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पाकिस्तान से हर बार मिली दुश्मनी, परमाणु युद्ध का सवाल नहीं: सीडीएस

सिर्फ भारत ही नहीं बदला, भारत ने रणनीति भी बदली है. सिंगापुर में ये हुंकार भरी है सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने.जनरल अनिल चौहान ने सिंगापुर में आयोजित 22वें शांगरी-ला डायलॉग में हिस्सा लिया और आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान को खरी-खरी सुनाई है. वैश्विक सुरक्षा सम्मेलन में सीडीएस ने पाकिस्तान को लताड़ लगाते हुए कहा, हमें पाकिस्तान से बदले में हमेशा दुश्मनी मिली है. सिंगापुर में सीडीएस ने फेक न्यूज और इंफॉर्मेशन वॉरफेयर पर भी बेबाकी से बात की है.

परमाणु युद्ध का सवाल ही नहीं उठता, भारतीय सेना थी तर्कसंगत:सीडीएस 

सिंगापुर में सीडीएस अनिल चौहान ने ऑपरेशन सिंदूर के हर एक मोर्चे की बात की. न्यूक्लियर अटैक की धमकी पर सीडीएस जनरल चौहान ने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना पूरी तरह तर्कसंगत थी, ऐसे में परमाणु युद्ध का सवाल नहीं उठता है. क्योंकि अघोषित-युद्ध में परमाणु युद्ध का कोई तर्क नहीं होता है.”

जनरल चौहान का बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य टकराव खत्म कराने को परमाणु युद्ध से जोड़ दिया है.

पाकिस्तान से दूरी भारत की बेहतरीन रणनीति:सीडीएस चौहान

वैश्विक मंच पर सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा, “भारत अब बिना रणनीति के नहीं चल रहा है. अगर पाकिस्तान की तरफ से सिर्फ दुश्मनी ही मिले तो दूरी ही सबसे बेहतर रणनीति हो सकती है. जब हमने आजादी पाई थी, तब पाकिस्तान सामाजिक विकास, जीडीपी, प्रति व्यक्ति आय से लेकर हर पैमाने पर हमसे आगे था. लेकिन आज भारत अर्थव्यवस्था, मानवीय विकास, सामाजिक समरसता समेत हर मोर्चे पर आगे है. यह संयोग नहीं, बल्कि रणनीति का नतीजा है.”

ताली बजाने के लिए दो हाथ चाहिए, बदले में हमें दुश्मनी मिली: सीडीएस

सीडीएस चौहान ने बताया कि भारत ने पाकिस्तान से मित्रता और बातचीत की कोशिश की थी, लेकिन आतंक पर जीरो टॉलरेंस नीति है. सीडीएस ने कहा, ‘कूटनीतिक रूप से साल 2014 में हमने आगे बढ़कर पाकिस्तान के साथ रिश्तों को सुधारने की पहल की थी. उस वक्त पीएम मोदी ने पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ को आमंत्रित किया था, लेकिन ताली एक हाथ से नहीं बजती और हमें बदले में हमेशा दुश्मनी मिली, इसलिए फिलहाल अलगाव ही एक अच्छी रणनीति हो सकती है.’

इंफॉर्मेशन वॉरफेयर के लिए अलग यूनिट की आवश्यकता: सीडीएस चौहान

ऑपरेशन सिंदूर के बारे में बात करते हुए सीडीएस चौहान ने बताया कि 15% ऑपरेशनल समय फेक न्यूज को काउंटर करने में लगा. ऐसे में देश में अलग इंफोर्मेशन वॉरफेयर के लिए एक अलग यूनिट का जरूरत है. 

भारत की रणनीति में तथ्य-आधारित संचार पर जोर दिया गया, भले ही इसका मतलब धीमी प्रतिक्रियाएं देना हो. शुरुआत में, दो महिला अधिकारियों ने प्रवक्ता के रूप में काम किया जबकि वरिष्ठ नेतृत्व परिचालन में लगा हुआ था. केवल 10वें दिन डीजीएमओ ने मीडिया को ब्रीफ किया.

