ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मार गिराई गई चीन मिसाइल में फाइव आईज देशों ने दिलचस्पी दिखाई है. पाकिस्तान की ओर से दागी गई चीनी मिसाइल पीएल-15ई को पंजाब में भारतीय सेना ने गिरा दिया था. दुनिया के बड़े देश चीनी मिसाइल के मलबे में रुचि दिखा रहे हैं. अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा के संगठन फाईव आईज और फ्रांस, जापान ने मलबे की मांग की है.
भारत ने दिखाया था चीनी मिसाइल का मलबा
ऑपरेशन सिंदूर के बाद 12 मई को प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारतीय अधिकारियों ने रॉकेट का मलबा दिखाया था. एयरफोर्स के एयर मार्शल ए.के. भारती ने बताया था कि पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ हमले में पीएल- 15ई मिसाइल सहित एडवांस चीनी हथियारों का इस्तेमाल किया था.लेकिन भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ने तुर्किए के ड्रोन के साथ-साथ चीन की संवेदनशील मिसाइल को भी गिरा दिया था.चीनी मिसाइल का मलबा पंजाब के होशियारपुर जिले के एक खेत में गिरा. मिसाइल के छोटे-छोटे टुकड़े पंजाब के कई दूसरी जगहों पर भी मिले थे.
भारत से चीनी मिसाइल का मलबा क्यों चाहते हैं कई देश?
फाईव आईज देशों (अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा) के अलावा फ्रांस और जापान, चीनी मिसाइल के मलबे की जांच करना चाहते हैं. दरअसल ऐसा बहुत कम या नहीं के बराबर होता है कि जब चीन की मिसाइल की तकनीकि के बारे में पता किया जा सके. अब जब भारत के पास चीनी मिसाइल का मलबा है तो ये देश पता लगाना चाहते हैं कि चीन की तकनीक क्या है, उसकी क्षमता कितनी है और उसकी लिमिटेशन कितनी हैं.
चीन बढ़ा रहा सैन्य ताकत, रिसर्च से यूरोप तैयार करेगा चीन की काट
एक्सपर्ट्स बता रहे हैं कि मलबा चीनी तकनीक के बारे में बहुमूल्य जानकारी का जरिया बनेगा. मलबे के अध्ययन के बाद देश पीएल-15ई की काट बना सकेंगे. पीएल-15ई चीनी मिसाइल पीएल-15 तकनीक की ही कम दूरी की मिसाइल है. फाइव आईज देश चीनी मिसाइल के रडार सिग्नेचर, मोटर कंपोजिशन, गाइडेंस टेक्नोलॉजी और इसके एईएसए रडार के बारे में जानना चाहते हैं. चीन के वैश्विक प्रतिद्वंद्वी के लिए, भविष्य में चीन से संभावित खतरों का मुकाबला करने के लिए मिसाइल के बारे में कोई भी जानकारी हासिल करना महत्वपूर्ण है.
फ्रांस बनाता है रफाल, मेट्योर मिसाइल के मुकाबले में है चीनी मिसाइल
फ्रांस, चीनी मिसाइल को करीब से स्टडी करना चाहता है क्योंकि वो पीएल-15ई को यूरोपीय देशों की तरफ से विकसित मेट्योर मिसाइल के लिए सीधा खतरा मानता है. चीन की मिसाइल, मेट्योर मिसाइल के मुकाबले में है. चीनी मिसाइल अपेक्षाकृत लंबी दूरी तक मार कर सकती है. यूरोप की मिसाइल के कहीं ज्यादा सशक्त हो सकती है. इसके अलावा फ्रांस लड़ाकू विमान रफाल (राफेल) बनाता है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने इसी मिसाइल से रफाल को निशाना बनाने की कोशिश की थी. फ्रांस पीएल-15 ई की जांच करके रफाल की तकनीक में कोई बदलाव कर सकता है.
भारत को मिले चीनी मिसाइल के मलबे में क्या?
होशियारपुर में मिली एक पीएल-15ई मिसाइल की जांच की जा रही है.
यह मिसाइल चीन द्वारा विकसित सबसे उन्नत प्रौद्योगिकियों में से एक है, और इसके वे फाइव आईज और अन्य देशों को प्रणाली के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान करेंगे. मिले मलबे में इसमें मिसाइल की दोहरी-पल्स मोटर, दो-तरफा डेटालिंक, सक्रिय रडार सीकर हो सकते है.
पिछले साल एयरशो में चीन ने दिखाई थी मिसाइल
पीएल-15ई को चीन ने पिछले साल झुहाई एयर शो में प्रदर्शित किया है. लंबी दूरी की यह मिसाइल हवा से हवा में मार करती है. मिसाइल में एईएसए रडार का इस्तेमाल किया गया है जो सटीक टारगेट पर हमला करती है. मिसाइल में दो तरफ डेटा लिंक है जिसके जरिए यह बीच रास्ते में भी अपना लक्ष्य बदल सकते हैं. ये मिसाइल 200-300 किलोमीटर तक लक्ष्य भेद सकती है.