पहले अमेरिका के एमक्यू-9 ड्रोन पर अटैक और फिर टॉप मिलिट्री कमांडर्स की ऑडियो लीक होने से शर्मिंदगी झेल रहा जर्मनी अब भारत के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाने की कवायद कर रहा है. चीन के खिलाफ लामबंदी के उद्देश्य से जर्मनी, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में आने की तैयारी कर रहा है और भारत के साथ मिलिट्री एक्सरसाइज करने जा रहा है.
मालदीव के साथ मिलकर हिंद महासागर में चीन की दखलअंदाजी रोकने के लिए भारत के साथ आ रहे हैं यूरोप के कई देश. भारत के साथ मिलकर यूरोप के कई देश चीन को हिंद महासागर में मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार हैं. इस साल अक्टूबर के महीने में जर्मनी पहली बार भारत के साथ मिलकर बड़ी वॉर एक्सरसाइज करने जा रहा है. इस एक्सरसाइज में फ्रांस, ब्रिटेन और स्पेन भी शामिल होंगे. ऐसा पहली बार होगा जब भारत और जर्मनी साथ में आएंगे.
जर्मनी और दूसरे यूरोपीय देशों के भारत के साथ सैन्य संबंधों को रुस-यूक्रेन युद्ध से जोड़ कर भी देखा जा रहा है. क्योंकि यूक्रेन युद्ध में भारत की तटस्थ भूमिका रही है और रुस की खुलकर आलोचना नहीं की है. दुनियाभर के प्रतिबंधों के बावजूद भारत ने रुस से हथियार खरीदने से लेकर व्यापार जारी रखा है. भारत ने साफ कर दिया है कि रुस-यूक्रेन युद्ध यूरोप की समस्या है. ऐसे में पश्चिमी देश आपस में निपटें. भारत ने दो टूक कह दिया था कि जब भारत को यूरोपीय देशों की जरूरत थी (चीन के खिलाफ लामबंद होने की) तब किसी देश ने साथ नहीं दिया था. यही वजह है कि जर्मनी सहित सभी यूरोपीय देश आज भारत के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाने में जुटे हैं. यूरोपीय देश जानते हैं कि अगर आज रुस (और उनके राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन) दुनिया में किसी की सुनते हैं तो भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की (https://youtu.be/lNIvv_hiUJc?si=Ya5Dnm4L_7NHfLTo).
यही वजह है कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत के बढ़ते कद को देखते हुए जर्मनी भी भारत के साथ सैन्य रिश्ते मजबूत करना चाहता है. जर्मनी हिंद-प्रशांत में भारत और उसके जैसी सोच रखने वाले देशों के साथ सहयोग बढ़ाना चाहता है. भारत में जर्मनी के राजदूत फिलिप एकरमैन इस बात को मानते हैं कि पहले जर्मनी को भारत के साथ रक्षा क्षेत्र में संबंध को लेकर कन्फ्यूजन थी पर अब जर्मनी भारत के साथ अपने संबंध मजबूत करना चाहता है.
एकरमैन ने एक इंटरव्यू में कहा है कि जर्मनी अब नाटो के अलावा भी अपने डिफेंस रिलेशन मजबूत करना चाहता है. भारत और जर्मनी की सेनाएं इसी साल अक्टूबर में जॉइंट मिलिट्री एक्सरसाइज भी करेंगी.
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी भागीदारी को दीर्घकालिक बनाने के लिए जर्मनी ने भारत में बड़ी संख्या में सैन्य बल की तैनाती की योजना बनाई है. जर्मनी के दूतावास के प्रवक्ता सेबेस्टियन फुक्स ने कहा, “अक्टूबर में हमने हमारे भारतीय साझेदारों के साथ मिलकर एक ऐसी योजना बनाई है, जो अतीत में जर्मनी के वायुसेना बल ने कभी नहीं बनाई. जर्मनी की वायु सेना भारत में जेट भेजेगी लेकिन सिर्फ अपने नहीं, हम फ्रांस, स्पेन और ब्रिटेन के साथ मिलकर ऐसा करेंगे.”
