोचते हैं. पाकिस्तान, मुजीबुर्रहमान का कट्टर दुश्मन है. वहां के लोग मुजीबुर्रहमान से नफरत करते हैं, क्योंकि पाकिस्तान से ही अलग करके बांग्लादेश को बनाया गया था. पर अब मोहम्मद यूनुस सरकार उसी मुजीबुर्रहान को हर एक स्मृतियों से हटा रहा है, जिनके प्रयासों से बांग्लादेश का निर्माण हुआ था.