म्यांमार में भूकंप पीड़ितों की मदद को लेकर, भारत को अमीर बताकर मदद करने का आह्वान करने वाले अमेरिकी विदेश सचिव (मंत्री) मार्को रूबियो ने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से फोन पर बात की है. जयशंकर और मार्को रूबियो के बीच सोमवार को बातचीत हुई, जिसमें इंडो-पैसिफिक, भारतीय उपमहाद्वीप, यूरोप, वेस्ट एशिया और कैरिबियन क्षेत्रों पर विचार-विमर्श के साथ ट्रेड एग्रीमेंट पर भी चर्चा की.
म्यांमार में फर्स्ट रिस्पॉडर के तौर पर भारत ही वो देश है, जो म्यांमार की मदद के लिए सबसे पहले पहुंचा था. ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ के जरिए राहत सामग्री पहुंचाई. भारतीय सेना के चिकित्सीय एक्सपर्ट्स दिन-रात म्यांमार के लोगों का इलाज करने में जुटे हुए हैं. ऐसे में मार्को रूबियो का भारत को मदद करने की बात कहना अमेरिका की मंशा पर सवाल खड़े कर रहा है.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने की मार्को रुबियो से की बात
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो से ऐसे वक्त में बाद की है जब दुुनियाभर के शेयर बाजार हांफ रहे हैं, साथ ही अपने ताजा बयान में मार्को रुबियो ने म्यांमार की मदद के लिए भारत और चीन की जिक्र किया था. एस जयशंकर ने बातचीत के बाद अपने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, “मार्को रुबियो के साथ बातचीत करना अच्छा रहा. इंडो-पैसिफिक, भारतीय उपमहाद्वीप, यूरोप, वेस्ट एशिया और कैरिबियन क्षेत्रों पर विचार-विमर्श हुआ. बायलेटरल ट्रेड एग्रीमेंट को जल्द से जल्द निष्कर्ष तक पहुंचाने के महत्व पर हमलोग सहमत हैं. हम आगे देख रहे हैं और आगे भी संपर्क में रहेंगे.” (https://x.com/DrSJaishankar/status/1909245681858195587)
भारत-चीन समेत अमीर देश करें म्यांमार की मदद: मार्को रुबियो
म्यांमार आए भयंकर भूकंप में 3000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है. अमेरिका मदद को लेकर मार्को रुबियो ने सफाई देते हुए कहा, “अमेरिका मानवीय संकट में मदद जारी रखने को हमेशा तैयार है. अन्य देशों को भी ऐसा करने की आवश्यकता है. चीन एक बहुत समृद्ध देश है और भारत भी एक समृद्ध देश है. दुनिया में बहुत से अन्य देश हैं और सभी को इसमें योगदान देना चाहिए.”
रूबियो के मुताबिक, “संयुक्त राज्य अमेरिका को दुनिया भर में मानवीय सहायता का बोझ है और ऐसे में अमेरिका से वर्ल्ड में 60-70% मानवीय सहायता देने की उम्मीद करना गलत है. हम मानवीय सहायता के व्यवसाय में रहेंगे, लेकिन साथ ही हमारी अन्य प्राथमिकताएं भी हैं जो संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रीय हित में हैं और हम उन सभी को उचित रूप से संतुलित कर रहे हैं.”
बोलने से पहले अमेरिका को जानना चाहिए भारत ने सबसे पहले की म्यांमार की मदद, ऑपरेशन ब्रह्मा है साक्ष्य
प्रत्यक्ष किम् प्रमाणम् यानी जो सामने (प्रत्यक्ष) है, उसे कुछ साबित करने की जरूरत नहीं होती है. 28 मार्च को म्यांमार में आए भूकंप के कुछ ही घंटों के अंदर ही भारत ने सबसे पहले वायुसेना, नेवी और एनडीआरएफ के माध्यम से मानवीय सहायता और आपदा राहत सामग्री की पहली खेप पहुंचाई, जिसमें टेंट, कंबल, आवश्यक दवाएं और भोजन जैसी 15 टन सामग्री शामिल थी. 29 मार्च को ही भारत का सी-130जे विमान म्यांमार के यांगून में उतरा. मदद यहीं खत्म नहीं हुई दूसरे बैच में दो भारतीय वायुसेना सी-130जे विमानों के माध्यम से 80 एनडीआरएफ खोज एवं बचाव विशेषज्ञ, उपकरण और राहत सामग्री भेजी गई. एक विमान में 17 टन व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण, खोज और संचार उपकरण तथा बचाव उपकरण थे, जबकि दूसरे में पांच टन मानवीय सहायता और आपदा राहत सामग्री जैसे जेनसेट्स, स्वच्छता किट, खाद्य पैकेट, आवश्यक दवाएं, रसोई सेट और कंबल थे.
म्यांमार में 6 दिनों में भारतीय सेना ने किया 859 मरीजों का इलाज
म्यांमार के मांडले में भारतीय सेना, फील्ड अस्पताल में कर रही है लोगों का इलाज. सेना के मुताबिक “पिछले 6 दिनों में 859 मरीजों का इलाज कर चुकी है भारतीय सेना. साथ ही तकरीबन 20 सर्जरी भी की गई है.” सेना ने अपने बयान में कहा, “भारतीय सेना की प्रतिबद्धता मजबूत है और इसका मार्गदर्शन सर्वे संतु निरामया के सिद्धांत से होता है. जिसका अर्थ है- सभी रोगों से मुक्त हों. यह फील्ड अस्पताल केवल एक चिकित्सा सुविधा नहीं है, बल्कि यह भारत और म्यांमार की मित्रता और मानवीय मूल्यों के प्रति समर्पण का प्रतीक भी है.” म्यांमार के सेना प्रमुख और प्रधानमंत्री जनरल मिन आंग ह्लेइंग ने रविवार को भारतीय सेना के फील्ड अस्पताल का दौरा किया. जनरल ह्लेइंग न इस मुश्किल समय में भारत सरकार की ओर से की जा रही मदद की सराहना की.
टैरिफ वार के बीच मायने रखती है जयशंकर और रुबियो के बीच बात
अमेरिका ने भारत पर 26 प्रतिशत रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया हुआ है. एस जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री से ने बायलेटरल ट्रेड एग्रीमेंट (बीटीए) को निष्कर्ष तक पहुंचाने के महत्व को स्वीकार किया हालांकि टैरिफ को लेकर कोई बात नहीं हुई, लेकिन द्विपक्षीय व्यापार वार्ता को लेकर अहम बातचीत की गई है. पिछले महीने खुद केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल भी अमेरिका पहुंचे थे. माना जा रहा है कि भारत-अमेरिका दोनों देश व्यापारिक कारोबार को बढ़ाना चाहते हैं.