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो रहा है भारत: सीडीएस चौहान

सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमने आकाश मिसाइल सिस्टम आदि स्वदेशी हथियारों का इस्तेमाल किया. अब हम अपना नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर भी बना रहे हैं ताकि बिना विदेशी वेंडर्स पर निर्भर हुए अपने एयर डिफेंस को बेहतर किया जा सके. हमने विभिन्न स्त्रोतों से रडार्स को एकीकृत किया और हालिया संघर्ष में ये काफी अहम साबित हुआ. रक्षा आधुनिकीकरण के लिए हम आत्म निर्भरता की तरफ बढ़ रहे हैं. देश में रक्षा क्षेत्र में नए स्टार्टअप, एमएसएमई और बड़े उद्योगों में निवेश बढ़ रहा है.

मौजूदा जियोपॉलिटिकल स्थिति में हिंद महासागर पर है भारत का फोकस: जनरल चौहान

सीडीएस अनिल चौहान ने बताया, “हमारा हिंद महासागर क्षेत्र पर पूरा फोकस है, खासकर उत्तरी बंगाल की खाड़ी में. हमारी भूराजनैतिक स्थिति ऐसी है कि हम उत्तर की तरफ से हिल भी नहीं सकते क्योंकि चीन के साथ तनाव जारी है, न ही हम पूर्व की तरफ बढ़ सकते हैं क्योंकि म्यांमार में अस्थिरता है. हम मध्य और पश्चिम एशिया से राजनीतिक रूप से जुड़े हैं, लेकिन भू-राजनीतिक रूप से अलग हैं. ऐसे में समुद्र हमारे लिए बेहद अहम हो जाता है.”

“हमारे द्विपीय क्षेत्र, हिंद महासागर में हमें गहराई तक पहुंच देते हैं, जो हमारे लिए रणनीतिक तौर पर फायदेमंद है और हमें बेहद समझदारी से इसका इस्तेमाल करना होगा. हिंद महासागर के उत्तर में स्थित कुछ क्षेत्र हमेशा से हमारे लिए चिंता का विषय रहे हैं, लेकिन हमें सिर्फ उत्तर तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए. अब हम दक्षिण की तरफ भी देख रहे हैं, जहां हमारे मेरीटाइम हितों के लिए काफी संभावनाएं हैं.”

सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने की द्विपक्षीय वार्ता

 ऑस्ट्रेलिया, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, जापान, नीदरलैंड्स, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, ब्रिटेन समेत कई देशों के वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों के साथ द्विपक्षीय बैठक की.  इन बैठकों में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सैन्य सहयोग बढ़ाने, रक्षा साझेदारी को मजबूत करने और साझा सुरक्षा चुनौतियों से निपटने पर चर्चा हुई. 

अमेरिका के इंडो-पैसिफिक कमांड के कमांडर एडमिरल सैमुअल जे. पापारो से मुलाकात की और मजबूत रक्षा संबंधों पर बात की. दोनों देशों के बीच बढ़ते सहयोग, क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों और खास तौर पर ऑपरेशन सिंदूर पर गहन चर्चा हुई. इस मुलाकात में मिलिट्री-टू-मिलिट्री सहयोग और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में साझेदारी बढ़ाने पर मंथन किया गया. 

शांगरी-ला डायलॉग से चीनी रक्षा मंत्री ने बनाई दूरी

शांगरी-ला डायलॉग में 47 देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया है. इसमें से 40 से अधिक लोग मंत्री स्तरीय प्रतिनिधि हैं. इस बार चीन ने अपने रक्षामंत्री डोंग जुन को इस सम्मेलन में नहीं भेजा है, बल्कि चीन ने पीपल्स लिबरेशन आर्मी की नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी के एक प्रतिनिधिमंडल को इसमें शामिल होने के लिए भेजा है. साल 2019 के बाद यह पहली बार है जब चीन ने अपने रक्षा मंत्री को शांगरी-ला डायलॉग में नहीं भेजा है.

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