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Explainer: कौन हैं सीरिया के विद्रोही संगठन, उखाड़ फेंका असद का साम्राज्य

सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल असद का 24 साल पुराना शासन विद्रोहियों ने उखाड़ फेंका है. पिछले एक दशक से भी ज्यादा से चला आ रहा गृह-युद्ध असद के रहस्यमय परिस्थितियों में गायब होने से समाप्त हो गया है. लेकिन सवाल ये खड़ा होता है कि आखिर ये विद्रोही कौन है और चाहते क्या हैं. आखिर, सीरिया में ऐसा क्या हुआ कि रूस, अमेरिका, टर्की और ईरान जैसे देश अपना हित साधने में जुटे थे.

अरब स्प्रिंग की तर्ज पर सीरिया में भी असद के खिलाफ वर्ष 2011 में विरोध-प्रदर्शन शुरू हुए थे. दरअसल, इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन असद की सत्ता खत्म करना चाहते थे. ऐसे में जन्म हुआ हयात तहरीर अल शाम (एचटीएस) का, जिसे पहले नुसरा-फ्रंट के नाम से जाना जाता था.

शुरूआती सालों में अल-नुसरा फ्रंट का आतंकी संगठन आईएसआईएस और अलकायदा से संबंध था. ऐसे में असद को आतंकी संगठन के खिलाफ रूस का समर्थन प्राप्त हुआ. वर्ष 2014-15 में रूस ने अपनी पूरी एक कमान सीरिया में तैनात कर दी. रूसी सेना ने इतने हवाई हमले किए कि आतंकी संगठनों की कमर टूट गई.

आईएस और अल-कायदा के कमजोर होने पर नुसरा-फ्रंट ने खुद को वैश्विक आतंकी संगठनों से नाता तोड़ लिया और नया नाम दिया हयात तहरीर अल शाम (एचटीएस) का. लेकिन 2016 के बाद से एचटीएस अंडरग्राउंड काम कर रहा था. असद ने एक बार फिर से सीरिया पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली थी.

सीरिया में हालांकि, नुसरा फ्रंट ही अकेला विद्रोही संगठन नहीं था. उत्तर-पूर्व इलाके में कुर्द विद्रोही ही भी सिर उठा रहे थे. कुर्द विद्रोहियों को अमेरिका का समर्थन प्राप्त था. ऐसे में यूएस फोर्सेज भी सीरिया में तैनात हो गई. लेकिन अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीरिया में दखल के लिए पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा (2009-17) को जिम्मेदार ठहरा दिया है.

चार-पांच साल पहले तक रशियन और यूएस फोर्सेज के टकराव की खबरें और वीडियो भी सामने आए थे.

ट्रंप ने सत्ता में आने के बाद सीरिया से यूएस फोर्सेज को छोड़ने के संकेत दे दिए हैं. यानी कुर्द संगठनों को अपनी लड़ाई खुद लड़नी होगी. ऐसे में पूरी संभावना है कि कुर्द संगठन अपना नया देश घोषित कर सकते हैं या फिर एचटीएस से दबदबे के लिए टकराव शुरू हो जाएगा.

एचटीएस को समर्थन देने वाले टर्की का कुर्द विद्रोहियों से छत्तीस का आंकड़ा है. इसी साल अक्टूबर के महीने में टर्की की राजधानी अंकारा के करीब एक मिलिट्री फैसिलिटी पर हुए हमले के लिए टर्की ने कुर्द विद्रोहियों को जिम्मेदार ठहराया था. हमले का बदला लेने के लिए टर्की ने सीरिया में कुर्द ठिकानों पर हवाई हमले भी किए थे.

लेकिन मौजूदा अस्थिरता शुरु हुई 26 नवंबर को जब विद्रोही संगठन एचटीएस ने अचानक सीरिया के बड़े शहर अलेप्पो पर बड़ा हमला बोल दिया. इस हमले के लिए एचटीएस को मदद मिली टर्की की. एचटीएस का सरप्राइज-हमला इतना जबरदस्त था कि सीरियाई सेना को संभलने का मौका नहीं मिला. इनदिनों एचटीएस की कमान अबू मोहम्मद अल-गोलानी के हाथों में है. (https://x.com/RudawEnglish/status/1865653384356729055)

एचटीएस और टर्की जानते थे कि रूसी सेना अब यूक्रेन जंग में व्यस्त है. ऐसे में रूसी सेना भी सीरिया की मदद करने के लिए सामने नहीं आएगी. हुआ भी कुछ ऐसा ही.

रूसी सेना ने शुरुआत में तो विद्रोहियों के ठिकानों पर हमले किए. लेकिन सीरियाई (असद की) सेना ने विद्रोहियों के सामने घुटने टेक दिए तो रूसी सेना ने भी मदद से हाथ खींच लिया. ऐसे में महज दो हफ्ते के भीतर ही असद को अपने परिवार के साथ-साथ रातो-रात देश छोड़ना पड़ा.

ईरान ने भी लंबे समय तक आतंकी संगठन हिज्बुल्लाह और कुर्द फोर्सेज के जरिए असद की मदद करने की कोशिश की. लेकिन हाल में इजरायल द्वारा हिज्बुल्लाह और ईरान के खिलाफ किए गए हमलों से दोनों कमजोर पड़ चुके हैं. ऐसे में ना हिज्बुल्लाह और ना ही ईरान की कोई मदद असद को मिल पाई.

सीरिया के प्रधानमंत्री ने भी विद्रोहियों के समक्ष शांतिपूर्ण सरेंडर कर दिया है. विद्रोहियो ने टीवी पर असद की सरकार की जगह विद्रोहियों के कब्जे का ऐलान कर दिया है.