आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र में खाई है कसम. 1 जनवरी को पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में दो साल की अस्थायी सदस्यता ग्रहण की है. भारत के लिए चिंता ये है कि पाकिस्तान इस अहम जगह पहुंचकर वैश्विक आतंकवाद को बढ़ावा देने में मददगार साबित ना हो पाए. क्योंकि पाकिस्तान की अपने देश में आतंकवाद एक स्टेट-पॉलिसी है.
सदस्यता ग्रहण करने पर पाकिस्तानी राजनयिक मुनीर अकरम ने हालांकि, कहा है कि “पाकिस्तान वैश्विक चुनौतियों के समाधान में सक्रिय भूमिका निभाएगा.” यह आठवीं बार है, जब पाकिस्तान को सुरक्षा परिषद के 15 सदस्यीय पैनल में जगह मिली है.
यूएनएससी में 2 साल का अस्थायी सदस्य बना पाकिस्तान
पाकिस्तान ने यूनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल में दो साल के अस्थायी सदस्य के रूप में अपनी जिम्मेदारी संभाल ली है. इस दौरान पाकिस्तान ने कहा- पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल वैश्विक चुनौतियों का “सक्रिय और रचनात्मक” समाधान देने में भूमिका निभाएगा, और आतंकवाद के नकारात्मक प्रभावों को रोकने के लिए काम करेगा.
पाकिस्तान के राजनयिक अकरम ने इस मौके पर कहा, ” हम ऐसे समय में परिषद के सदस्य बन रहे हैं, जब वैश्विक राजनीति उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है. यूरोप, मध्य पूर्व, अफ्रीका और अन्य जगहों पर युद्ध चल रहे हैं और हथियारों की होड़ तेजी से बढ़ रही है.”
यूनाइटेड नेशन्स मुताबिक- पाकिस्तान 1 जुलाई से 31 दिसंबर 2026 तक के लिए सिक्योरिटी काउंसिल की अध्यक्षता भी संभालेगा. पाकिस्तान ने जापान का स्थान लिया है, जो वर्तमान में सुरक्षा परिषद में एशियाई सीट पर है.
कौन-कौन देश हैं यूएनएससी में शामिल हैं?
यूएनएससी में में कुल 15 सदस्य देश हैं, जिनमें पांच (05) स्थायी (परमानेंट) और 10 अस्थायी हैं. स्थायी सदस्यों में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन शामिल हैं. 10 अस्थायी देशों को 2 साल के लिए सुरक्षा परिषद में शामिल किया जाता है. इनका चयन बारी-बारी से क्षेत्रीय आधार पर किया जाता है. पांच सीटें अफ्रीका और एशियाई देशों के लिए, एक पूर्वी यूरोपीय देशों, दो लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई देशों और दो पश्चिमी यूरोपीय और अन्य देशों को दी जाती हैं.
पाकिस्तान के यूएनएससी में शामिल होने से भारत पर क्या असर
बताया जा रहा है कि पाकिस्तान यूएन में इस्लामिक स्टेट और अलकायदा प्रतिबंध समिति में भी सीट पाने वाला है. पाक उस कमेटी में शामिल होगा, जो व्यक्तियों और समूहों को आतंकवादी के रूप में नामित करने और उनको बैन करने का कम करती है. भारत के लिए चिंता की बात ये है कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के मंच के जरिये प्रोपेगेंडा फैला सकता है. पाकिस्तान फिर वैश्विक स्तर पर कश्मीर का मुद्दा उठा सकता है. हालांकि भारत के लिए राहत की बात ये है कि पाकिस्तान किसी प्रस्ताव पर वोट कर सकता है लेकिन वीटो पावर ना होने के कारण किसी प्रस्ताव को रोकने का अधिकार नहीं होगा.