पूरी दुनिया में बेहद ही खास ‘बैम्बू डिप्लोमेसी’ और चीन को पटखनी देने वाले देश वियतनाम के प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चीन्ह भारत के दौरे पर आ रहे हैं (30 जुलाई-1 अगस्त). प्रधानमंत्री मोदी के निमंत्रण पर वियतनाम के प्रधानमंत्री दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रणनीतिक संबंधों को विस्तार देने पर विचार करेंगे.
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, तीन दिवसीय दौरे के दौरान वियतनामी प्रधानमंत्री अपने मंत्रियों, उप-मंत्रियों और व्यापार जगत के नेताओं सहित एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ आने राजधानी दिल्ली आ रहे हैं. वे प्रधानमंत्री मोदी नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में भारत आने वाले दूसरे विदेशी प्रमुख हैं.
सितंबर 2016 के बाद से भारत और वियतनाम के शीर्ष नेताओं के बीच ये पहली बैठक है, जब दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक और सभ्यतागत संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक बढ़ाया गया था. भारत, वियतनाम को अपनी एक्ट ईस्ट नीति का अभिन्न अंग मानता है.
वियतनाम के विदेश मामलों के उप मंत्री फाम थान बिन ने हाल ही में दिए एक साक्षात्कार में कहा था कि वियतनाम और भारत के बीच समय-परीक्षण संबंध और घनिष्ठ मित्रता है, जिसे महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू जैसे भारतीय नेताओं से वियतनाम के पहले राष्ट्रपति हो ची मिन्ह ने पोषित किया था. साथ ही दोनों देशों के नेताओं और लोगों की पीढ़ियों ने भी इसे आगे बढ़ाया है. उन्होंने यह भी कहा कि यह यात्रा बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका उद्देश्य भारत के साथ पारंपरिक मित्रता और व्यापक रणनीतिक साझेदारी को संजोने की वियतनाम की निरंतर नीति की पुष्टि करना है. साथ ही दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच संबंधों को मजबूत करने में मदद करना है.
1 अगस्त को, वियतनाम के प्रधानमंत्री का राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में औपचारिक स्वागत किया जाएगा, जिसके बाद वे महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के लिए राजघाट जाएंगे.
उसी दिन प्रधानमंत्री मोदी और चीन्ह के बीच द्विपक्षीय चर्चा होने वाली है. वे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से भी मुलाकात करेंगे.
बैम्बू डिप्लोमेसी के लिए मशहूर है वियतनाम
भारत की तरह ही वियतनाम भी दूसरे देशों से संबंध अपने राष्ट्रीय हितों के मुताबिक करता है. भारत की तरह ही वियतनाम भी यूक्रेन युद्ध के खिलाफ तो है लेकिन रूस का खुलकर विरोध नहीं करता है. यही वजह है कि हाल ही में जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन नॉर्थ कोरिया के दौरे पर आए थे तो एक दिन के लिए वियतनाम भी पहुंचे थे.
वियतनाम उन चुनिंदा देशों में से है जिसने जून के महीने में स्विट्जरलैंड में आयोजित समिट ऑन पीस इन यूक्रेन में हिस्सा नहीं लिया था. वियतनाम की इस बेहद ही लचीली कूटनीति को ‘बैम्बू-डिप्लोमेसी’ का नाम दिया जाता है. (Bamboo-diplomacy वाले वियतनाम के दौरे पर पुतिन)
भारत की तरह चीन से रही है लंबी अदावत
जिस तरह भारत का चीन से लंबा सीमा विवाद है ठीक वैसा ही वियतनाम का भी था. 70 के दशक में चीन और वियतनाम का युद्ध हुआ था, जिसमें चीन को मुंह की खानी पड़ी थी. तभी से चीन और वियतनाम के संबंधों में थोड़ी खटास रही है. हालांकि, हाल के सालों में दोनों देशों के संबंध काफी सुधरे हैं और सीमा विवाद भी सुलझा लिया गया है. हाल के सालों तक साउथ चायना सी में भी चीन और वियतनाम के बीच तनातनी रहती थी.
श्रद्धांजलि अर्पित करने वियतनाम एंबेसी गए थे राजनाथ
पिछले हफ्ते रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राजधानी दिल्ली स्थित वियतनामी दूतावास पहुंचकर वियतनाम की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव गुयेन फू ट्रोंग को श्रद्धांजलि अर्पित की थी. ट्रोंग का हाल ही में निधन हो गया था. ट्रोंग ने भारत और वियतनाम के बीच संंबंधों को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई थी. (https://x.com/rajnathsingh/status/1816384282547654832)
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोवाल ने भी वियतनाम की राजधानी हनोई पहुंचकर ट्रोंग को भारत की तरफ से श्रद्धा-सुमन अर्पित किए थे.
भारत-वियतनाम व्यापार संबंध
वित्त वर्ष 2023-2024 में, वियतनाम भारत के लिए 21वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और वैश्विक स्तर पर 22वां सबसे महत्वपूर्ण निर्यात गंतव्य है. वियतनाम के लिए, भारत 7वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार, वियतनाम के उत्पादों का 7वां सबसे महत्वपूर्ण आयातक और वियतनाम का 11वां सबसे महत्वपूर्ण आयात स्रोत है.