प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सिंगापुर यात्रा से पहले संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में भारत की स्थायी सीट को लेकर एक बड़ी आवाज उठी है. सिंगापुर के एक पूर्व डिप्लोमैट ने सुझाव दिया है कि इंग्लैंड (यूके) को यूएन सुरक्षा परिषद की अपनी सीट भारत को दे देनी चाहिए. क्योंकि ये आज की जियो-पॉलिटिक्स की दरकार है.
सिंगापुर के पूर्व राजनयिक किशोर मधुबनी के मुताबिक, आज के समय में यूनाइटेड किंगडम (यूके) अपनी ताकत खो चुका है. पिछले कई दशक से इंग्लैंड ने अपनी वीटो पावर का इस्तेमाल तक नहीं किया है.
मधुबनी के मुताबिक, अमेरिका और चीन के बाद भारत आज तीसरा सबसे शक्तिशाली देश है जबकि इंग्लैंड अब शक्तिशाली देश नहीं रह गया है. ऐसे में इंग्लैंड को अब साइड हो जाना चाहिए.
मधुबनी 2021-22 में संयुक्त राष्ट्र में सिंगापुर के स्थानीय प्रतिनिधि थे. उन्होंने कहा कि भारत आज दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और 2022 में यूके को पीछे छोड़ दिया था. ऐसे में भारत को यूएनएससी में स्थायी सीट मिलनी चाहिए.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में इंग्लैंड के अलावा अमेरिका, रुस, चीन और फ्रांस सहिक कुल पांच स्थायी सदस्य है. इसके अलावा दस अस्थायी सदस्य भी होते हैं जो रोटेशन से चुने जाते हैं. लेकिन अंतरराष्ट्रीय महत्व के मामलों पर सिर्फ स्थायी सदस्यों को ही वीटो का अधिकार होता है.
पिछले कुछ सालों से भारत, जर्मनी, जापान और ब्राजील जैसे देश यूएनएससी में सुधारों की मांग करते हुए स्थायी सदस्यों की सीट बढ़ाने की मांग कर रहे हैं.
पीएम मोदी इसी हफ्ते दो दिवसीय दौरे (4-5 सितंबर) को सिंगापुर जा रहे हैं. खास बात ये है कि इस महीने के आखिर में मोदी संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने न्यूयॉर्क भी जा रहे हैं (26 सितंबर).