अपने देश में रूस के सरकारी मीडिया आरटी को बैन करने के बाद अमेरिका ने भारत से भी ऐसा करने का आह्वान किया है. अमेरिका ने आरटी को रुस की इंटेलिजेंस विंग की ‘प्रोपेगेंडा मशीन’ करार कर भारत से रुसी पत्रकारों पर प्रतिबंध लगाने का भी अनुरोध किया है. लेकिन रूस से मित्रतापूर्ण संबंधों के चलते इस बात की संभावना बेहद कम है कि भारत, अमेरिका के इन आरोपों को गंभीरता से लेगा.
अमेरिकी चुनावों को प्रभावित करने के आरोप में हाल ही में अमेरिका ने आरटी (पूर्व में ‘रशिया टुडे’) को बैन कर दिया था. साथ ही आरटी के दो पत्रकारों पर संगीन मामला दर्ज किया था. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने सार्वजनिक तौर से आरटी को ‘रूसी इंटेलिजेंस एजेंसी’ का हिस्सा होने का संगीन आरोप लगाया है. आरटी की मॉस्को स्थित एडिटर इन चीफ मार्गरेटा सिमोनयन सहित कई पत्रकारों को अमेरिका ने प्रतिबंध लगा दिया है.
‘साइबर-क्षमता’ रखने जैसे आरोप लगाते हुए ब्लिंकन ने दुनियाभर में आरटी पर ‘सेंसरशिप’ लगाने का आह्ववान किया है. ऐसे में बहुत हद तक संभव है कि भारत से भी ऐसा करने के लिए कहा गया है. हालांकि, भारत के विदेश मंत्रालय की तरफ से इस पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है.
ब्लिंकन ने आरटी को क्रेमलिन (रूसी राष्ट्रपति) का ‘प्रोपेगेंडा आर्म’ करार दिया है, जो ‘बेबुनियाद खबरों’ को प्रसारित करता है ताकि अमेरिका और दूसरे देशों में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बाधित कर सके.
बीबीसी की तरह (जिसे इंग्लैंड की सरकार संचालित करती है), आरटी को रूसी सरकार संचालित करती है. आरटी का एक ग्लोबल इंग्लिश न्यूज चैनल है जिसे भारत सहित दुनिया के कई देशों में प्रसारित किया जाता है. इसके अलावा आरटी की अंग्रेजी वेब पोर्टल भी कई देशों में भी पढ़ी जाती है. यहां तक की इस पोर्टल में अलग से टइंडियाट का एक सेक्शन है जिसमें भारत से जुड़ी खबरों को प्रमुखता से जगह दी जाती है.
भारत में बहुयातत हिंदी पढ़ने और समझने वालों के लिए आरटी ने हिंदी मे अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को लॉन्च किया है. कुछ समय पहले व्हाट्सअप पर भी आरटी ने अपना हिंदी चैनल लॉन्च किया था. (RT के जरिए US Elections को प्रभावित करने का आरोप)
आरटी की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए ही अमेरिका ने भारत से प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया है.
आरटी का तर्क हालांकि, ये है कि ‘पश्चिमी देशों के नैरेटिव को काउंटर’ करने और रूस के पक्ष को ज्यादा से ज्यादा प्रसारित करना ही एकमात्र उद्देश्य है. यूक्रेन युद्ध के बाद से दुनियाभर में रूसी पक्ष को जगह ने मिलने के बावजूद आरटी का प्रचार-प्रसार तेजी से बढ़ा है. यही वजह है कि आरटी आज अमेरिका की आंख में किरकिरी की तरह चुभ रहा है.
रविवार को रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता, मारिया ज़खारोवा ने अमेरिका द्वारा दुनियाभर में बोलने की आजादी पर प्रतिबंध लगाए जाने का विरोध किया. ज़खारोवा ने कहा कि अमेरिका विच-हंटिंग कर रहा है लेकिन उसका जवाब जरुर दिया जाएगा.