Breaking News Geopolitics Indian-Subcontinent

बांग्लादेशी हिंदुओं के लिए US UK चिंतित, शांति-रक्षक भेजने की उठी मांग

अमेरिका हो या फिर ब्रिटेन हिंदू और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के मुद्दे पर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को घेर रही है. एक अमेरिकी सांसद ने मोहम्मद यूनुस सरकार को दो टूक कहा है कि हिंदुओं की सुरक्षा अंतरिम सरकार की जिम्मेदारी है. वहीं ब्रिटेन की संसद में भी हिंदुओं की सुरक्षा का मुद्दा उठा है.  पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बांग्लादेश में हिंदुओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिए शांति-रक्षक भेजने की मांग कर दी है.

यूके की संसद में इस बात पर चिंता जताई गई कि बांग्लादेश में न सिर्फ हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है बल्कि धार्मिक नेताओं को गिरफ्तार भी किया जा रहा है. बांग्लादेश की यूनुस सरकार के कान पर हालांकि, जूं तक नहीं रेंग रही. क्योंकि अब यूनुस सरकार ने हास्यास्पद बयान देते हुए कहा है कि शेख हसीना सरकार के कार्यकाल से ज्यादा अब हिंदू सुरक्षित हैं.

अमेरिका-ब्रिटेन ने बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा पर यूनुस सरकार पर खड़े किए सवाल

अमेरिकी सांसद ब्रैड शरमन ने अपने बयान में बांग्लादेश में रह रहे हिंदुओं की सुरक्षा पर चिंता जताई है. ब्रैड शरमन ने कहा, ‘‘बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का यह पूर्ण दायित्व है कि वह हिंदू अल्पसंख्यकों की रक्षा करे और हाल में हुए हमलों तथा उत्पीड़न के कारण हजारों अल्पसंख्यक हिंदुओं के विरोध प्रदर्शनों का सार्थक रूप से समाधान करे. प्रशासन को हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा को खत्म करना चाहिए.” 

बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले का मुद्दा ब्रिटेन की संसद में उठा है. संसद में इस बात पर चिंता जताई गई कि बांग्लादेश में हिंदुओं को निशाना बनाए जाने के साथ-साथ धार्मिक नेताओं को भी गिरफ्तार किया जा रहा है. इस सवाल के जवाब में ब्रिटेन सरकार ने जवाब दिया है. इंडो-पैसिफिक के प्रभारी विदेश कार्यालय मंत्री कैथरीन वेस्ट ने कहा, पिछले महीने बांग्लादेश यात्रा के दौरान वहां की अंतरिम सरकार ने आश्वासन दिया था कि अल्पसंख्यकों को मदद दी जा रही है.  हम बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस से बात करने के लिए ढाका पहुंचे और अल्पसंख्यकों के समर्थन में ‘मुखर’ रहे.

कैथरीन वेस्ट ने कहा, हम राजद्रोह के आरोप में हिंदू नेता चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी के बाद भारत की चिंता से परिचित हैं. ब्रिटेन का विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय (एफसीडीओ) डेस्क इन घटनाक्रमों पर बारीकी से नजर रख रहा है.बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के साथ धर्म या आस्था की स्वतंत्रता के महत्व पर बातचीत की जाएगी, क्योंकि यह हिंदू समुदाय को प्रभावित करती है. (https://x.com/pritipatel/status/1863663152723870010)

भारत-बांग्लादेश के बीच बढ़ा तनाव 

बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए अगरतला स्थित बांग्लादेशी अस्सिटेंट हाई कमीशन में वीजा और वाणिज्य दूतावास से जुड़े सारे कामकाज रोक दिए हैं. दरअसल सोमवार को त्रिपुरा में हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता बांग्लादेश के उप उच्चायोग की इमारत में घुस गए थे. ये घटना उस वक्त हुई थी जब सोमवार को बांग्लादेश में इस्कॉन के संत की गिरफ्तारी का विरोध करने के लिए मार्च किया गया था. अगरतला में बवाल के बाद भारत से एक्शन लेते हुए डीएसपी समेत चार पुलिसकर्मियों के विरुद्ध एक्शन लिया, तो कई प्रदर्शनकारी गिरफ्तार किए गए.

वहीं त्रिपुरा में हुई घटना के बाद बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने ढाका में भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को बुलाकर विरोध जताया. त्रिपुरा में हुई घटना को लेकर ढाका यूनिवर्सिटी में बड़ा प्रदर्शन किया गया. इस प्रदर्शन में बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के उस बयान का विरोध किया गया जिसमें उन्होंने बांग्लादेश में शांति रक्षक दल भेजने की मांग की थी. बांग्लादेश ने कहा- कि भारत एक अच्छे पड़ोसी की तरह पेश आए.

बांग्लादेश अब शेख हसीना वाला बांग्लादेश नहीं: कानूनी सलाहकार

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के कानूनी सलाहकार के बोल बिगड़ गए हैं. भारत पर बयान देते हुए कानून सलाहकार आसिफ नजरूल कहा है कि भारत ये समझ ले कि हमारे मामलों में दखल ना दे. आसिफ नजरूल ने कहा- अब बांग्लादेश शेख हसीना वाला नहीं है. ये अब भारत को समझना होगा. बांग्लादेश एक स्वतंत्र, संप्रभु और स्वाभिमानी देश है.

बांग्लादेश सरकार के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने भारतीय मीडिया पर बेबुनियाद आरोप मढ़ दिया है. शफीकुल ने कहा “बांग्लादेश में हिंदू पूरी तरह सुरक्षित हैं. वे शेख हसीना के शासन के मुकाबले अधिक सुरक्षित हैं. जो कुछ हो रहा है, वह एक बड़ी मात्रा में झूठा प्रचार है, जिसे भारत से फैलाया जा रहा है. भारतीय मीडिया हर घटना को बढ़ा चढ़ा कर पेश कर रही है.”

editor
India's premier platform for defence, security, conflict, strategic affairs and geopolitics.