भारत, रूस, चीन और ब्राजील के आर्थिक समूह, ब्रिक्स में शामिल होने के लिए तुर्की (तुर्किए) ने आवेदन किया है. पिछले 18 सालों में पहली बार है कि किसी नाटो देश ने ब्रिक्स में शामिल होने की इच्छा जताई है. अगले महीने रूस के कजान में ब्रिक्स (22-24 अक्टूबर) होने जा रहा है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हो सकते हैं.
एशिया और यूरोप के बीच में एक ब्रिज की तरह खड़े तुर्की को यूरोपीय संघ (ईयू) की सदस्यता नहीं मिल पा रही है. ऐसे में अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और ग्लोबल स्टेज पर अपनी साख बढ़ाने के इरादे से एर्दोगन के देश तुर्की ने ब्रिक्स में शामिल होने का आवेदन किया है.
तुर्की के साथ ही मलेशिया और अजरबैजान जैसे देश भी ब्रिक्स की सदस्यता लेने के लिए आवेदन कर चुके हैं. हाल ही में ईरान, इथोपिया, यूएई और मिस्र भी ब्रिक्स समूह का हिस्सा बने हैं और अगले महीने कजान (रूस) में होने जा रहे शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे.
वर्ष 2006 में स्थापित ब्रिक्स समूह में भारत, रूस, चीन और ब्राजील संस्थापक सदस्य हैं जबकि दक्षिण अफ्रीका वर्ष 2010 में हिस्सा बना था. समूह को विकसित देशों के जी-7 का प्रतिद्वंदी माना जाता है.
ब्रिक्स का आखिरी सम्मेलन वर्ष 2023 में साउथ अफ्रीका में हुआ था. लेकिन इस सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हिस्सा नहीं लिया था. क्योंकि पुतिन के खिलाफ इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (आईसीसी) का अरेस्ट वारंट था. आईसीसी का सदस्य देश होने के चलते साउथ अफ्रीका अंतरराष्ट्रीय नियमों से बंधा है.
कजान में होने वाले सम्मेलन में पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी हिस्सा लेने जा रहे हैं. उसी दौरान तुर्किए की सदस्यता पर भी चर्चा की जाएगी.
गुरुवार को पुतिन ने यूक्रेन युद्ध के शुरुआती हफ्तों में शांति वार्ता के लिए तुर्की की तारीफ की थी. पुतिन ने कहा था कि इस्तांबुल में हुई शांति वार्ता सफल होने जा रही थी लेकिन पश्चिमी देशों ने भांजी मारी दी थी.