कंबोडिया के पूर्व पीएम को अंकल कहने और अपने ही सैन्य अफसर को विरोधी बताने वाली थाईलैंड की पीएम को सस्पेंड कर दिया गया है. थाईलैंड की पीएम पैटोंगटार्न शिनावात्रा की कंबोडिया के पूर्व पीएम हुन सेन की फोन पर की गई 17 मिनट की बातचीत लीक हुई थी. जिसके बाद थाईलैंड में भूचाल मच गया था. मामला कोर्ट की चौखट तक पहुंच गया था. अदालत के नौ में से सात जजों ने पीएम शिनावात्रा को तुरंत ड्यूटी से हटाने का फैसला सुनाया. यह कदम उस याचिका के बाद उठाया गया जिसमें उन्हें नैतिकता के उल्लंघन का दोषी बताया गया है.
थाईलैंड की संवैधानिक कोर्ट ने पीएम को किया सस्पेंड
कंबोडिया के साथ चल रहे राजनयिक और सीमा विवाद के बीच थाईलैंड की संवैधानिक न्यायालय ने पीएम को सस्पेंड करने का बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने थाईलैंड की प्रधानमंत्री पैटोंगटार्न शिनावात्रा के खिलाफ निर्णय लिया है.
राष्ट्रवादियों का आरोप था कि कंबोडिया के साथ सीमा विवाद पर पीएम शिनावात्रा की संदिग्ध भूमिका है. पीएम ने नैतिकता का उल्लंघन किया है. जिसके बाद थाईलैंड की संवैधानिक अदालत ने 7-2 के बहुमत से फैसला लेते हुए कहा कि कि “संवैधानिक अदालत बहुमत से निर्णय लेते हुए 1 जुलाई से प्रधानमंत्री को उनके कार्यों से निलंबित करती है, जब तक कि अदालत इस मामले में अंतिम निर्णय न सुना दे.”
कंबोडिया के पूर्व पीएम से बातचीत हुई थी लीक
हाल ही में थाईलैंड और कंबोडिया की सीमा पर जमकर फायरिंग हुई थी. ये फायरिंग प्रतिबंधित क्षेत्र पर की गई थी. इस फायरिंग में कंबोडिया के एक सैनिक की मौत हो गई थी. इस तनाव के बीच कंबोडिया की पीएम पैटोंगटार्न शिनावात्रा पर ये आरोप लगा है कि उन्होंने कंबोडिया के साथ तनाव के बीच ऐसी बातें कीं जिससे थाईलैंड झुका हुआ दिखा. लोगों का आरोप है कि पीएम शिनावात्रा ने बातचीत में थाईलैंड के आत्मसम्मान पर ठेस पहुंचाई है.
दरअसल पीएम शिनावात्रा ने ताजा सीमा विवाद के बीच कंबोडिया के पूर्व पीएम हुन सेन से बात की थी. हुन सेन अभी कंबोडिया की संसद के अध्यक्ष हैं. हुन सेन ने पीएम शिनावात्रा से हुई 17 मिनट की बातचीत अपने फेसबुक पर डाल कर लीक कर दी. हुन सेन ने अपनी सफाई में कहा कि उन्होंने यह बातचीत इसलिए रिकॉर्ड की ताकि कोई गलतफहमी न हो या झूठी बातें न फैले.
बातचीत में पीएम शिनावात्रा ने हुन सेन को ‘अंकल’ कहा, अपने ही सैन्य अफसर को बताया विरोधी
रिकॉर्डिंग में सुना गया कि पैटोंगटार्न ने हुन सेन को ‘अंकल’ कहा, जब दोनों नेता दोनों देशों की भाषाओं के अनुवादकों के जरिए यह चर्चा कर रहे थे कि सीमा पर लगे प्रतिबंधों को हटाना चाहिए या नहीं, जो उस झड़प के बाद लगाए गए थे.
विवाद इस बात पर भी हुआ कि पैटोंगटार्न ने उस थाई सेना अधिकारी को ‘विरोधी’ कहा, जो उस सीमा इलाके की जिम्मेदारी संभाल रहा था, जहां झड़प हुई थी. थाईलैंड के नेताओं और सरकार के आलोचकों का कहना है कि वह हुन सेन को बहुत ज्यादा खुश करने की कोशिश कर रही थीं, जिससे थाईलैंड कमजोर दिखा. उन्हें सेना के अफसर के बारे में गलतबयानी नहीं करनी चाहिए थी, क्योंकि सेना का अफसर थाईलैंड की सीमा की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध था.
शिनावात्रा ने देश से मांगी थी माफी, कहा, अब कंबोडियाई नेता पर नहीं रहा भरोसा
बातचीत लीक होने के बाद पैटोंगटार्न ने देश से माफी मांगी थी. पीेएम ने सफाई देते हुए कहा, कि उनके बीच बातचीत केवल एक वार्ता की रणनीति थीं और उनका असली मकसद दोनों देशों के बीच शांति लाना था. अब मैं, हुन सेन से कोई निजी बातचीत नहीं करूंगी, क्योंकि अब उन पर भरोसा नहीं रहा.
पैटोंगटार्न ने सफाई में बताया था कि हुन सेन के परिवारों के बीच लंबे समय से करीबी रिश्ते रहे हैं. उनके पिता थाकसिन शिनावात्रा और हुन सेन एक-दूसरे को ‘धर्म भाई’ मानते हैं. साल 2009 में हुन सेन ने थाकसिन को कंबोडिया सरकार का सलाहकार बना दिया था, लेकिन थाकसिन ने थोड़े समय बाद इस्तीफा दे दिया था.
लीक के बाद थाईलैंड पेटोंगटार्न की गठबंधन सरकार से दूसरी सबसे बड़ी पार्टी भूमजयथाई ने समर्थन वापस ले लिया. इसकी वजह से उनकी संसदीय बहुमत कमजोर हो गई.
28 मई को सीमा पर झड़प का पूरा विवाद समझिए, दोनों ने देशों ने लगाए कड़े प्रतिबंध
दरअसल ये पूरा विवाद, 28 मई को ‘एमराल्ड ट्रायंगल’ में हुई एक सैन्य झड़प है. यहां थाईलैंड, कंबोडिया और लाओस की सीमाएं मिलती हैं.ये एक नो मेंस लैंड है. इस झड़प में एक कंबोडियाई सैनिक की मौत हो गई थी. इसके बाद दोनों देशों में राष्ट्रवादी सड़क पर उतर गए.
कंबोडिया ने थाईलैंड पर ड्रोन उड़ाने और सैन्य उकसावे का आरोप लगाया, जबकि थाईलैंड ने इनकार किया. कंबोडिया ने थाई आयात, टीवी ड्रामा और इंटरनेट बैंडविड्थ पर बैन लगा दिया, जिससे तनाव और बढ़ गया.
इन सबके बीच पीएम पैंटोगटार्न शिनावात्रा का कंबोडियाई पूर्व पीएम से बातचीत और अपने ही सैन्य अफसर को भला बुरा कहना, राष्ट्रवादियों को बिलकुल पसंद नहीं आया और मामला संवैधानिक कोर्ट की दहलीज पर पहुंच गया था.