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कदम-कदम बढ़ाए जा, ऑल इंडिया ऑल क्लास

76 वें गणतंत्र दिवस के मौके पर कर्तव्य पथ पर सेना की टुकड़ियों की कमान संभाली द गार्ड्स रेजिमेंट ने. मार्चिंग दस्ते में सबसे पहली टुकड़ी द गार्ड्स (‘बिग्रेड ऑफ द गार्ड्स’) की थी. भारतीय सेना की ये एकमात्र इन्फेंट्री रेजीमेंट है जो ‘ऑल इंडिया, ऑल क्लास’ पर आधारित है.

आजादी के बाद खड़ी की गई द गार्ड्स रेजीमेंट में देश के किसी भी धर्म, जाति या फिर क्षेत्र के सैनिक शामिल हो सकते हैं. भारतीय सेना की बाकी इन्फैंट्री रेजीमेंट विशेष जाति, धर्म या फिर क्षेत्र के आधार पर खड़ी की गई हैं. ‘मार्शल रेस’ पर आधारित ये रेजीमेंट ब्रिटिश काल में संगठित की गई थी.

इस बार कर्तव्य पथ पर द गार्ड्स के अलावा जाट रेजीमेंट, गढ़वाल रेजिमेंट, महार और जम्मू कश्मीर राइफल्स (जैकरिफ) रेजिमेंट की टुकड़ियां मार्च-पास्ट का हिस्सा बनी. इंफैन्ट्री रेजीमेंट के अलावा कोर ऑफ सिगनल का मार्चिंग दस्ता भी परेड का हिस्सा बना.

साझा मिलिट्री बैंड ने बजाई धुन

इस साल मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री, पंजाब रेजीमेंट और राजपूत रेजीमेंट के एक साझा मिलिट्री बैंड ने संविधान की धुन कर्तव्य पथ पर बजाई. साथ ही सिख, पंजाब और लद्दाख स्काउट का मिलाजुला बैंड कदम-कदम बढ़ाए जा की धुन के साथ सलामी मंच के सामने से गुजरा. 13 गोरखा, आर्टिलरी सेंटर (नासिक) और 3 ईएमई का एकीकृत बैंड ध्रुव भी देश-विदेश की गणमान्य हस्तियों के सामने आया. (https://x.com/narendramodi/status/1883473980222583132)

पिता-पुत्र की जोड़ी ने बनाया इतिहास

इस साल गणतंत्र दिवस परेड में इतिहास बनता दिखाई पड़ा. इतिहास इसलिए क्योंकि, पहली बार परेड में एक पिता-पुत्र की जोड़ी दिखाई दी. दोनों ही आर्मी ऑफिसर थे और यूनिफॉर्म में परेड का हिस्सा बने.

इस साल कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस समारोह के परेड कमांडर थे लेफ्टिनेंट जनरल भावनिश कुमार. ले.जनरल कुमार, दिल्ली एरिया के जीओसी (जनरल ऑफिसर कमांडिंग) भी हैं. हर साल जीओसी (दिल्ली एरिया) ही कर्तव्य पथ पर परेड की कमान संभालते हैं. आर्मी जिप्सी में ले.जनरल भावनिश कुमार ही सबसे पहले कर्तव्य पथ पर उतरे.

ले. जनरल कुमार के बेटे लेफ्टिनेंट अहान कुमार भी भारतीय सेना की 61 कैवेलरी में सेवारत हैं. इस बार परेड में लेफ्टिनेंट अहान अपनी यूनिट की टुकड़ी का नेतृत्व कर रहे थे. लेफ्टिनेंट अहान और उनकी कैवेलरी की टुकड़ी घोड़े पर कर्तव्य पथ पर मार्च करते हुई दिखाई दी. (https://x.com/adgpi/status/1883490393523618077)

सेना की 61 कैवेलरी में आज भी इस्तेमाल होते हैं घोड़े

भारतीय सेना की 61 कैवेलरी, दुनिया की उन चुनिंदा रेजीमेंट में है जो घोड़ा का इस्तेमाल करती है. हालांकि, अब इस यूनिट का इस्तेमाल ऑपरेशन्स या फिर जंग के मैदान में नहीं किया जाता है.

प्रथम विश्व युद्ध (1914-18) के बाद दुनियाभर की सेनाओं में घोड़ा का इस्तेमाल बंद कर दिया गया था. भारतीय सेना में भी घोड़ों की जगह टैंक और बख्तरबंद गाड़ियों (आर्मर्ड पर्सनल कैरियर) ने ले ली. लेकिन भारतीय सेना ने माउंटेड कॉलम के तौर 61 कैवेलरी को जिंदा रखा. अब 61 कैवेलरी को सैन्य समारोह के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

61 कैवेलरी के अलावा, इस बार भी कर्तव्य पथ पर महामहिम राष्ट्रपति के साथ प्रेसिडेंशियल बॉडी गार्ड्स (पीबीजी) की टुकड़ी भी घोड़ों पर नजर आई. पीबीजी भी सेना की पारंपरिक यूनिट है और कॉम्बेट में कम इस्तेमाल की जाती है.

खुद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और इंडोनेशियाई समकक्ष प्रवोबो सुबियांतो भी पारंपरिक बग्घी से कर्तव्य पथ पर पहुंचे थे.

पुलिस और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की टुकड़ियां

कर्तव्य पथ पर दिल्ली पुलिस, रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ), सीआरपीएफ, असम राइफल्स और भारतीय तटरक्षक बलों की टुकड़ियों ने भी परेड में कदमताल किया.

बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (बीएसएफ) के ऊंट दस्ते ने भी चिर-परिचित रंग-बिरंगे पोशाक में कर्तव्य पथ पर सभी का मन मोह लिया. (https://x.com/crpfindia/status/1883399738990748158)