साउथ चायना सी में चीन और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए टकराव के बीच भारतीय नौसेना के तीन युद्धपोत सिंगापुर पहुंच गए हैं. ये तीनों युद्धपोत दक्षिण चीन सागर में ऑपरेशनल तैनाती के लिए जा रहे हैं. 4 मई को चीन के एक फाइटर जेट ने ऑस्ट्रेलिया के हेलीकॉप्टर पर ‘फ्लेयर-ब्लास्ट’ किया था. आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने इस घटना की शिकायत चीन से की है. तभी से साउथ चायना सी में तनाव के बादल छाए हुए हैं.
दक्षिण चीन सागर पहुंच रहे हैं भारतीय नौसेना के 3 जहाज
साउथ चाइना सी में तैनाती के लिए भारतीय नौसेना के तीन युद्धपोत आईएनएस दिल्ली, शक्ति और किल्टन सिंगापुर पहुंचे है. पूर्वी बेड़े के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग रियर एडमिरल राजेश धनखड़ के नेतृत्व में ये तीनों युद्धपोत 6 मई यानी सोमवार को सिंगापुर पहुंचे.
सिंगापुर की नौसेना और वहां तैनात भारतीय उच्चायुक्त ने दिल्ली, शक्ति और किल्टन का गर्मजोशी से स्वागत किया. तीनों जहाज की ये यात्रा दक्षिण चीन सागर में भारतीय नौसेना के पूर्वी बेड़े की परिचालन तैनाती का हिस्सा है. भारतीय नौसेना की सिंगापुर यात्रा से भारत-सिंगापुर के बीच दीर्घकालिक मित्रता और सहयोग को और मजबूत किया जाएगा (https://x.com/neeraj_rajput/status/1787718355706900966).
भारत और सिंगापुर नौसेना में हर साल द्विपक्षीय युद्धाभ्यास भी किया जाता है. पिछले साल सितंबर महीने में ‘सिम्बेक्स’ युद्धाभ्यास में भारत और सिंगापुर की नौसेनाओं ने दक्षिण चीन सागर के दक्षिणी हिस्से में एक सप्ताह तक समुद्री अभ्यास किया था. इसके लिए भारत और सिंगापुर ने एक-एक पनडुब्बी तैनात की थी. भारतीय नौसेना की तरफ से राजपूत-क्लास डिस्ट्रॉयर आईएनएस रणविजय, कमोर्टा-क्लास कार्वेट आईएनएस कवरत्ती और एक पी-81 मेरिटाइम पेट्रोल एयरक्राफ्ट ने हिस्सा लिया था तो सिंगापुर की तरफ से आरएसएस स्टालवार्ट और आरएसएस टेनियस शामिल हुआ था.
भारत के लिए जरूरी है सिंगापुर से मजबूत संबंध
भारत और सिंगापुर के बीच ये सहयोग इसलिए भी जरूरी है क्योंकि हिंद महासागर में चीन, भारत को घेरने की कोशिश करता है. कभी मालदीव को भड़का कर तो कभी जासूसी जहाज के जरिए भारत की परेशानी बढ़ाता है, लिहाजा अब सिंगापुर के सहयोग से दक्षिण चीन सागर में भारत जैसे को तैसा की नीति अपना रहा है. साल 2018 में भारत ने चांगी नौसेना बेस तक पहुंचने के लिए सिंगापुर के साथ एक समझौता किया. भारत और सिंगापुर के बीच नौसेना सहयोग के लिए भी द्विपक्षीय समझौता किया है. यह समझौता भारतीय नौसेना को रणनीतिक रूप से दक्षिण चीन सागर के पास स्थित नौसैनिक अड्डे तक पहुंचने में सक्षम बनाता है.
