Military History War

Geopolitics के लिए सामरिक संस्कृति की समझ जरूरी

आज की लगातार बदलती जियो-पॉलिटिक्स के लिए बेहद जरूरी है कि भारतीय सेना परिस्थितियों के अनुरूप खुद को ना कवले ढाले बल्कि नई रणनीतियों पर भी काम करें. ऐसे में बेहद जरूरी है कि भारतीय सेना, प्राचीन ग्रंथों और परंपराओं में निहित युद्ध नीति, कूटनीति और युद्ध के दौरान नैतिक विचारों के साथ-साथ अनकन्वेंशनल वारफेयर का गहराई से अध्ययन करें. ये मानना है कि देश के रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट का.

मंगलवार को रक्षा राज्य मंत्री राजधानी दिल्ली में भारतीय सेना द्वारा ‘प्रोजेक्ट उद्भव’ पर आधारित एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. अजय भट्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि “आत्मनिर्भर भारत की भावना केवल भारतीय वस्तुओं के उत्पादन और उपभोग तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह वर्तमान कार्यों और निर्णयों में भारतीय विचार और मूल्यों के सार को आत्मसात करने के लिए ईमानदार प्रयास भी है.” उन्होंने कहा कि “विकसित भारत के लक्ष्य को तभी साकार किया जा सकता है जब राष्ट्र समग्र रूप से प्राचीन अतीत के अमूल्य ज्ञान को आत्मसात करे और इसे आधुनिक समय की महत्वाकांक्षाओं और नीतियों को आकार देने के लिए प्रासंगिक रूप से लागू करे.” इस सम्मेलन में थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे और यूनाईटेड सर्विस इंस्टीट्यूट (यूएसआई) से जुड़े रिसर्च स्कॉलर भी मौजूद थे.

भारतीय सेना, ‘प्रोजेक्ट उद्भव’ के तहत चाणक्य (कौटिल्य) के अर्थशास्त्र, कामंदक के नीतिसार और तिरुवल्लुवर की तिरूक्कुरल जैसे प्राचीन भारतीय दर्शन शास्त्र से युद्ध-कला, रणनीति, कूटनीति और राजतंत्र के गुर सीखने की तैयारी कर रही है.

 प्रोजेक्ट उद्भव क्या है ?

  • प्रोजेक्ट उद्भव भारतीय सेना द्वारा प्राचीन भारतीय ग्रंथों से प्राप्त राजतंत्र और सामरिक विचारों को मौजूदा सैन्य प्रशिक्षण में शामिल करना है.
  • प्राचीन भारतीय ज्ञान 5,000 साल पुरानी सांस्कृतिक विरासत और सभ्याता में निहित है, जहां ज्ञान के साथ अत्यधिक मूल्य जुड़ा हुआ है. 
  • यह स्वदेशी सैन्य प्रणालियों, ऐतिहासिक ग्रंथों, क्षेत्रीय ग्रंथों और राज्यों, विषयगत अध्ययन और जटिल कौटिल्य अध्ययन सहित व्यापक स्पेक्ट्रम पर केंद्रित है.
  • परियोजना में वेद, पुराण, उपनिषद और अर्थशास्त्र जैसे प्राचीन ग्रंथों का अध्ययन किया गया है, जो अंतर्संबंध, धार्मिकता और नैतिकता पर आधारित है.
  • इसके अतिरिक्त, महाभारत की महाकाव्य लड़ाइयों और मौर्य, गुप्त और मराठों के शासनकाल के दौरान रणनीतिक कौशल की जांच की है, जिसने भारत की समृद्ध सैन्य विरासत में योगदान दिया है.
  • यह परियोजना ऐतिहासिक आख्यानों की पुनः खोज से आगे जाती है; इसका उद्देश्य भारत की बहुमुखी दार्शनिक और सांस्कृतिक विरासत में गहराई से निहित एक स्वदेशी रणनीतिक शब्दावली विकसित करना है.
  • अंतिम उद्देश्य प्राचीन ज्ञान को आधुनिक सैन्य शिक्षा शास्त्र में एकीकृत करना है, जिससे भारतीय सेना आज के जटिल रणनीतिक परिदृश्य में सदियों पुराने सिद्धांतों से सीख ले सके. प्रोजेक्ट उद्भव के संबंध में, थिंक टैंक यूनाईटेड सर्विस इंस्टीट्यूट (यूएसआई) और भारतीय सेना ने पिछले साल रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ एक सैन्य विरासत महोत्सव का आयोजन किया था (सिकंदर ने पोरस से की थी लड़ाई…)

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