By Nalini Tewari
भारत यात्रा से पहले रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने एक बार फिर भारत, चीन और रूस को एक साथ आना, समय की जरूरत बताया है. सर्गेई लावरोव ने एक महीने के अंदर दूसरी बार कहा है कि भारत और चीन के बीच तनाव में कमी आई है और त्रिपक्षीय समूह रूस-इंडिया-चीन यानी आरआईसी का रुका हुआ काम फिर से शुरू हो सकता है.
भारत-चीन में तनाव कम, रूस-भारत-चीन त्रिपक्षीय समूह फिर से काम करेगा: सर्गेई लावरोव
लावरोव ने ‘फोरम ऑफ द फ्यूचर-2050’ कार्यक्रम में भारत-चीन के संबंधों के साथ-साथ रूस के संबंधों पर खुलकर चर्चा की है. सर्गेई लावरोव ने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि हम रूस-भारत-चीन’ त्रिपक्षीय समूह के काम को फिर से शुरू कर पाएंगे. पिछले कुछ वर्षों से हमारी विदेश मंत्रियों के स्तर पर बैठक नहीं हुई है, लेकिन हम अपने चीनी सहयोगी और विदेश विभाग के भारतीय प्रमुख के साथ इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं.’’
सर्गेई लावरोव ने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि अब जब भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव कम हो गया है. काफी हद तक कम हुआ है, हालात स्थिर हैं, नई दिल्ली और बीजिंग में संवाद हो रहा है, तो हम ‘रूस-भारत-चीन’ त्रिगुट के कार्य को फिर से शुरू करने में सक्षम होंगे.’’
आरआईसी की बहाली के लिए रूस ने लगाया जोर, वेस्ट की तिरछी नजर
भारत और चीन के बीच 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद आरआईसी सहयोग काफी सुस्त पड़ गया था. अब, तनाव शांत होने के साथ ही यह सहयोग फिर से सक्रिय हो सकता है. विशेषकर बहु-ध्रुवीय व्यवस्था के गठन में अग्रणी और सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए. आरआईसी प्रारूप की बहाली इस दिशा में पहला महत्वपूर्ण कदम हो सकती है.
दरअसल भारत और चीन की सेनाओं के बीच 2020 में गलवान घाटी में हुए गतिरोध के बाद, त्रिपक्षीय समूह आईआरसी बहुत सक्रिय नहीं रहा है.
भारत-चीन के संबंध सुधर रहे थे, लेकिन पहलगाम नरसंहार के बाद परिस्थितियां बदलीं
साल 2020 में गलवान घाटी में भारत-चीन के बीच संबंध बिगड़ गए थे. जिसके बाद 4 सालों तक दोनों देशों के सैनिक एकदूसरे के सामने टिक कर खड़े हुए थे. भारत-चीन के बीच इतनी तनातनी थी कि राजदूत तक नियुक्त नहीं किए गए थे. लेकिन पुतिन ने बातचीत के माध्यम से भारत-चीन के रिश्तों को लाने के लिए संवाद पर जोर दिया. पिछले साल भारत-चीन में बातचीत शुरु हुई और रूस में पीएम मोदी-जिनपिंग की बैठक से पहले एलएसी पर सैनिकों की पेट्रोलिंग पर सहमति बनी.
इसके अलावा विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री की कई बार बैठक हुई. रिश्तों को सुधारने को लेकर एनएसए अजीत डोवल और बाद में विदेश सचिन विक्रम मिसरी बीजिंग गए. कई सहमतियां बनीं. मानसरोवर यात्रा शुरु होने पर भारत-चीन में समझौता हुआ. खुद चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग ने कहा कि ड्रैगन (चीन) और एलिफेंट (भारत) को दोस्ती मजबूत करनी चाहिए.
भारत-चीन के बीच रिश्ते पटरी पर आ ही रहे थे कि पहलगाम नरसंहार के बाद भारत के एक्शन के बाद चीन ने पाकिस्तान का साथ दिया. चीन ने खुलकर पाकिस्तान के साथ खड़े होने की घोषणा की तो भारत ने चीन के एयर डिफेंस सिस्टम के साथ-साथ पाकिस्तान को दिए चीनी लड़ाकू विमान जेएफ 17 को भी मार गिराया. एक बार फिर से भारत और चीन के रिश्तों में कड़वाहट आ गई है, जिसपर रूसी विदेश मंत्री ने चिंता जताई है.
रूस का मानना है कि जानबूझकर भारत-चीन के बीच पश्चिमी देश ने टकराव की स्थिति पैदा की है, लेकिन इंडिया-रूस-चीन को एक बार फिर साथ आना चाहिए.