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Thucydides Trap में फंसा इंडो-पैसिफिक क्षेत्र, भारत चाहता है नियम आधारित व्यवस्था

इजरायल-हमास और रूस-यूक्रेन जंग के बीच पहली बार भारत ने माना है कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भी ‘जियो-पॉलिटिकल युद्ध के बादल छाए हुए हैं’ जिसमें उभरती हुई विश्व-शक्तियां स्थापित महाशक्तियों को उखाड़ फेंकने की तैयारी कर रही हैं. चीन पर अ-परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए भारत ने साफ किया कि वो उस “नियम-प्रधान व्यवस्था के अग्रिम मोर्चे पर खड़ा है जो ऐसे किसी भी ऑर्डर के खिलाफ है जो दूसरे देशों के अधिकारों की परवाह नहीं करती है.” 

बुधवार से भारतीय नौसेना तीन दिवसीय (15-17 नवम्बर) सालाना ‘इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग’ (एपीआरडी-2023) का आयोजन करने जा रही है. इस साल मेगा सम्मेलन का थीम है ‘इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के समुद्री व्यापार और कनेक्टिविटी पर जियो-पॉलिटिक्स का प्रभाव’. सम्मेलन को उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संबोधित करेंगे. भारतीय नौसेना इस सम्मेलन को नेशनल मैरीटाइम फाउंडेशन (एनएमएफ) के साथ मिलकर आयोजित कर रही है. 

एपीआरडी-2023 की घोषणा के साथ ही भारतीय नौसेना ने अपने एक्स (ट्विटर) अकाउंट पर एक 1.14 मिनट का वीडियो शेयर किया है. इस वीडियो के जरिए इंडियन नेवी ने बताया है कि मोजाम्बिक चैनल से लेकर स्ट्रेट ऑफ होर्मुज और बब-एल-मंडेब से लेकर साउथ चायना सी (दक्षिण चीन सागर) तक हिंद-प्रशांत क्षेत्र फैला हुआ है जिसमें “एक प्रचंड जियो-पॉलिटिकल लड़ाई छाई हुई है.” चीन के प्रतीक ‘ड्रैगन’ के सामने ‘टाइगर’ (दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों) को दहाड़ते हुए लिखा गया है कि पहले से “स्थापित महाशक्ति और उभरती हुए विश्व-शक्तियों में अपने-अपने प्रभाव को स्थापित करने के लिए महा-टकराव चल रहा है.” 

नौसेना के वीडियो में बताया गया है कि कैसे “रि-एलाइनमेंट, पार्टनरशिप और जियो-पॉलिटिकल मैनुवर” से पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक लहर सी दौड़ जाती है. जब सभी देश अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की बिसात पर मोहरों की तरह अपनी-अपनी जगह बना लेते हैं तो ‘

थ्युसिडिस-ट्रैप’ की फुसफुसाहट सभी की रीढ़ की हड्डी में सरसराहट पैदा कर देती है. इस थ्योरी के मुताबिक, ग्रीक इतिहास में स्पार्टा और एथेंस के बीच युद्ध इसलिए हुआ था क्योंकि स्पार्टा को एथेंस की बढ़ती हुई ताकत का डर सताने लगा था. ठीक वैसे ही स्थिति आज इंडो-पैसिफिक रीजन में बन गई है. 

नेवी के मुताबिक, ऐसे समय में जब इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में गठजोड़, वर्चस्व और साजिश का दौर चल रहा है “भारत एक नियम आधारित व्यवस्था का मोर्चा संभाले हुए है जो ऐसी किसी भी व्यवस्था का विरोध करता है जो दूसरे देशों के अधिकारों की अनदेखी करता है.” भारत ने इस सम्मेलन के माध्यम से सभी देशों को जुड़ने का आहवान किया है ताकि एक दूसरे के हाथ मिलाने से रूल्स को डिकोड किया जा सके और सभी देशों की संप्रभुता का आदर कर सकें. 

हाल ही में भारतीय नौसेना ने गोवा मैरीटाइम कॉनक्लेव (जीएमसी) का आयोजन किया था (29-31 अक्टूबर) जिसका उद्देश्य हिन्द महासागर क्षेत्र के देशों के साथ सहयोग बढ़ाना है. एपीआरडी का मकसद सामरिक गठजोड़ के जरिए हिन्द-प्रशांत महाक्षेत्र में सुरक्षा प्रदान करना है. 

रूस-यूक्रेन युद्ध के साथ ही चीन ने ताइवान के खिलाफ आक्रामक रवैया शुरू कर दिया है. इसके अलावा साउथ चायना सी में चीन की कोस्टगार्ड और नौसेना फिलीपींस की बोट और युद्धपोत को दाखिल होने से रोक रही है. साथ ही दूसरे दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के एक्सक्लुजिव इकोनॉमिक जोन (ईईजेड) पर भी चीन अपना अधिकार जमाने की फिराक में है. 

गौरतलब है कि एपीआरडी-2023 ऐसे समय में आयोजित हो रहा है जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में एशियान डिफेंस मिनिस्टर प्लस मीटिंग (16 नवम्बर) में हिस्सा लेने जा रहे हैं.  

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