अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कार्यकाल कैसा रहने वाला है. इसका ट्रेलर दिखना शुरु हो गया है. ताजपोशी से पहले डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को अमेरिकी डॉलर खत्म करने वाले बयान पर वॉर्निंग दी है.
ट्रंप ने कहा है कि ब्रिक्स देशों ने अगर यूएस डॉलर की जगह ब्रिक्स करेंसी या किसी अन्य करेंसी को सपोर्ट किया तो उन्हें इसका खामियाजा भुगतना होगा. ट्रंप ने कहा अगर ऐसा हुआ तो अमेरिका, ब्रिक्स देशों पर 100 प्रतिशत शुल्क लगाएगा.
ब्रिक्स देश वादा करें, नहीं तो अमेरिका चुप नहीं रहेगा: डोनाल्ड ट्रंप
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ट्रंप ने लिखा, “हम ब्रिक्स देशों से ये कमिटमेंट चाहते हैं कि वो ना तो नई ब्रिक्स करेंसी क्रिएट करेंगे और न ही अमेरिकी डॉलर के स्थान पर किसी दूसरी करेंसी को सपोर्ट करेंगे. अगर ब्रिक्स देश ऐसा करेंगे तो वो ये न सोचें कि अमेरिकी यह सब मूकदर्शक बनकर देखता रहेगा. वह दौर अब समाप्त हो चुका है कि ऐसे फैसलों पर अमेरिका चुप रहे.” (https://x.com/realDonaldTrump/status/1863009545858998512)
दरअसल रूस के कजान में हुए ब्रिक्स सम्मेलन में ट्रेड के लिए डॉलर की वैकल्पिक करेंसी को लेकर बात करते हुए एक प्रतीकात्मक ब्रिक्स बैंक नोट का अनावरण भी किया गया था.
शक्तिशाली डॉलर की जगह नहीं ले सकती कोई करेंसी: ट्रंप
हाल ही में कजान में हुए ब्रिक्स देशों के सम्मेलन में कई देशों ने अपने आर्थिक संबंधों को मजबूत करने और इंटरनेशनल बिजनेस में डॉलर के बजाय अन्य विकल्पों पर विचार करने की संभावना जताई थी. पर अब ट्रंप ने कहा है, “हम चाहते हैं कि ब्रिक्स देश वादा करें कि वो शक्तिशाली अमेरिकी डॉलर की जगह किसी अन्य मुद्रा का समर्थन नहीं करेंगे, वरना उन पर 100 प्रतिशत शुल्क लगाया जाएगा और उन्हें अद्भुत अमेरिकी बाजारों में अपना सामान बेचने की उम्मीद छोड़ देनी होगी.”
डॉलर का राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल: पुतिन
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कजान में कहा था, “ब्रिक्स राष्ट्र, अमेरिकी डॉलर को पूरी तरह से अस्वीकार नहीं कर रहे हैं बल्कि डॉलर तक पहुंच सीमित होने की स्थिति का विकल्प तैयार कर रहे हैं.”
पुतिन का मानना था कि डॉलर का राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने से दुनिया का विश्वास कम हुआ है. इसलिए ब्रिक्स देशों को व्यापार के लिए वैकल्पिक मुद्राओं की खोज कर जोखिमों कम करने की जरूरत है.” ब्रिक्स देशों ने पुतिन की बात को औपचारिक रूप से स्थानीय मुद्राओं में सीमा पार भुगतान के निपटान का समर्थन किया है.
डॉलर बनाम ब्रिक्स करेंसी, क्या करेगा भारत?
ब्रिक्स के नौ (09) स्थाई सदस्यों के अलावा कई अन्य देश भी अब ब्रिक्स के सदस्य हैं. पिछले कुछ साल में ब्रिक्स देश, जिसमें रूस और चीन, अमेरिकी डॉलर के विकल्प के तौर पर ब्रिक्स की अपनी मुद्रा लाने की कोशिश कर रहे हैं. भारत हालांकि, इस मामले पर तटस्थ है. एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि “भारत की ब्रिक्स मुद्रा के लिए कोई योजना नहीं है.”
ऐसे में माना जा रहा है कि अमेरिका का निशाना सीधे तौर पर रूस और चीन की तरफ ही है. हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप ने चीन, कनाडा और मैक्सिको से आने वाले सामानों पर 10-25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का ऐलान किया है.