July 3, 2024
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अमेरिका ने दिया Doomsday एयरक्राफ्ट का ऑर्डर

दुनियाभर में न्यूक्लियर वार की आहट मिलते ही अमेरिका अलर्ट हो गया है. अमेरिका ने पुराने पड़ चुके ‘डूम्स-डे’ विमान की जगह नए हवाई कमांड पोस्ट को बनाने का ऑर्डर दे दिया है. अमेरिका की सिएरा नेवादा कॉर्पोरेशन को 13 बिलियन डॉलर में नए विमान को बनाने की जिम्मेदारी दी गई है ताकि परमाणु युद्ध के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति उसमें बैठकर दिशा-निर्देश दे सकें. अमेरिका के अलावा रशिया ही एकमात्र देश है जिसके पास प्रलय लाने वाले ये प्लेन हैं.  

 अमेरिका रक्षा विभाग (पेंटागन) के मुताबिक, वर्ष 2036 तक सर्वाइवल एयरबोर्न ऑपरेशन्स सेंटर (एसएओसी) बनकर तैयार होने की संभावना है. क्योंकि माना जा रहा है कि अमेरिका के पास फिलहाल जो ‘ई-4 बी’ (बोइंग) डूम्स-डे विमान हैं वे अगले दशक (2030) के शुरुआती वर्षों में रिटायर होने जा रहे हैं. ऐसे में अमेरिका को इन विमानों की सख्त जरुरत पड़ने जा रही है. अमेरिका के पास फिलहाल चार ऐसे डूम्सडे विमान हैं. इनमें से एक विमान हमेशा अलर्ट पर रहता है. 

डूम्सडे विमान को एयरबोर्न कमांड पोस्ट के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है जिस पर साइबर अटैक या फिर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक जैमिंग का खास असर नहीं पड़ता है. आसमान में रहकर ये विमान सेना के सभी आर्म्स (ग्राउंड फोर्स, एयर फोर्स और नेवी) के साथ संपर्क में रहकर ऑपरेशन्स कर सकता है. इस विमान में डिफेंस मैकेनिज्म भी हैं जिसके चलते इन्हें टारगेट करना मुश्किल होता है. 

इस तरह के डूम्सडे विमानों पर परमाणु युद्ध का कोई असर नहीं होता है और कमांड एंड कंट्रोल सेंटर की तरह काम करता है. इस तरह के विमानों में 100 से ज्यादा मिलिट्री और पॉलिटिकल कमांडर सवार हो सकते हैं जो 150 घंटे तक आसमान में रह सकते हैं. रिफ्यूलिंग की सुविधा के साथ इन विमानों की एंड्यूरेंस काफी बढ़ जाती है. 

रुस-यूक्रेन जंग और हालिया ईरान-इजरायल विवाद के दौरान दुनिया पर परमाणु युद्ध का खतरा लगातार मंडरा रहा है. इसके अलावा कोरियाई प्रायद्वीप में भी न्यूक्लियर वार के बादल घिरे हुए हैं. हाल ही में उत्तर कोरिया ने तो बाकायदा न्यूक्लियर वार से जुड़ी एक ड्रिल को अंजाम दिया था ताकि अपने देश की स्ट्रेटेजिक फोर्स की गुणवत्ता और ताकत को परखा जा सके. ऐसे में अमेरिका के लिए भी बेहद जरूरी है कि अपने स्ट्रेटेजिक-एसेट को चुस्त-दुरुस्त रखे जाएं (किम जोंग की न्यूक्लियर ड्रिल ने उड़ाई दुनिया की नींद).

अमेरिका के अलावा रुस ही ऐसा देश है जिसके पास ऐसे डूम्सडे विमान हैं. रुस ने ‘आईएल-80’ विमानों को हवाई कमांड पोस्ट में तब्दील किया है ताकि जरूरत पड़ने पर पॉलिटिकल लीडरशिप परमाणु युद्ध छेड़ने का आदेश दे सकें.

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