यूरोप के दौरे पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर से पश्चिमी देशों को जमकर सुनाया है. जयशंकर ने कहा है कि जो लोग संघर्ष को दो देशों का टकराव समझ रहे हैं, वो दो पड़ोसी देशों का संघर्ष नहीं, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई थी. यही आतंकवाद एक दिन पश्चिमी देशों को भी नुकसान पहुंचाएगा.
जयशंकर ने ओसामा बिन लादेन का नाम लेते हुए कहा, ओसामा जैसा आतंकी पाकिस्तान में सुरक्षित महसूस करता था. जयशंकर की ये टिप्पणी ऐसे वक्त में आई है, जब अमेरिका ने पाकिस्तान को अभूतपूर्व सहयोगी बताया है और 14 जून को असीम मुनीर को वॉशिंगटन डीसी के एक कार्यक्रम में आमंत्रित किया है.
पाकिस्तान में खुद को सुरक्षित महसूस करता रहा ओसामा बिन लादेन: जयशंकर
ऑपरेशन सिंदूर के एक महीने के बाद जयशंकर यूरोप के दौरे पर हैं.
ब्रसेल्स में एस जयशंकर ने कहा, “मैं आपको कुछ याद दिलाना चाहता हूं, एक व्यक्ति था ओसामा बिन लादेन. सोचिए, वह आखिर क्यों पाकिस्तान के एक सैन्य कस्बे में उसकी सैन्य अकादमी के ठीक बगल में वर्षों तक खुद को महसूस करता रहा?”
एस जयशंकर ने जोर देते हुए कहा, “मैं चाहता हूं कि दुनिया यह समझे कि यह केवल भारत-पाकिस्तान का मुद्दा नहीं है. यह आतंकवाद से जुड़ा मुद्दा है और वहीं आतंकवाद एख दिन आप लोगों (पश्चिमी देशों) के लिए भी समस्या बन जाएगा.”
अंतरराष्ट्रीय मीडिया की आलोचना करते हुए जयशंकर ने कहा, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को केवल दो परमाणु संपन्न पड़ोसियों की प्रतिक्रिया के रूप में दिखाया, जबकि यह असल में आतंकवाद के खिलाफ एक कार्रवाई थी.
कश्मीर में घुसपैठ कराता रहा पाकिस्तान, पाकिस्तान के साथ खड़ा रहा वेस्ट, अपने अतीत पर नजर डालें पश्चिमी देश: जयशंकर
एस जयशंकर ने कहा, “भारत की सबसे पुरानी शिकायत यही रही है कि हमारी सीमाओं का उल्लंघन (देश की) आजादी के कुछ ही महीनों बाद हुआ, जब पाकिस्तान ने कश्मीर में घुसपैठ करवाई और उस वक्त जो देश सबसे ज्यादा पाकिस्तान के साथ थे, वे पश्चिमी देश थे. अगर वही देश जो तब टालमटोल कर रहे थे, अब आकर हमसे कहते हैं कि आइए, अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों पर बड़ी-बड़ी बातें करें, तो मुझे पूरा हक है कि मैं उनसे कहूं कि पहले अपने अतीत पर भी नजर डालें.”
पश्चिमी देशों के रूस पर लगाए प्रतिबंध में भारत क्यों नहीं शामिल, जयशंकर ने बेबाकी से दिया जवाब
एस जयशंकर से ये पूछा गया कि आखिर रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान वेस्ट ने रूस पर तमाम तरीके के प्रतिबंध लगाए, लेकिन भारत ने उससे दूरी बनाई, ऐसा क्यों.? इस सवाल के जवाब में जयशंकर ने बताया कि “हम (भारत) नहीं मानते कि युद्ध के जरिए मतभेदों को सुलझाया जा सकता है. हमें नहीं लगता कि समाधान जंग के मैदान से आएगा. यह हमारा काम नहीं है कि हम किसी समाधान को थोपें. मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि हम न तो किसी पर अपनी राय थोप रहे हैं, न ही किसी की निंदा कर रहे हैं. लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि हम पूरी तरह अलग-थलग हैं.”
वैश्विक व्यवस्था का प्रमुख स्तंभ है यूरोपीय संघ:जयशंकर
ईयू से रिश्तों को लेकर जयशंकर ने कहा, “मैं आज यूरोप में ‘रणनीतिक स्वायत्तता’ जैसे शब्द सुनता हूं, जो पहले हमारे शब्दकोश का हिस्सा थे. यूरोपीय संघ आज वैश्विक व्यवस्था का एक प्रमुख स्तंभ है और पहले से कहीं अधिक स्वतंत्र निर्णय लेने वाला बन चुका है और भारत इस बहु-ध्रुवीय दुनिया में उसके साथ संबंध और गहरा करना चाहता है.”