शक्सगाम घाटी भारत की है और वहां पर चीन का गैर-कानूनी निर्माण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. भारत ने चीन से साफ कह दिया है कि अपने हितों की रक्षा के लिए हम जरूरी कदम उठाने का पूरा अधिकार रखते हैं. इसके साथ ही भारत ने 1963 में चीन और पाकिस्तान के बीच शक्सगाम वैली को लेकर किए गए समझौता को भी खारिज कर दिया है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने चीन और पाकिस्तान दोनों को टूक कह दिया है कि “हम मानते हैं कि शक्सगाम वैली भारत की है. हमने कभी भी चीन और पाकिस्तान के बीच 1963 के उस समझौता को कभी स्वीकार नहीं किया है जिसमें पाकिस्तान ने शक्सगाम घाटी को गैर-कानूनी तरीके से चीन को सौंप दिया था.”
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक, “हमने चीन और पाकिस्तान के बीच हुए 1963 के समझौते को हमेशा खारिज किया है. साथ ही चीन द्वारा गैर-कानूनी तरीके से शक्सगाम घाटी में वस्तुस्थिति को बदलने का हमेशा विरोध दर्ज कराया है.” जायसवाल ने दोनों दुश्मन देशों के खिलाफ हुंकार भरते हुए कहा कि “हम अपने हितों की रक्षा करने के लिए उठाए गए जरुरी तरीकों का पूरा अधिकार रखते हैं.” (https://x.com/MEAIndia/status/1785984372262175124)
दरअसल, 1963 में पाकिस्तान ने 5000 वर्ग किलोमीटर में फैली शक्सगाम वैली को चीन को सौंप दिया था. पूर्वी लद्दाख के काराकोरम पर्वत श्रृंखला (दर्रे) के उत्तर में ये घाटी चीन के शिनजियांग प्रांत को पाकिस्तान के गैर-कानूनी तरीके से कब्जाए कश्मीर (पीओके) और गिलगित बाल्टिस्तान से जोड़ती है. ये इलाका बेहद दुर्गम है. पिछले कई सालों से चीन इस शक्सगाम वैली में सड़क बनाने की जुगत में था. ओपन सोर्स इंटेलिजेंस की सैटेलाइट इमेज से इस बात का खुलासा हुआ है कि चीन ने शक्सगाम वैली के अग्हिल पास (दर्रे) पर एक सड़क बनाकर तैयार कर ली है.
भारत के लिए अग्हिल पास में चीन की सड़क इसलिए चिंता का विषय है क्योंकि यहां से सियाचिन की दूरी महज 40-50 किलोमीटर है. दुनिया का सबसे ऊंचा रणक्षेत्र, सियाचिन ग्लेशियर भले ही भारत के अधिकार-क्षेत्र में है लेकिन उस पर पाकिस्तान की निगाह हमेशा लगी रहती है. ऐसे में अगर उत्तर-पूर्वी छोर से चीन भी इसके करीब पहुंच जाता है तो भारत के लिए यहां टू-फ्रंट यानी दो-दो मोर्चों को संभालना होगा.
चीन ने अग्हिल पास पर सड़क बनाकर अपने जी-219 हाईवे को काराकोरम रेंज से जोड़ने की कोशिश की है. ऐसा करने से चीन से पाकिस्तान के स्कार्दू और हुंजा तक बेहद ही छोटा मार्ग बन जाएगा. ये कह सकते हैं कि स्कार्दू पहुंचने के लिए चीन के लिए ये एक शॉर्ट-कट होगा. पाकिस्तान के कब्जे वाला स्कार्दू फिलहाल भारत के करगिल के करीब है. ऐसे में भारत के लिए सामरिक तौर से शक्सगाम वैली में सड़क माथे पर बल ला सकती है. अभी चीन और पाकिस्तान की कनेक्टिविटी शिनजियांग के काशगर-खूंजेराब-गिलगित रोड के माध्यम से होती है जो पूर्वी लद्दाख के डेपसांग और दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) के साथ ही सिचायिन से भी काफी दूरी पर है. लेकिन शक्सगाम वैली को जोड़ने से चीन और पाकिस्तान पूर्वी लद्दाख के डेपसांग प्लेन और डीबीओ के नजदीक पहुंच जाएंगे.
पिछले चार सालों से भारत और चीन की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख के डेपसांग और डीबीओ में तनातनी चल रही है. हालांकि, यहां पर विवाद 2013 से चल रहा है जब चीन की सेना ने यहां पर अपने टेंट गाड़ लिए थे और 25 दिनों तक फेसऑफ रहा था.
हाल ही में भारतीय सेना की लेह स्थित 14वीं कोर (फायर एंड फ्यूरी) ने पहली बार डेपसांग प्लेन में अपनी तैनाती की तस्वीरें सार्वजनिक की थी. इन तस्वीरों के जरिए भारतीय सेना ने चीन को कड़ा संदेश देने की कोशिश की थी कि भले ही ये लिगेसी-विवाद हो लेकिन यहां चीन का कोई भी दुस्साहस बर्दाश्त नहीं किया जाएगा (https://x.com/firefurycorps/status/1783853063029293464).