भारतीय वायु सेना अगस्त में दक्षिण भारत में बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास का आयोजन करने वाली है. वायुसेना के युद्धाभ्यास में जर्मनी लड़ाकू विमान, टैंकर और परिवहन विमानों सहित सैन्य विमानों की एक टुकड़ी भेजेगा. अगस्त के युद्धाभ्यास के पास अक्टूबर में एक जर्मन नौसैनिक युद्धपोत और एक फाइटर जेट भी गोवा पहुंचेंगे. जानकारी के मुताबिक, जर्मनी के पास एक युद्धपोत है, जो अक्टूबर में गोवा के तट पर आ रहा है. इसके अलावा एक लड़ाकू सहायता जहाज भी होगा. जर्मनी की कोशिश है कि हिंद-प्रशांत के प्रति गंभीर और दीर्घकालिक प्रतिबद्धता और एक विश्वसनीय पार्टनरशिप को दिखाना जरूरी है. बर्लिन में भारत-जर्मनी उच्च रक्षा समिति की बैठक के बाद घोषणा की गयी है. जर्मन दूतावास ने बुधवार को जर्मन-इंडियन ग्रीन एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट पार्टनरशिप (जीएसडीपी) का लोगो भी लॉन्च किया था.
जर्मन राजदूत फिलिप एकरमैन के मुताबिक, “जर्मनी के सोच में बदलाव यूक्रेन पर रूस के हमले और चीन के विस्तारवादी रवैये के चलते आया है. चीन ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में तमाम अंतरराष्ट्रीय नियमों को ताक पर रख दिया है जिसके बाद जर्मनी ने नाटो क्षेत्र के बाहर अपने रणनीतिक साझेदारों के साथ सहयोग को बढ़ाने का फैसला लिया है. जर्मनी को लगता है कि रणनीतिक सहयोग के लिए भारत इस क्षेत्र में एक बहुत अच्छा भागीदार है क्योंकि दोनों देशों के बहुत से हित और मूल्य मिलते-जुलते हैं.”
जर्मनी ने भारत के प्रोजेक्ट 75 (आई) के तहत छह स्टेल्थ पनडुब्बियां बनाने की पेशकश भी की है. हालांकि, स्पेन की नवंतिया कंपनी भी इसके लिए दौड़ में शामिल है (https://youtu.be/DHnClS6M_0g?si=dZ0Bt86g4ToTUHGB).
हाल के दिनों में जर्मनी की सेना अपनी ही मीडिया का आलोचना का जबरदस्त शिकार हुई है. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद पहली बार युद्ध के मैदान में उतरी जर्मनी की नौसेना ने हाल ही में लाल सागर में अपने ही सहयोगी देश अमेरिका के एमक्यू-9 रीपर ड्रोन को मार गिराने की कोशिश की. जर्मनी की नेवी को अंदेशा था कि ये ड्रोन यमन के हूती विद्रोहियों का है. लेकिन दो बार जर्मन नेवी एमक्यू-9 ड्रोन को टारगेट करने में असमर्थ रही (लाल सागर में German नेवी के लिए शर्मिंदगी). इसके बाद जर्मनी के वायुसेना प्रमुख और तीन अन्य टॉप मिलिट्री कमांडर की यूक्रेन युद्ध में टॉरस मिसाइल को लेकर कर रहे बातचीत का ऑडियो लीक हो गया था. ऐसे में जर्मन सेना की इस बात को लेकर किरकिरी हुई कि सैन्य कमांडर की बातचीत तक गुप्त रखने में नाकाम हैं (जर्मन सेना का ऑडियो लीक, फिर ‘शर्मिंदगी’).
ReplyForwardAdd reaction |
ReplyForwardAdd reaction |
ReplyForwardAdd reaction |
ReplyForwardAdd reaction |
ReplyForwardAdd reaction |
ReplyForwardAdd reaction |
ReplyForwardAdd reaction |