चीन और आस्ट्रेलिया में फिर तनातनी
दक्षिण चीन सागर में चीन ने ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के हेलीकॉप्टर पर फ्लेयर ब्लॉस्ट करके तनातनी बढ़ा दी है. ऑस्ट्रेलिया ने चीन की हरकत पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है और ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्लेस ने कहा है कि ऐसी घटना ‘अस्वीकार्य’ है. दरअसल साउथ चाइना सी में कुछ ना कुछ करके चीन तनाव बरकरार रखना चाहता है. फिलीपींस के बाद अब येलो सी (पीले सागर) में चीनी लड़ाकू विमान ने ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के हेलीकॉप्टर पर फ्लेयर्स छोड़े हैं. इस दौरान फ्लेयर्स से बचने के लिए हेलीकॉप्टर को खतरनाक तरीके से पायलट और हेलीकॉप्टर दोनों को ब्लास्ट का सामना करना पड़ा. ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अलबेनीज ने कहा कि “हमने चीन को यह स्पष्ट कर दिया है कि यह गैर-पेशेवर (करतूत) है अस्वीकार्य है.”
चीनी एयरफोर्स के जे-10 जेट ने छोड़े फ्लेयर्स
दरअसल, ऑस्ट्रेलिया का एमएच 60 आर सीहॉक हेलीकॉप्टर उत्तर कोरिया के खिलाफ प्रतिबंधों को लागू करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के मिशन पर था. शनिवार को ऑस्ट्रेलियाई युद्धपोत एचएमएएस होबार्ट से एमएच-60आर सीहॉक हेलीकॉप्टर ने उड़ान भरी थी. मिशन के दौरान ऑस्ट्रेलिया का हेलीकॉप्टर पीले सागर में नियमित उड़ान भर रहा था. इस दौरान सीहॉक हेलीकॉप्टर का रास्ता पीपुल्स लिबरेशन आर्मी-एयरफोर्स (पीएलए-एएफ) के जे-10 विमान ने रोक लिया. चीनी वायुसेना के जे 10 लड़ाकू विमान ने ऑस्ट्रेलियाई एमएच 60 आर सीहॉक हेलीकॉप्टर के ऊपर और कुछ सौ मीटर आगे फ्लेयर्स छोड़े. जिसके बाद ऑस्ट्रेलिया पायलट ने जैसे तैसे अपनी जान बचाई.
बेहद गंभीर घटना, चीन का एक्शन अस्वीकार्य है: रिचर्ड मार्लेस
ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्सेल ने पीले सागर में चीन के फ्लेयर छोड़े जाने को ‘असुरक्षित’ और ‘अस्वीकार्य’ करार दिया है. रिचर्ड मार्लेस ने कहा, “यह एक बहुत गंभीर घटना है, यह असुरक्षित थी. पीएलए वायुसेना के विमान ने सीहॉक हेलीकॉप्टर के सामने लगभग 300 मीटर और उससे लगभग 60 मीटर ऊपर आग की लपटें गिराईं, जिससे हेलीकॉप्टर को उन आग की चपेट में न आने के लिए खुद को अलग करने वाली कार्रवाई करनी पड़ी. हमने इस घटना के बारे में औपचारिक रूप से अपनी चिंता व्यक्त की है, और ये असुरक्षित और गैर-पेशेवर थी.”
ऑस्ट्रेलिया के रक्षा विभाग ने बताया कि “ऑस्ट्रेलियन डिफेंस फोर्सेज के कर्मियों को कोई चोट नहीं आई. इसके अलावा एमएच-60आर हेलीकॉप्टर को कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन हमारे एडीएफ कर्मियों की सुरक्षा और भलाई हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है. ऑस्ट्रेलिया को उम्मीद है कि चीन समेत सभी देश अपनी सेनाओं को पेशेवर और सुरक्षित तरीके से संचालित करेंगे.”
ये कोई पहली बार नहीं है कि चीनी फाइटर जेट ने ऑस्ट्रेलिया के किसी एयरक्राफ्ट के खिलाफ ऐसी कार्रवाई की है. वर्ष 2022 में भी पीएलए-एयरफोर्स ने ऐसी करतूत को अंजाम दिया था. इसके अलावा अक्टूबर 2023 में चीन के एक फाइटर जेट ने दक्षिणी चीन सागर में अमेरिकी बॉम्बर के करीब बेहद ही खतरनाक तरीके से मैनुवर किया था जिसका पेंटागन (अमेरिकी रक्षा विभाग) ने विरोध दर्ज कराया था.