Alert Breaking News Classified Documents Geopolitics IOR

BRICS में शामिल होना चाहता है श्रीलंका, भारत को लेगा भरोसे में

भारत की सदस्यता वाले ब्रिक्स समूह में शामिल होना चाहता है श्रीलंका. पड़ोसी देश ने ऐसे समय में ब्रिक्स में शामिल होने की मंशा जताई है जब खुद श्रीलंका के विदेश मंत्री ने हाल ही में कहा था कि भारत की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा. 

श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने ब्रिक्स में श्रीलंका के शामिल होने की इच्छा जताई है. इस साल ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेजबानी रूस कर रहा है और श्रीलंका को भी गेस्ट के तौर पर आमंत्रित किया गया है. निमंत्रण मिलने के बाद अली साबरी ने भारत की तारीफ करते हुए कहा है कि “नई दिल्ली के इसका हिस्सा बनने के बाद ब्रिक्स समूह एक ‘अच्छी संस्था’ बन गई है. श्रीलंका जब भी औपचारिक तौर से ब्रिक्स समूह में शामिल होने के लिए आवेदन करेगा तो सबसे पहले भारत से संपर्क करेगा.”

ब्रिक्स में शामिल होना चाहता है श्रीलंका
श्रीलंका ने ब्रिक्स देशों में शामिल होने के लिए उत्सुकता जाहिर की है. श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने कहा है “हम ब्रिक्स को लेकर आशान्वित हैं. मुझे लगता है कि कैबिनेट ने इस पर गौर करने और हमें सिफारिश करने के लिए एक उप समिति नियुक्त की थी. हम ऐसा देखना चाहेंगे क्योंकि हम बहु-विकल्प चाहते हैं. आखिर ऐसा  कौन नहीं चाहता है? इसलिए ब्रिक्स एक अच्छी संस्था है, खासकर जब से भारत इसका एक हिस्सा है” अली साबरी ने कहा है कि “हम सबसे पहले भारत से बात करेंगे और ब्रिक्स तक पहुंच बनाने के लिए भारत का समर्थन मांगेंगे. मुझे रूस में ब्रिक्स विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है. व्यक्तिगत रूप से मुझे लगता है कि हमें ब्रिक्स को गंभीरता से देखना चाहिए.”

रूस करेगा ब्रिक्स सम्मेलन की मेजबानी
अक्टूबर में रूस के कज़ान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया है. एक जनवरी 2024 को रूस ने ब्रिक्स की अध्यक्षता संभाली है. रूस के राष्ट्रपति पुतिन ब्रिक्स सम्मेलनों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ही हिस्सा लेते रहे हैं. रूस से पहले दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ था पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पुतिन ने सम्मेलन में हिस्सा लिया था. उसकी वजह यूक्रेन के साथ चल रहा युद्ध था. युद्ध के चलते आईसीसी ने पुतिन के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया हुआ था. चूंकि दक्षिण अफ्रीका आईसीसी का सदस्य है, लिहाजा दक्षिण अफ्रीका पर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की ओर से सम्मेलन में शामिल होने आने वाले पुतिन की गिरफ्तारी करने का दबाव था, लिहाजा पुतिन दक्षिण अफ्रीका नहीं पहुंचे थे.

पिछले साल दिसंबर में पुतिन ने कजान में होने वाले ब्रिक्स सम्मेलन को लेकर बयान जारी किया था. पुतिन ने पश्चिमी देशों पर निशाना साधते हुए कहा था कि ” रूस की अध्यक्षता में ब्रिक्स सम्मेलन आयोजित होगा, जो निष्पक्ष वैश्विक व्यवस्था स्थापित करने के लिए समर्पित होगा. नियम आधारित विश्व व्यवस्था असलियत में अस्तित्व में नहीं है.  यह राजनीतिक एजेंडे, हितों और प्रोपेगेंडा के अनुसार हर दिन बदलती रहती है.  हम अपने शिखर सम्मेलन में साफ करेंगे कि इसी विश्व में दूसरे शक्तिशाली देश हैं, जो नियमों के अनुसार नहीं चलना चाहते. अन्य शक्तिशाली देश मौलिक नीतियों के आधार पर बढ़ना चाहते हैं.”

ब्रिक्स में पाकिस्तान को मिला झटका
ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका ( बीआरआईसीएस) ब्रिक्स के संस्थापक सदस्य हैं. चार नए सदस्य देश मिस्र (इजिप्ट), इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात इस साल (2024) से समूह के सदस्य बने हैं. अब इसी समूह में श्रीलंका शामिल होना चाहता है.

पिछले साल पाकिस्तान ने भी ब्रिक्स समूह का सदस्य बनने के लिए आवेदन किया था. जिसके लिए पाकिस्तान ने चीन से मदद मांगी थी. चीन ने बैक-डोर से रूस से पाकिस्तान की सिफारिश भी की थी. पर चीन के समर्थन के बावजूद पाकिस्तान ब्रिक्स में शामिल नहीं हो पाया है. मौजूदा सदस्य देशों ने पाकिस्तान के लिए हामी नहीं भरी.

भारत की सुरक्षा से नहीं करेंगे समझौता

श्रीलंका के विदेश मंत्री साबरी ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की रक्षा करने का वादा दिया था. साबरी ने कहा था कि एक जिम्मेदार पड़ोसी के रूप में, श्रीलंका किसी को भी भारत की सुरक्षा से समझौता करने की अनुमति नहीं देगा.

साबरी ने श्रीलंका में चीनी जासूसी जहाजों की उपस्थिति के संबंध में भारत की आशंकाओं का जिक्र करते हुए कहा था कि “हमने बहुत स्पष्ट रूप से कहा है कि हम सभी देशों के साथ काम करना चाहेंगे, लेकिन भारत की सुरक्षा के संबंध में किसी भी उचित चिंता पर ध्यान दिया जाएगा, और हम उस पर कोई आंच नहीं आने देंगे. इसके अधीन, निश्चित रूप से, बहुत पारदर्शी तरीके से, हम सभी देशों के साथ काम करना चाहेंगे.” 

दरअसल, कुछ महीने पहले भारत ने श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर एक चीनी जहाज के रुकने पर सुरक्षा चिंता जताई थी. इस जासूसी जहाज में समुद्र तल का नक्शा बनाने की क्षमता थी, जो चीनी नौसेना के पनडुब्बी रोधी अभियानों के लिए महत्वपूर्ण है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस घटना पर टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत की सुरक्षा को प्रभावित करने वाला कोई भी घटनाक्रम स्वाभाविक रूप से राष्ट्र के हित में है.

editor
India's premier platform for defence, security, conflict, strategic affairs and geopolitics.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *