भारत और रूस के सैन्य संबंधों में नया आयाम जुड़ने जा रहा है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा से पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मॉस्को जा रहे हैं. तीन दिवसीय दौरे (8-10 दिसंबर) के दौरान राजनाथ सिंह की मौजूदगी में रूस में निर्मित युद्धपोत (आईएनएस) तुशील को भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा. पिछले एक दशक में ये पहली बार है कि रूस में बना कोई जंगी जहाज नौसेना में शामिल होगा.
वर्ष 2013 में भारत ने रूस से आईएनएस विक्रमादित्य एयरक्राफ्ट कैरियर खरीदा था. पिछले एक दशक से भारत, स्वदेशी जंगी जहाज के निर्माण में जुटा है. यही वजह है कि इस वक्त इंडियन नेवी के जो 40 निर्माणाधीन युद्धपोत हैं, उनमें से मात्र दो ही विदेश में बन रहे हैं. इनमें से एक तुशील है, जो अगले महीने नौसेना में शामिल हो रहा है और दूसरा तमाला भी रूस में बन रहा है.
वर्ष 2010 में भारत ने रूस से चार स्टील्थ फ्रिगेट (युद्धपोत) खरीदने का सौदा किया था. ये चारों जहाज यूक्रेन के शिपयार्ड में बनाए जाने थे. लेकिन 2014 में यूक्रेन में हुए तख्तापलट और रूस से संबंधों में आई दरार के चलते इसका निर्माण रुक गया था.
2018 में रक्षा मंत्रालय ने एक बार फिर रूस से नया करार किया. इस नए करार के तहत दो युद्धपोत (तुशील और तामल) रूस में तैयार होने थे और बाकी दो गोवा शिपयार्ड में. माना जा रहा है कि रूस में निर्मित दूसरा युद्धपोत तामल भी अगले साल (2025) नौसेना में शामिल हो जाएगा. रूस के कलिनिनग्राड शिपयार्ड में इन दोनों जहाज का निर्माण हुआ है.
तुशील, एक संस्कृत का शब्द है, जिसका अर्थ होता है रक्षा करने वाला यानी प्रोटेक्टर.
पिछले एक दशक तक भारत जिन विदेशी हथियारों का इस्तेमाल करता था, उनमें से 70 प्रतिशत रूस के थे. लेकिन अब ये हिस्सेदारी 40 प्रतिशत रह गई है. यूक्रेन जंग के चलते रूस को भी अब हथियार और सैन्य उपकरण निर्यात करने में खासी दिक्कत आ रही है. वर्ष 2016 में रूस से जिन पांच एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम का सौदा भारत ने किया था, उनकी दो बैटरियां यूक्रेन जंग के चलते ही देरी से मिल रही है.
राजनाथ सिंह के दौरे से पहले खबर है कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के चेयरमैन भी इनदिनों रूस की यात्रा पर गए हैं. हालांकि, ये साफ नहीं है कि उनकी यात्रा का उद्देश्य क्या है. लेकिन क्या स्वदेशी फाइटर एयरक्राफ्ट एलसीए तेजस के एविएशन इंजन के लिए इस दौरे पर बात हो सकती है, इस पर निगाहें टिकी होंगी. क्योंकि अमेरिका से समझौते के बावजूद भी एलसीए मार्क-1ए के इंजन (एफ-404) को डिलीवरी नहीं हो पाई है.