By Himanshu Kumar
पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत ने दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है, क्योंकि एक बार फिर पोर्ट सिटी ग्वादर में तनाव बढ़ गया है. कारण है बलूच समूह कई दिनों से शहर में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. जबकि पाकिस्तानी सुरक्षाबल लोगों पर गोलाबारी कर रहे हैं.
रविवार को बलूच यकजेहती समिति (बीवाईसी) ने ग्वादर में “बलूच राजी मुची” यानी बलूच राष्ट्रीय सभा का आह्वान किया था. बीवाईसी ने बलूचिस्तान में कथित मानवाधिकार उल्लंघन, जबरन गायब किए जाने और लोगों की हत्याओं के खिलाफ प्रदर्शन का आह्वान किया, जिससे तनाव बढ़ गया.
जैसे ही बलूचिस्तान के विभिन्न इलाकों से काफिले ग्वादर शहर की ओर बढ़े, पुलिस और सुरक्षाबलों ने वहां जाने वाले प्रमुख राजमार्गों को अवरुद्ध करना शुरू कर दिया. बावजूद इसके, बलूचिस्तान के अधिकारों के लिए समर्थन दिखाने के लिए बलूच राष्ट्रीय सभा के लिए प्रांत भर से बड़ी संख्या में लोग ग्वादर के मरीन ड्राइव तक पहुंचने में कामयाब रहे.
बीवाईसी का दावा है कि शनिवार को मस्तुंग जिले में ऐसी ही एक झड़प के दौरान सुरक्षाबलों ने गोलीबारी की, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और 14 अन्य घायल हो गए. बीवाईसी के मुताबिक, “अर्धसैनिक बलों ने क्वेटा से ग्वादर जा रहे महिलाओं और बच्चों सहित सैकड़ों लोगों के काफिले पर गोलीबारी की.” हालांकि, अधिकारियों ने दावा किया था कि सुरक्षा बल कथित तौर पर चेकपोस्ट पर हमला करने वाली भीड़ से खुद का बचाव करने की कोशिश कर रहे थे. (https://x.com/BalochYakjehtiC/status/1817157357895299421)
बीवाईसी का दावा है कि 29 जुलाई की सुबह सुरक्षा बलों ने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन से 200 लोगों को गिरफ्तार किया और उन्हें कहा रखा गया है इसके बारे में कोई जानकारी साझा नहीं की.
क्षेत्रफल के हिसाब से बलूचिस्तान, पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है, जिसकी आबादी लगभग डेढ़ करोड़ है. बलूचिस्तान तेल, कोयला, सोना, तांबा और गैस भंडार सहित प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है, जो संघीय सरकार के लिए पर्याप्त राजस्व उत्पन्न करते हैं. लेकिन खनिजों से समृद्ध होने के बावजूद, बलूचिस्तान के लोगों को पंजाबी और सिंधी-प्रभुत्व वाली राष्ट्रीय राजनीति द्वारा लंबे समय से नजरअंदाज किया गया है.
बलूच मलू के लोगों का आरोप है कि पाकिस्तानी राज्य ने उनके समुदाय की उपेक्षा की है और प्रांत के खनिज संसाधनों का दोहन किया है, और इससे अलगाववादी भावनाओं को बढ़ावा मिला है. प्रांत में 1947 में पाकिस्तान के गठन के बाद से कम से कम पांच विद्रोही आंदोलन हुए हैं और 2000 के बाद, प्रांत के लिए राजस्व के बड़े हिस्से की मांग बढ़ गई है.
पिछले कुछ दशकों में बलूचिस्तान में स्वतंत्रता की मांग भी जोर पकड़ रही है. मानवाधिकार समूहों के अनुसार, पिछले 17 वर्षों में, 15,000 से अधिक लोगों की हत्या या लापता होने की पुष्टि हुई है, जबकि लगभग पांच लाख लोगों को अपने घरों से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी यानी सीपेक) वर्तमान में पूरे पाकिस्तान में निर्माणाधीन बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का एक संग्रह है, जिसकी कीमत 60 बिलियन डॉलर है. यह चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें चीनी प्राधिकरण से उच्च-मूल्य वाले निवेश शामिल हैं. चीन, सीपेक को मध्य पूर्व के लिए एक वैकल्पिक व्यापार मार्ग के रूप में देखता है, जो बलूचिस्तान के ग्वादर बंदरगाह का उपयोग करता है, जो चीन को इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण रणनीतिक महत्व देता है.
सीपेक को बलूचिस्तान में लंबे समय से विरोध का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें मिलिशिया समूहों द्वारा चीनी श्रमिकों का विरोध और हमले शामिल हैं.