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सीमा पर Tactical इंटेलिजेंस बेहद जरुरी: डोवल

इजरायल भले ही मिलिट्री-टेक्नोलॉजी के मामले में अग्रणी देश है लेकिन ‘टेक्टिकल-इंटेलिजेंस’ और ‘कटिंग-एज तकनीक’ के मामले में शून्य है. इसका नतीजा इजरायल को 7 अक्टूबर के आतंकी हमले के तौर पर उठाना पड़ा. ये मानना है भारत के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (एनएसएस) अजीत डोवल का. 

एनएसए डोवल के मुताबिक, 7 अक्टूबर (2023) को इजरायल की सीमा पर हजारों की तादाद में आतंकियों ने हमला कर दिया लेकिन इजरायल को कानों-कान खबर तक नहीं लगी. डोवल के मुताबिक, ये इसलिए हुआ क्योंकि इजरायल सीमाओं की सुरक्षा के लिए टेक्नोलॉजी पर बहुत आश्रित है. ऐसे में ‘टेक्टिकल इंटेलिजेंस’ की बेहद ही महत्वपूर्ण भूमिका हो जाती है. एनएसए ने कहा कि “भारत एक बड़ा देश है जिसकी बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स भी बड़ी हैं. ऐसे में सीमा पर होने वाली हर गतिविधि पर सैनिकों की नजर रहती हैं.”

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) शुक्रवार को राजधानी दिल्ली में बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (बीएसएफ) द्वारा आयोजित सालाना ‘रुस्तमजी मेमोरियल लेक्चर’ को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान बीएसएफ के डीजी नितिन अग्रवाल सहित गृह सचिव अजय भल्ला और इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) चीफ तपन डेका भी मौजूद थे. 

मौर्य साम्राज्य के रणनीतिकार चाणक्य का जिक्र करते हुए एनएसए ने कहा कि “कोई भी देश अपनी सीमाओं की रक्षा नहीं कर सकता है अगर बॉर्डर पर रहने वाले लोग आपके खिलाफ होंगे.” डोवल ने कहा कि आप सीमा के उस पार रहने वाले लोगों को तो अपनी तरफ करने में थोड़ी मुश्किल आ सकती है लेकिन “अपनी तरफ रहने वाले लोगों का दिल जरूर जीत सकते हैं. क्योंकि सीमावर्ती गांवों में रहने वाले लोग आपके आंख और कान बन सकते हैं.” डोवल ने कहा कि ये बेहद जरूरी है कि बॉर्डर पर रहने वाले लोगों को वर्दीधारियों को देखकर ऐसा नहीं लगना चाहिए कि आप उन पर ‘प्रशासनिक अधिकार’ जमा रहे हैं. 

डोवल ने कहा कि इजरायल सैन्य तकनीक में महारत हासिल रखता है. इसके चलते ही ईरान द्वारा इजरायल पर दागी गई करीब 1500 मिसाइलों में से 99 प्रतिशत को आसमान में ही तबाह कर दिया गया (13 अप्रैल 2024). 

डोवल ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर जोर देते हुए कहा कि नेशनल सिक्योरिटी एक ‘विचार मात्र नहीं है’. नेशनल सिक्योरिटी ‘बेकार है अगर उसे क्रियांवित नहीं किया जाता है’. 1971 के युद्ध में पाकिस्तान को परास्त करना, कश्मीर में शांति बहाली करना और लेफ्ट विंग एक्सट्रेमिज्म (नक्सलवाद) पर नकेल इसलिए कसी गई, क्योंकि “राष्ट्रीय सुरक्षा के विचार को लागू किया गया.” (बॉर्डर पर कब्जा तय करता है संप्रभुता: NSA)

डोवल ने सेना (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) की तर्ज पर ही केंद्रीय अर्धसैनिक बलों (बीएसएफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी इत्यादि) में भी ‘ज्वाइंटनेस और इंटीग्रेशन’ पर जोर दिया ताकि एक दूसरे की सेवाएं ओवरलैप ना हों. 

दुनिया की सबसे बड़ी बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स, बीएसएफ का आह्वान करते हुए एनएसए ने कहा कि हमें सबसे बड़े की बजाए सबसे मजबूत फोर्स बनने के लिए काम करने की जरूरत है. डोवल ने कहा कि ‘बेस्ट’ बनने के लिए सुरक्षाबलों को अपने नेतृत्व, ट्रेनिंग, संरचना, मैनेजमेंट और तकनीकी तौर से अपग्रेड होने की जरूरत है. 

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