अरब सागर में एंटी पायरेसी ऑपरेशन के दौरान धर-दबोचे गए 35 सोमालियाई समुद्री-लुटेरों को भारतीय नौसेना ने शनिवार को मुंबई पुलिस के हवाले कर दिया. नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने साफ कर दिया कि इन सभी समुद्री-डकैतों पर देश के नए एंटी-पायरेसी एक्ट (2022) के तहत मुकदमा चलाया जाएगा.
नौसेना प्रमुख के मुताबिक, पिछले एक दशक में समुद्री-लुटेरों के पकड़े जाने का ये सबसे बड़ा मामला है. एडमिरल हरिकुमार ने बताया कि पिछले तीन महीनों में कई बार ऐसा मौका आया जब समुद्री-लुटेरों को भारतीय नौसेना ने चेतावनी देकर छोड़ दिया था. लेकिन इन 35 समुद्री-दस्यु को नौसेना इसलिए भारत के कानून के तहत मुकदमा चलाया जाएगा क्योंकि इन्होंने ना केवल एक व्यापारिक-जहाज को हाईजैक किया बल्कि उसे पायरेट-शिप में तब्दील कर समंदर में लूटपाट के इरादे से घूम रहे थे. भारतीय नौसेना ने इस पायरेट-शिप की घेराबंदी की तो लुटेरों ने भारत के युद्धपोत और सर्विलांस ड्रोन पर भी फायरिंग की. ऐसे में समुद्री-लुटेरों को कड़ी चेतावनी देने के लिए ही गिरफ्तार कर भारत लाया गया है.
शनिवार को जब भारतीय नौसेना का युद्धपोत आईएनएस कोलकता समुद्री लुटेरों को लेकर मुंबई पहुंचा तो राजधानी दिल्ली में एडमिरल हरिकुमार ने मीडिया को संबोधित किया. हालांकि, नौसेना ने गिरफ्तार किए गए समुद्री-लुटेरों की नागरिकता का खुलासा अभी तक नहीं किया है लेकिन माना जा रहा है कि ये सभी मूल रुप से अफ्रीकी देश सोमालिया के नागरिक हैं.
तीन महीने तक जहाज को रखा हाईजैक
पिछले साल 15 दिसंबर को सोमालियाई समुद्री लुटेरों ने माल्टा देश के एमवी रियून जहाज को हाईजैक कर अपने देश ले गए थे. लेकिन तीन महीने यानी 15 मार्च को जब हथियारबंद सोमालियाई लुटेरे इस जहाज को पायरेट शिप के तौर पर फिर से अरब सागर में आए तो भारतीय नौसेना के युद्धपोत आईएनएस कोलकता ने इसे घेर लिया. करीब 40 घंटे चले ऑपरेशन के बाद समुद्री-दस्यु को आखिरकार नौसेना के सामने सरेंडर करना पड़ा. इस दौरान नौसेना ने एमक्यू-9बी सी-गार्डियन ड्रोन, मार्कोस (मरीन कमांडो) और आईएनएस सुभद्रा जहाज की भी इस ऑपरेशन में मदद ली. पायरेट्स के सरेंडर के बाद नौसेना ने एमवी रियून जहाज के सभी क्रू-मेंबर्स को भी सुरक्षित बचा लिया था.
इस ऑपरेशन के बाद अमेरिका सहित बुल्गारिया ने भारतीय नौसेना के एंटी-पायरेसी ऑपरेशन की भूरि-भूरि प्रशंसा की थी.
एंटी पायरेसी एक्ट 2022
दरअसल, आजादी के बाद से भारत के कानून (आईपीसी) में समंदर में होने वाले किसी अपराध को लेकर कोई जिक्र नहीं था. ऐसे में समंदर में होने वाले अपराधों के मुकदमों को लेकर नेवी, पुलिस और दूसरी जांच एजेंसियों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता था. यहां तक की इसका फायदा समुद्री-लुटेरे और दूसरे अपराधी अदालत में उठा लेते थे. यही वजह है कि वर्ष 2022 में भारतीय संसद ने ‘एंटी-पायरेसी एक्ट’ लागू किया, जो संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के समुद्री-कानून (‘यूनाईटेड नेशन्स कनवेंशन ऑन लॉ ऑफ द सी’ यानि यूएनसीएलओसी) के अनुरूप बनाया गया है.
हिंद महासागर हमारे देश के नाम पर, सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारी: नेवी चीफ
एडमिरल हरिकुमार ने साफ कर दिया कि “हिंद महासागर क्षेत्र भारत के नाम पर है और उसकी सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी भारतीय नौसेना के कंधों पर है. ऐसे में इस क्षेत्र में किसी भी तरह की पायरेसी, हाईजैक या फिर ड्रोन अटैक की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.” चीफ ऑफ नेवल स्टाफ (सीएनएस) ने बताया कि “पिछले 100 दिनों से भारतीय नौसेना ने अरब सागर और अदन की खाड़ी में ऑपरेशन संकल्प छेड़ रखा है ताकि यहां से गुजरने वाले सभी व्यापारिक जहाज, कार्गो-शिप और ऑयल टैंकर पायरेट्स (समुद्री-लुटेरों) और हूती विद्रोहियों के ड्रोन (और मिसाइल) अटैक से सुरक्षित रह सकें.’ अगर ऐसा नहीं किया गया तो ये क्षेत्र हाई रिस्क एरिया (एचआरए) घोषित किया जा सकता है.
एचआरए घोषित होने से से इस क्षेत्र से गुजरने वाले सभी जहाज का इश्योरेंस कई गुना बढ़ जाएगा. इसके अलावा समुद्री जहाज डर के मारे अरब सागर के बजाए अफ्रीकी के केप ऑफ गुड होप से आवाजाही करने लगेंगे. उससे जहाज को अपने गंतव्य तक पहुंचने में एक लंबा समय लगेगा और उसमें मौजूद वस्तुओं के दाम बढ़ जाएंगे. इसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ेगा. नौसेना के मुताबिक, जब से इजरायल-हमास युद्ध शुरु हुआ है (7 अक्टूबर 2023) से तब से स्वेज कैनाल (नहर), लाल सागर और अदन की खाड़ी के जरिए समुद्री-व्यापार में 50 प्रतिशत तक की गिरावट देखी गई है.
(https://youtu.be/ZelKNO89zpE?si=f9cxAjihBFfUKBWO)
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