दुनिया में मची होड़ और संघर्ष को देखते हुए रूस की इस बात से चीन और भारत भी सहमत हुआ है कि रूस-भारत-चीन तो एक साथ आना चाहिए. भारत के विदेश मंत्रालय का कहना है कि आपसी सहमति से इस पर फैसला लिया जा सकता है. वहीं चीन ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि त्रिपक्षीय सहयोग (रूस-इंडिया-चीन) न केवल तीनों देशों के हित में है. बल्कि क्षेत्र और विश्व की सुरक्षा और स्थिरता के लिए भी उचित है.
हाल ही में रूस ने अलग-अलग मंचों से कई बार इस बात को दोहराया है कि आरआईसी को एक बार फिर से सक्रिय होना चाहिए.
आपसी सहमति से किया जा सकता है फैसला: रणधीर जायसवाल
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बड़ा बयान देते हुए कहा, “आरआईसी यह तीनों देशों को साझा चिंता के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक साथ लाता है. रणधीर जायसवाल ने बैठक के लिए किसी समय-सीमा की पुष्टि किए बिना कहा कि तीनों देशों के बीच पारस्परिक रूप से सुविधाजनक तरीके से कार्यक्रम तय किया जाएगा.”
चीन, रूस और भारत के साथ संवाद बनाने के लिए तैयार: लिन जियान
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि “चीन-रूस-भारत सहयोग न केवल तीनों देशों के संबंधित हितों की पूर्ति करता है, बल्कि क्षेत्र और विश्व में शांति, सुरक्षा, स्थिरता और प्रगति को बनाए रखने में भी मदद करता है. चीन त्रिपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए रूस और भारत के साथ संवाद बनाए रखने के लिए तैयार है.”
हम आरआईसी की बहाली की उम्मीद करते हैं: रूसी उप विदेश मंत्री
रूस के उप विदेश मंत्री आंद्रेई रुडेंको ने कहा, “मॉस्को आरआईसी (रूस-इंडिया-चीन) के प्रारूप की बहाली की उम्मीद करता है. हम मुद्दे पर बीजिंग और नई दिल्ली के साथ बातचीत कर रहे हैं. हम इस प्रारूप को सफल बनाने में रुचि रखते हैं, क्योंकि ब्रिक्स के संस्थापकों के अलावा ये तीनों देश महत्वपूर्ण साझेदार हैं. हम उम्मीद करते हैं कि देश आरआईसी के ढांचे के भीतर काम फिर से शुरू करने पर सहमत होंगे.”
वेस्ट और नाटो भारत-चीन में पैदा कर रहे दरार, आरआईसी जरूरी: सर्गेई लावरोव
दरअसल रूसी विदेश मंत्री पिछले कुछ महीनों से तीनों देशों को एक साथ लाने की पैरवी कर रहे हैं. सर्गेई लावरोव ने नाटो और वेस्ट देशों पर आरोप लगाते हुए कहा था कि जानबूझकर भारत-चीन में दरार खींची जा रही है.
सर्गेई लावरोव ने बड़ा बयान देते हुए कहा था, “नाटो देश चीन विरोधी साजिश में भारत को फंसाने के लिए लालच दे रहे हैं. रूस ‘पूरी गंभीरता के साथ’ रूस- भारत- चीन (आरआईसी) के फॉरमेट के तहत बातचीत को फिर से शुरू करने के लिए इच्छुक हैं. मुझे अपने भारतीय दोस्तों पर कोई संदेह नहीं है और मैंने जो कुछ भी कहा है, वह गोपनीय बातचीत के आधार पर कहा है. भारत भी इस बात को समझता है कि कुछ चीजें एक बड़े उकसावे की तरह से हैं.”
लावरोव ने कहा था “भारत-चीन और रूस के फॉरमेट के बीच होने वाले काम को फिर से शुरू किया जाए. मुझे यह लगता है कि अब समय आ गया है कि आरआईसी के तहत तीनों देशों के नेताओं की बैठक को फिर से शुरू किया जाए.”
वैश्विक स्थिति में भारत-चीन के स्थिर संबंध जरूरी: एस जयशंकर
एससीओ की बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर का पहुंचना , चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलना और विदेश मंत्री वांग यी के साथ द्विपक्षीय बैठक करने से बहुत कुछ चीज़े बदली हैं. एस जयशंकर ने अपनी बैठक के दौरान भारत-चीन के स्थिर संबंधों को समय की आवश्यकता बताया था.
चीन और रूस की ओर से त्रिपक्षीय स्तर बढ़ाने को लेकर हामी भर दी गई है. लेकिन जिस तरह से ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन ने भारत के दुश्मन देश पाकिस्तान की मदद की थी, वो भारत के लिए वॉर्निंग की तरह है.
लेकिन कूटनीति ये भी कह रही है कि जिस तरह से अमेरिका, पाकिस्तान के जाल में फंस रहा है और ट्रंप का रुख भारत की ओर बिगड़ रहा है, उससे निपटने और अमेरिका पर दबाव बनाने के लिए रूस-चीन के साथ आना भारत के लिए हितकारी हो सकता है.